कपूरथला में बनेंगे ‘‘मेड इन रायबरेली‘‘ कोच
बिना निविदा आमंत्रण, हो गया भूमिपूजन!
(लिमटी खरे)
बिना निविदा आमंत्रण, हो गया भूमिपूजन!
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली 07 जून। स्थानीय निकयों के चुनावों में आशातीत सफलता पाने के बाद अब त्रणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने यूपीए अध्यक्ष और कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी को प्रसन्न करने की कवायद आरंभ कर दी है। ममता बनर्जी चाहती हैं कि कोलकता की रायटर्स बिल्डिंग पर वाम मोर्चे के लाल झंडे के स्थान पर उनकी पार्टी की ध्वजा फहराई जाए, यह काम सोनिया गांधी के साथ तालमेल बनाए बिना ममता को संभव नहीं दिख रहा है। यही कारण है कि पंजाब के कपूरथला में बनने वाले रेल्वे के कोच पर अब ‘‘मेड इन रायबरेली‘‘ की सील लगी दिखाई देने वाली है।
कांग्रेस की सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि ममता बनर्जी को अपने पसंदीदा रेल्वे महकमे की जवाबदारी मिले के बाद भी उन्होंने सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में प्रस्तावित रेल कोच फेक्टरी का काम आरंभ नहीं करवाया था। उधर रेल्वे के सूत्रों का दावा है कि यह काम ममता दीदी के इशारों पर ही मंथर गति से चलाया जा रहा था।
जमीनी हकीकत पर अगर नजरें इनायत की जाएं तो रायबरेली में रेल कोच कारखाने का निर्माण अगले साल तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। मजे की बात तो यह है कि 2011 में अस्तित्व में आने वाले इस कारखाने के लिए अभी तक जमीन तक मुहेया नहीं हो सकी है। कारखाने के निर्माण में हो रहे हीला हवाला के चलते सोनिया गांधी खासी खफा बताई जा रहीं हैं। आलम यह है कि पूर्व रेल मंत्री और स्वयंभू प्रबंधन गुरू लालू प्रसाद यादव के राजद के यूपी सूबे के अध्यक्ष अशेक सिंह इस मामले मंे काम न आरंभ करने की दशा में अमरण अनशन की धमकी तक दे चुके हैं।
उधर पश्चिम बंगाल के स्थानीय निकाय चुनावों में आशा से अधिक सफलता पाने के बाद अब ममता बनर्जी की निगाहें प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जाकर टिक गईं हैं। ममता के करीबी सूत्रों का कहना है कि वे इस बात को भली भांति जानतीं हैं कि यह काम बिना कांग्रेस के सहयोग के परवान चढने वाला नहीं है। यही कारण है कि उन्होंने सार्वजनिक तौर पर इस बात की घोषणा कर दी है कि उनकी पार्टी का समर्थन सरकर को पांच साल तक अनवरत जारी रहेगा।
इसी बीच कांग्रेस के चतुर सुजान प्रबंधकों की फौज में से एक ने ममता बनर्जी को यह संदेश पहंुचा दिया है कि रेल कोच कारखाने में हो रही देरी से आलाकमान की भवें तन रहीं हैं, कहीं एसा न हो कि इसका प्रतिकूल प्रभाव आने वाले विधानसभा चुनावों में त्रणमूल और कांग्रेस के गठबंधन पर पडे। इस खबर ने ममता की पेशानी पर चिंता की गहरी लकीरें उकेर दीं हैं। उन्होंने अपने ट्रबल शूटर प्रबंधकों को इसके मार्ग प्रशस्त करने के लिए ताकीद किया।
सूत्रों की मानें तो प्रबंधकों ने शार्ट कट रास्ता अख्तिायार करने का मशविरा ममता बनर्जी को दे दिया है। इस तरीके में सांप भी मर जाएगा और लाठी भी सलामत रहेगी। बताया जाता है कि पंजाब के कपूरथला रेल कोच कारखाने में बनने वाले रेल कोच को अधनिर्मित हालातों में रायबरेली लाया जाएगा, जहां इन्हें सजाया जाएगा। सजाने के उपरांत इन कोच को कपूरथला में निर्मित के स्थान पर कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में निर्मित बताया जाएगा। शेष भारत की जनता को इस बात का पता नहीं चल पाएगा कि यह काम कपूरथला में किया गया है या फिर रायबरेली में। चर्चा है कि सोनिया गांधी भी इस प्रस्ताव पर सहमत हो गईं हैं। प्रबंधकों को डर इस बात का सता रहा है कि अगर किसी ने ‘‘सूचना के अधिकार‘‘ में इस बात की जानकारी निकालकर सार्वजनिक कर दी तो कांग्रेस अध्यक्ष को जवाब देना मुश्किल हो जाएगा।
रेल विभाग के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि रेल फर्निशिंग कारखाने की आधारशिला भी रख दी गई है। आनन फानन में रेल के सहयोगी प्रतिष्ठान राइट्स के पास इसका काम था, रेल विभाग ने इस काम को राइट्स के हाथों से लेकर अब इरकान को दे दिया है। इरकान ने लगभग 57, 36 और 30 करोड रूपयों की निविदा भी आमंत्रित कर दी है, जिन्हें दिल्ली में बुधवार 9 जून को खोला जाएगा। यहां उल्लेखनीय तथ्य यह है कि बिना निविदा आमंत्रित किए ही इस कारखाने का भूमि पूजन भी करवा दिया गया है।
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