शनिवार, 15 मई 2010

केंद्रीय विद्यालय पर कोर्ट का डंडा

केंद्रीय विद्यालय पर कोर्ट का डंडा
 
केवीएस से पूछा अमीर गरीब में भेदभाव क्यों
 

(लिमटी खरे)
 
नई दिल्ली 15 मई। दिल्ली उच्च न्यायलय ने केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) से पूछा है कि वह अमीर और गरीब तथा उमर में भेदभाव कर देश के नौनिहालों को शिक्षा से महरूम कैसे रख सकता है। एसा दो अलग अलग शिकायतों पर दायर याचिका में कहा गया है। इन शिकायतों पर कोर्ट ने केवीएस से जवाब तलब किया है। उच्च न्यायालय के न्यायधीश कैलाश गंभीर ने गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) और दाखिले के दौरान आयु निर्धारण संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए केवीएस से जवाब मांगा है।
 
उच्च न्यायालय में दायर एक मामले में विकलांगता की मार झेल रहे विनय कुमार के तीन बच्चों की फीस माफ करने से केवीएस के इंकार और दूसरे मामले में केवीएस में दाखिले के दौरान उम्र केवल एक माह ज्यादा होने पर दाखिला देने से मना करने की शिकायत की गई है। कानूनविदों का कहना है कि शिक्षा के अधिकार कानून के उपरांत केवीएस बच्चों को अनिवार्य और आवश्यक्ता पडने पर निशुल्क शिक्षा देने के लिए बाध्य है। कोर्ट ने केवीएस को फटकार लगाते हुए कहा है कि महज फीस अदा न कर पाने के कारण बच्चों की पढाई बाधित नहीं की जा सकती है।
 
एक अन्य मामले में केवीएस में दाखिले के वक्त अमन चौधरी की आयु सात साल एक माह और दो दिन थी, जिसके चलते केवीएस ने अमन को पहली कक्षा में दाखिला देने से मना कर दिया। पहली कक्षा में दाखिले के लिए आयु की सीमा चार से सात सात तक निर्धारित की गई है, जिसका पालन सुनिश्चित करने को कहा गया है। अमन के दाखिले के वक्त उसकी आयु निर्धारित आयु से महज एक माह दो दिन ज्यादा थी।
 
अमन की ओर से उनके अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने कहा कि दाखिले के वक्त निर्धारित से महज एक माह अधिक आयु होने पर दाखिले से इंकार करना न केवल अन्यायपूर्ण है वरन् शिक्षा के अधिकार कानून के तहत किए गए प्रावधान कि 7 से 14 साल तक के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा देने के मौलिक अधिकार का भी उल्लंघन है। अदालत ने दोनों ही मामलों में कडा रूख अपनाते हुए केवीएस को अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए हैं।
 
अभिभावकों का कहना है कि शिक्षा के अधिकार कानून के लागू हो जाने के उपरांत गरीबी या आयु के कारण किसी को भी शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता है, वहीं दूसरी और केंद्रीय विद्यालय संगठन का कहना है कि गरीबी रेखा के नीचे बीपीएल कार्डधारकों के महज दो बच्चों की ही फीस माफ की जा सकने का प्रावधान है, साथ ही साथ पहली कक्षा में दाखिले के लिए आयु सीमा चार से सात साल निर्धारित की गई है, जिसका कडाई से पालन किया जाता है।