विदर्भ पर नजरें गडी हैं गडकरी की
नागपुर, चंद्रपुर, भण्डारा से किस्मत आजमाना चाहते हैं भाजपा के निजाम
कट्टर मुस्लिमों को भाजपा में लाने का एजेंडा है गडकरी का
(लिमटी खरे)
नागपुर, चंद्रपुर, भण्डारा से किस्मत आजमाना चाहते हैं भाजपा के निजाम
कट्टर मुस्लिमों को भाजपा में लाने का एजेंडा है गडकरी का
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली 18 मई। भाजपा के नए निजाम ने इस तरह के संकेत अवश्य दिए हैंे कि वे देश की सबसे बडी पंचायत में पिछले दरवाजे अर्थात राज्यसभा से जाने के कतई इच्छुक नहीं हैं, पर वे आम चुनावों में विदर्भ से किस्मत अवश्य ही आजमाना चाहेंगे। मुस्लिमों को रिझाने की दिशा में भी गडकरी ने भाजपा को आगे लाने के पक्षधर गडकरी ने पांच हजार कट्टर मुस्लिमों को भाजपा में लाकर यह मिथक तोडने का प्रयास किया जाएगा कि अल्पसंख्यकों की भाजपा से दूरी है।
एक समाचार पत्र के साथ चर्चा के दौरान नितिन गडकरी ने कुछ इसी आशय की बातें कहीं हैं। गडकरी का कहना था कि जब तक वे अध्यक्ष रहेंगे, चुनाव नहीं लडेंगे। यह बात गडकरी ने संभवतः इसलिए कही है, क्योंकि वे 2010 में अध्यक्ष बने हैं और उनका कार्यकाल दो वर्ष का होगा, तब तक कोई लोकसभा चुनाव नहीं होगा। 2014 में होने वाले आम चुनावों में वे अवश्य कूद सकते हैं।
गडकरी के करीबी सूत्रों ने भी कमोबेश इसी तरह की बात दोहराई है। सूत्रों का कहना है कि सूबाई राजनीति में भी गडकरी की प्राथमिकता विदर्भ ही हुआ करता था, सो अब भी वे विदर्भ से ही चुनाव लडने की जमीन तैयार कर रहे हैं। गडकरी नागपुर, भण्डारा या फिर चन्द्रपुर से किस्मत आजमा सकते हैं।
भाजपाध्यक्ष बनने के उपरांत गडकरी का ध्यान पार्टी को मजबूत कराने के साथ ही साथ अल्पसंख्यकों को पार्टी से जोडने की ओर है। गडकरी चाहते हैं कि मुसलमानों में भाजपा और संघ के प्रति जो अविश्वास है, उसे दूर किया जाए। गडकरी का मिशन है कि देश के कट्टर पांच हजार मुसलमानों को भाजपा में शिरकत करवाकर वे मुसलमानों के मन में भाजपा के प्रति फैली गलतफहमी को दूर करने का प्रयास करेंगे।
गडकरी के करीबी सूत्र यह भी बताते हैं कि भाजपा के निजाम गडकरी समाज सेवा में भी खासी दखल रखते हैं। जनसेवक होने के दौरान उन्होंने लगभग चौदह सौ बच्चों के दिल के आपरेशन करवाए हैं इनमें से तीन सौ बच्चे मुसलमान हैं। गडकरी का मानना है कि राजनीति में छल प्रपंच का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। सूत्रों की मानें तो गडकरी चाहते हैं कि भाजपा के नेता जनसेवा को सही मायनों में अपनाकर एक आदर्श प्रस्तुत करें।
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