खतरे में है बंसल की नौकरी
जरा सा झटका और लाल बत्ती खो सकते हैं पवन बंसल
महिला आरक्षण पर नाकामी बन सकती है राजमाता की नाराजगी का सबब
राजीव शुक्ल या सुरेश पचौरी हो सकते हैं संसदीय कार्यमन्त्री
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली 06 अप्रेल। केन्द्रीय संसदीय कार्यमन्त्री पवन बंसल पर कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी का नजला टूटने ही वाला है। महिला आरक्षण विधेयक के मसले पर सदन के प्रबंधन में पूरी तरह नाकाम रहे पवन बंसल से कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी और प्रधानमन्त्री डॉ.एम.एम.सिंह बेहद खफा हैं। पवन बंसल के पर कतर दिए गए हैं, अब उनकी कद काठी राजनैतिक तौर पर पहले से काफी कम नज़र आने लगी है।
कांग्रेस संगठन की कमान दस सालों से ज्यादा तक सम्भालने वाली सोनिया गांधी को महिला आरक्षण बिल पेश न कर पाने के चलते काफी हद तक लानत मलानत झेलनी पडी थी। कांग्रेस के मेनेजरों को सोनिया गांधी ने बजट सत्र के दौरान इस विधेयक को पास करवाने की जवाबदारी सौंपी थी। सोनिया गांधी के आवरण बने ये प्रबंधक राज्यसभा तक इस विधेयक को ले गए और फिर वहां से ``बेटन`` (रिले रेस में दिया जाने वाला एक तरह का डण्डा) आगे ले जाने की जवाबदारी संसदीय कार्यमन्त्री पवन बंसल के कांधो पर थी।
कांग्रेस की सत्ता और शक्ति के शीर्ष केन्द्र 10 जनपथ (सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि राज्य सभा में पवन बंसल की फीिल्डंग बेहद ही कमजोर रही। जब सोनिया गांधी को यह बताया गया कि पवन बंसल की कार्यप्रणाली के चलते महिला आरक्षण विधेयक की हालत पतली हो रही है, तब उन्होंने कांग्रेस के कुशल प्रबंधक प्रणव मुखर्जी और अपने राजनैतिक सचिव अहमद पटेल को यह जवाबदारी सौंप दी।
सूत्रों का कहना है कि मुखर्जी और पटेल ने एक बार शामिल शरीक प्रयास किए और उनकी जमाई फीिल्डंग के उपरान्त ही राज्यसभा में यह पारित हो सका। इस सब काम में इन दोनों ही महारथियों का साथ देने के लिए परदे के पीछे से सांसद राजीव शुक्ल को कमान सौंपी गई थी। कांग्रेस की चिन्ता सबसे पहले वित्त विधेयक को पारित करवाने की थी। इसी बीच रायता फैलाने की तैयारी में जैसे ही राष्ट्रीय जनता दल के लालू प्रसाद यादव और समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव दिखाई दिए, दोनों ही कुशल रणनीतिकारों ने इन्हें साधना आरम्भ किया। सूत्र बताते हैं कि कई दौर की बातचीत और सौदेबाजी के उपरान्त यह विधेयक राज्यसभा में परवान चढ सका।
सूत्रों ने यह भी बताया कि इस विधेयक को पारित होने के पूर्व और बजट पर चर्चा के एक दिन पहले ही बिहार में भ्रष्टाचार की गंगा बहाने वाले लालू प्रसाद यादव को आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में सीबीआई ने भी बच निकलने के मार्ग प्रशस्त किए थे। कांग्रेस के प्रबंधकों पर विश्वास न करते हुए प्रधानमन्त्री डॉ.मन मोहन सिंह ने परमाणु दायित्व विधेयक को पास करवाने खुद ही कमान सम्भाली थी।
दस जनपथ के सूत्रों का दावा है कि जैसे ही मन्त्रीमण्डल में विस्तार या फेरबदल किया जाएगा वैसे ही कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला को लाल बत्ती से नवाजा जा सकता है। सूत्र संकेत दे रहे हैं कि पवन बंसल को मन्त्रीमण्डल से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा और उनके स्थान पर राजीव शुक्ल को संसदीय कार्यमन्त्री का दायित्व सौंपा जा सकता है। उधर राज्य सभा के रास्ते सदन में वापसी का मार्ग खोज रहे मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुरेश पचौरी भी इस जुगत में बताए जा रहे हैं कि उन्हें बरास्ता राज्यसभा एक बार फिर संसदीय सौंध तक छ: साल के लिए जाने का मौका मिल जाए और वे संसदीय कार्यमन्त्री का दायित्व निभाने को आतुर दिख रहे हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें