मंगलवार, 4 मई 2010

मुश्किल में कमल नाथ

मुश्किल में कमल नाथ

संसदीय समिति ने किया भूतल परिवहन को कटघरे में खडा
 
ठेकेदार अधिकारियों की मिली भगत से लग रहा चूना
 
(लिमटी खरे)

नई दिल्ली 04 मई। एक तरफ वजीरे आजम 22 मई को अपने दूसरे कार्यकाल का एक साल पूरा होने पर सभी मंत्रालयों के रिपोर्ट कार्ड पेश करने की तैयारियां कर रहा है, वहीं दूसरी एक संसद की एक स्थायी समिति ने कमल नाथ के भूतल परिवहन मंत्रालय में चल रही गडबडियों पर गहरी नारजगी जता दी है, जिससे कमल नाथ की पेशानी पर पसीने की बूंदे उभर आईं हैं। सडक परियोजनाओं में होने वाली देरी को लेकर संसद की एक समिति ने भूतल परिवहन मंत्रालय और एनएचएआई की जमकर खिचाई की है।
 
सांसद सीताराम येचुरी की अध्यक्षता वाली परिवहन, संस्कृति और पर्यटन संबंधी समिति ने साफ कहा है कि ठेकेदारों को अधिक मुनाफा देने के लिए परियोजनाओं में जानबूझकर विलंब किया जाता है। इसके पीछे भ्रष्ट नौकरशाहों, दागी ठेकेदारों और दलालों का एक बडा रेकेट है। मंत्रालय के सचिव ने स्वयं ही इस बात को समिति के समक्ष इस काकस का होना स्वीकार किया है। समिति ने अपने प्रतिवेदन में कहा है कि विलंब के चलते इन परियोजनाओं की लागत स्वयंमेव ही बढ जाती है। मूल निविदा और बढी हुई लागत के अंतर को नौकरशाह, दलाल और ठेकेदार आपस में बांट लिया करते हैं।
 
भूतल परिवहन मंत्रालय से समिति ने अपेक्षा भी व्यक्त की है कि इस मकडजाल को तोडने के लिए मंत्रालय को प्रभावी कदम सुनिश्चित करना आवश्यक है। इस समिति ने आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे भूतल परिवहन मंत्रालय की नीयत पर भी प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा है कि लेटलतीफी का शिकार हुईं अनेक परियोजनाओं में महज एक ही ठेकेदार को काली सूची में डाला गया है। समिति ने भूतल परिवहन मंत्रालय को मशविरा देते हुए कहा है कि मंत्रालय को चाहिए कि स्तरहीन खराब प्रदर्शन करने वाले ठेकादार या कंपनियों को सूचीबद्ध कर उनके खिलाफ कठोरतम कार्यवाही की जानी चाहिए।
 
समिति ने यह भी सिफारिश की है कि किसी भी परियोजना का ठेका तब दिया जाना चाहिए जब भूमि अधिग्रहण, पर्यावरण मंजूरी के साथ ही साथ अन्य समस्त औपचारिकताएं पूरी कर ली जाएं। समिति ने भूमि अधिग्रहण के मामले में एनएचएआई के सुस्त रवैए पर भी गहरी नाराजगी व्यक्त की है। समिति का मानना है कि एनएचएआई द्वारा भी भूमि अधिग्रहण के मामले में निर्धारित गाईड लाईन का पालन नहीं किया जा रहा है।
 
गौरतलब है कि केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ को एक कुशल प्रशासक के तौर पर देखा जाता रहा है। कमल नाथ के पास चाहे वन एवं पर्यावरण मंत्रालय रहा हो, वस्त्र या वाणिज्य और उद्योग, कमल नाथ ने नौकरशाही को कभी अपने उपर हावी नहीं होने दिया है। यह पहला मौका होगा जबकि नौकरशाही उनके मंत्रालय में पूरी तरह मनमानी पर उतारू है। एक सर्वेक्षण में भी कमल नाथ को उनके सचिवों के दबाव में काम करने वाला मंत्री बताया गया था। संभवतः इस बार उनका कद कम करके भूतल परिवहन (जहाजरानी को पहली बार इससे प्रथक किया गया है) जैसा मंत्रालय दिया गया है जो उनके कद के अनुरूप नहीं माना जा रहा है। हो सकता है यही कारण हो कि वे अपने मंत्रालय में बहुत ज्यादा रूचि न ले रहे हों और देश में सडकें के फैलते जाल में ग्रहण की स्थिति बन रही हो।

1 टिप्पणी:

honesty project democracy ने कहा…

इन बेशर्मों पे कोई असर नहीं परने वाला /अच्छी सार्थक खोजी रचना के लिए आपका धन्यवाद /