मंगलवार, 23 मार्च 2010

हमारा पहला अद्भुत और अकल्पनीय अनुभव है प्राडकास्ट

हमारा पहला अद्भुत और अकल्पनीय अनुभव है पाड्कास्ट

इंटरनेट का इन्द्रजाल समझना बहुत ही मुश्किल है। इंटर नेट पर जहां तक आप सोच सकते हैं आप उससे कहीं आगे जा सकते हैं। इसके साथ ही साथ ब्लाग ने तो धूम मचा दी है। कल तक अखबारों में पत्र संपादक के नाम में अपनी भावनाएं प्रकाशित करवाने के लिए हमें संपादक के रहमो करम पर ही निर्भर रहना पडता था। आज ब्लाग इससे काफी आगे निकल चुका है। ब्लाग पर आप जो चाहे जैसा चाहें प्रकाशित करवा सकते हैं।
ब्लाग में ही नई विधा
पाड्कास्ट
का आगाज हो चुका है। हमने सुना ही था कि अचानक गिरीश बिल्लोरे जी से पिछले शुक्रवार हमारी वीडियो चेट हो गई उन्होंने हमसे एक साक्षात्कार चाहा। समय तय हुआ शनिवार का, पर शनिवार को हम दिल्ली से भोपाल के लिए निकल रहे थे सो चर्चा न हो सकी। रविवार भी बीत गया। हम भूल चुके थे इस वार्तालाप को।
सोमवार की रात लगभग साढे दस बजे बिल्लोरे जी ऑन लाईन थे, जी टॉक पर। बिल्लोरे जी ने कहा कि तब साक्षात्कार सम्भव है। हमने सहमति दे दी। विषय था विज्ञापनों में अश्लीलता। हो गई चर्चा आरम्भ लगभग एक घंटा कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। आज सुबह जब हमने ब्लाग पर अपने आप को सुना तो यह अनुभव निश्चित तौर पर अकल्पनीय ही था। आप सभी से अनुरोध है कि इस लिंक पर िक्लक करके आप
पाड्कास्ट को सन सकते हैं, और बिल्लोरे जी से अगर संपर्क करना चाहें तो उनका मेल आई डी भी नीचे सहज सुलभ सन्दर्भ के लिए प्रस्तुत है।

गिरीश बिल्‍लोरे जी ने हमें यह लिंक भेजा था

लिमटी खरे जी से सुनिये उनकी अपनी बात यहां=>
यदि आप भी दिल की बात कहना चाहतें तो कीजिये मेरे आई डी पर बस एक मेल girishbillore@gmail.com

5 टिप्‍पणियां:

Girish Kumar Billore ने कहा…

Shukriyaa ji

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

तकनीक के संबंध में पहले सारे अनुभव ऐसे ही होते हैं पर जब पहली बार देखे सुने जाने गए हों परंतु आज की पीढ़ी तो पैदा ही मोबाइल फोन और कंप्‍यूटर लेकर हो रही है, उन्‍हें क्‍या हैरत, हैरत तो हमें ही होती हैं जिनके सामने दुनिया तेजी से बदल बढ़ रही है।

कृष्ण मुरारी प्रसाद ने कहा…

बहुत ही अच्छी जानकारी....धन्यबाद....
....
......
विश्व जल दिवस....नंगा नहायेगा क्या...और निचोड़ेगा क्या ?
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से....
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_22.html

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

आपके द्वारा लिखित शीर्षक में पाडकास्‍ट की जगह प्राडकास्‍ट हो गया है, कृपया उसे सुधार लें। हम जरूर सुनेंगे।

Udan Tashtari ने कहा…

सुनते हैं जनाब!!

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हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!

लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.

अनेक शुभकामनाएँ.