कमल नाथ और कांग्रेसी सूबों के बीच ठनी रार
सडक निर्माण में कांग्रेस शासित राज्य बने बाधक
भूमि अधिग्रहण बना सरदर्द
जयराम रमेश और नाथ का शीतयुद्ध बना अखाडा
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली 27 अप्रेल। राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबंधन सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन प्रधानमन्त्री अटल बिहारी बाजपेयी ने देश के गांव गांव को सडकों से जोडने का सपना देखा था। इसके बाद देश के ग्रामीण इलाकों में सडकों का जाल फैलना आरम्भ हो गया। सडक निर्माण में गफलत, भ्रष्टाचार, अनियमितताओं की शिकायतें आम हो गईं। इस सबसे बचने के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार द्वारा राजग शासित राज्यों से इस मामले में सहयोग न देने की आरोप लगाए जा रहे हों पर वास्तविकता यह है कि कांग्रेस शासित सूबों में सडकों के निर्माण में सबसे ज्यादा परेशानी महसूस की जा रही है।
कमल नाथ के नेतृत्व वाले भूतल परिवहन मन्त्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि राजमार्गों के निर्माण में हो रही देरी के पीछे केन्द्र की यूपीए सरकार नहीं वरन् राज्यों द्वारा भूमि अधिग्रहण में की जा रही देरी प्रमुख कारक बनकर उभरा है। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस शासित असम जिसके मुख्यमन्त्री तरूण गगोई की ताजपोशी पिछली मर्तबा कमल नाथ ने बतौर कंाग्रेस के असम सूबे के प्रभारी महासचिव की हैसियत से की थी में ही 18 मामले लंबित हैं। इसी तरह देश में राष्ट्रीय राजमार्ग के कुल 82 मामले आज भी लंबित ही हैं।
सूत्रों ने आगे बतायाि क राजमार्ग का काम आरम्भ होने में विलंब के अधिकतर ममाले भूमि अधिग्रहण से जुडे हुए हैं। अमूमन देखा गया है कि कृषि योग्य भूमि का अधिग्रहण सबसे अधिक तेजी से हो जाता है, पर उसकी प्रक्रिया पूरी होने में कम से कम छ: माह का समय लग जाता है। अगर कोई कानूनी बाधा आ जाती है तो मामला लंबा ही खिच जाता है। इसके अलावा राज्य सरकारों द्वारा सक्षम प्राधिकारों के नामांकन में विलंब, सक्षम भूमि अधिग्रहण प्राधिकारी का बारंबार स्थानान्तरण, संरचना में कमी, मुआवजा देने में देरी होने जैसी गफलतों के चलते विलंब हो जाता है।
राजग शासित दलों में मध्य प्रदेश में ही सात राष्ट्रीय राजमार्गों पर निर्माण काम बाधित पडा हुआ है। पंजाब में पांच, बिहार में चार, उत्तर प्रदेश में रिकार्ड 16 राजमार्गों का काम बाधित है। कुल मिलाकर देखा जाए तो लगभग एक हजार किलोमीटर सडक का काम रूका हुआ है। इनमें सबसे अधिक विलंब कांग्रेस शासित राज्यों में ही उभरकर सामने आ रहा है। कांग्रेस शासित राज्यों और केन्द्रीय भूतल परिवहन मन्त्री कमल नाथ के बीच समन्वय के अभाव के चलते केन्द्र सरकार की इस महात्वाकांक्षी परियोजना के काम में पलीता लगता जा रहा है।
रही सही कसर वन एवं पर्यावरण मन्त्री जयराम रमेश द्वारा पूरी की जा रही है। पिछली सरकार में तत्कालीन वाणिज्य मन्त्री कमल नाथ के मातहत रह चुके जयराम रमेश इस बार कमल नाथ के बराबरी वाले आसन पर विराजमान हैं। दोनों के बीच की तिल्खयां किसी से छिपी नहीं हैं। कमल नाथ के विभाग के कामों में वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा जमकर अडंगे लगाए जा रहे हैं। यही कारण है कि कमल नाथ के संसदीय क्षेत्र जिला छिन्दवाडा से सटे सिवनी जिले से होकर गुजरने वाले शेरशाह सूरी के जमाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक सात के हिस्से को जिसे एनएचएआई ने टेक ओवर कर लिया है, का निर्माण का काम बाधित हो रहा है।
1 टिप्पणी:
बहुत अच्छी खबर है खरेजी।
थोड़ी आक्रामकता के साथ अपने विचार भी जोड़ देते तो पढ़ने में और मजा आ जाता।
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