उमाश्री की वापसी पर असमंजस के बादल बरकरार
मध्य प्रदेश की राजनीति बनी दीवार
नहीं हुई वापसी तो फट सकता है साध्वी का गुस्सा
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली 13 अप्रेल। कभी भारतीय जनता पार्टी की फायर ब्राण्ड लीडर मानी जाने वाली उमाश्री भारती के लिए अब भाजपा में वापसी की राह बहुत आसान नहीं दिख रही है। भले ही राजग के पीएम इन वेटिंग एल.के.आडवाणी द्वारा सुषमा स्वराज को रोकने की गरज से उमाश्री को वापस लाने का स्वांग रचा जा रहा हो पर हाल ही में अस्तित्व में आई शिवराज सिंह चौहान और सुषमा स्वराज की जुगलबन्दी के चलते उनकी हर चाल नाकाम होती ही दिख रही है।
भाजपाध्यक्ष नितिन गडकरी, संसदीय दल के अध्यक्ष एल.के.आडवाणी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज, राज्य सभा में विपक्ष के नेता अरूण जेतली, पूर्व अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी, वेंकैया नायडू, राजनाथ सिंह आदि की उपस्थिति में भाजपा मुख्यालय 11 आशोक रोड पर हुई बैठक में भी इस सम्बंध में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि उमाश्री भारती जैसी बडबोली नेता को भाजपा में वापस लेने को लेकर उभरे मतभेद गहरा चुके हैं। उमा विरोधी गुट ने अपनी भावनाओं से पार्टी आलाकमान को आवगत भी करा दिया है। राजग के पीएम इन वेटिग एल.के.आडवाणी की मण्डली द्वारा उमाश्री की वापसी की पुरजोर वकालत के बावजूद उनके विरोधियों ने आलाकमान को साफ कह दिया है कि अगर उमाश्री की वापसी होती है, तो वे उनके त्यागपत्र स्वीकार करने तैयार रहें। दरअसल उमाश्री ने भाजपा से निकाले जाने पर अटल बिहारी बाजपेयी और एल.के.आडवाणी के खिलाफ जिस तरह की अनर्गल बयान बाजी की थी, उसे ही उनके विरोधी ढाल बनाकर इस्तेमाल कर रहे हैं।
सूत्रों ने आगे कहा कि उमाश्री की वापसी की राह में सबसे बडा रोडा दल की मध्य प्रदेश इकाई के द्वारा लगाया जा रहा है। उन्होंने यहां तक बताया कि सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान ने तो साफ कह दिया है कि अगर उमाश्री को भाजपा में वापस लिया जाता है तो वे तत्काल ही त्यागपत्र दे देंगे। उधर मध्य प्रदेश भाजपा इकाई के अध्यक्ष नरेन्द्र तोमर ने भी उमा के वापस न आने की वकालत की है।
उमा विरोधी इस बात को भी हवा दे रहे हैं कि 2003 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने माईनस उमाश्री बहुमत हासिल किया है। इतना ही नहीं भाजपा ने पहली बार उन इलाकों में भी परचम लहराया है जहां लोधी बाहुल्य जनसंख्या है। उधर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष द्वारा विदिशा से लोकसभा चुनाव जीतकर इस सूबे को अपनी कर्मभूमि बना लिया है। इस तरह वे भी परोक्ष तौर पर उमाश्री के खिलाफ झण्डा उठाए खडी नज़र आ रहीं हैं। सुषमा के सुर में सुर मिलाने वालों में अब राज्य के प्रभारी महासचिव अनन्त कुमार भी आ खडे हुए हैं।
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