सोमवार, 9 अगस्त 2010

1 जून 2008 को दिया था अरूणाचल स्कूल ने एफीलेशन का आवेदन


सिवनी। जिला मुख्यालय सीर दीवान में बरघाट नाके के समीप संचालित होने वाले अरूणाचल पब्लिक स्कूल (पूर्व में टाईनी टाट्स स्कूल) ने केंद्रीय शिक्षा बोर्ड अर्थात सीबीएसई से एफीलेशन के लिए 01 जून 2008 को पंजीकरण हेतु आवेदन दिया था, जिसे सीबीएसई बोर्ड ने 06 अगस्त 2008 को स्वीकार किया था। इसके उपरांत इसके लिए आंकडे 04 जुलाई 2009 को जनरेट किए गए थे। इसका पंजीकरण नंबर एसएस - 00490 - 0910 प्रदान किया गया था। उक्ताशय की जानकारी सीबीएसई बोर्ड उच्च पदस्थ सूत्रों द्वारा उपलब्ध कराई गई है।

गौरतलब होगा कि टाईनी टाट्स स्कूल पूर्व में बारापत्थर में पूर्व विधायक नरेश दिवाकर के आवास के बाजू में संचालित होता था, जिसे कालांतर में डॉ.सलिल त्रिवेदी के आवास के सामने होमगार्ड कार्यालय मार्ग पर स्थानांतरित कर दिया गया था। बताया जाता है कि शाला प्रबंधन ने नब्बे के दशक के आरंभ में अपने यहां अध्ययनरत विद्यार्थियों से पांच सौ रूपए सालाना केपीटेशन फीस वसूलकर बरघाट नाके के समीप जमीन खरीदी गई, एवं इसमें शाला का निर्माण करवाया गया।

बरघाट नाके के समीप चलने वाला टाईनी टाट्स स्कूल एकाएक इतिहास की बात हो गया, और इसका स्थान अरूणाचल पब्लिक स्कूल ने ले लिया। यह सब पलक झपकते कैसे और क्यों हो गया, यह आज भी शोध का विषय ही बना हुआ है। कल तक जो विद्यार्थी टाईनी टाट्स स्कूल के छात्र थे, उनसे अगर पूछा जाए कि वे किस स्कूल के छात्र हैं तो उनकी जुबान पर आज भी टाईनी टाट्स का नाम ही रटा हुआ है। उक्त शाला भवन के लिए खरीदी गई जमीन किस नाम से खरीदी गई है और शाला भवन किसके स्वामित्व में है, किस अनुबंध के आधार पर टाईनी टाट्स स्कूल के बजाए रातों रात इसका नाम अरूणाचल पब्लिक स्कूल कर दिया गया यह गुत्थी या तो जिला एवं पुलिस प्रशासन ही सुलझा सकता है या फिर स्वयं टाईनी टाट्स शाला प्रबंधन।

बहरहाल सूत्रों ने आगे कहा कि इसी तारतम्य में सीर दीवान सिवनी में संचालित अरूणाचल पब्लिक स्कूल के प्रबंधक को सीबीएसई बोर्ड द्वारा पत्र क्रमांक सीबीएसई / एफी / एसएस - 00490 - 0910 (1030442) / 2009 दिनांक सात जुलाई 2007 को जारी किया गया था। इस पत्र में उक्त शाला के लिए फ्रेश कंपोजिट प्रोवीजनल एफीलेशन अर्थात नवीन मिश्रित अस्थाई मान्यता को सीनियर सेकन्डरी स्तर तक स्टेट बोर्ड से स्विच ओवर विषय से जारी किया गया था।

अरूणाचल पब्लिक स्कूल (पूर्व में टाईनी टाट्स स्कूल) को एफीलेशन विभाग के डिप्टी सेकेरेटरी जोसफ एम्मूअल के हस्ताक्षरों से जारी इस पत्र में उल्लेख किया गया है कि उक्त शाला के आवेदन दिनांक 26 मई 2008 के तारतम्य में उन्हें निर्देशित किया गया है कि वे शाला को यह जानकारी दें कि शाला को 01 अप्रेल 2009 से 31 मार्च 2012 तक की तीन साल की अवधि के लिए सशर्त प्रोवीजनल एफीलेशन दिया गया है।

सीबीएसई के सूत्रों ने आगे कहा कि इस पत्र में उल्लेख किया गया है कि शाला को अंग्रेजी और हिन्दी वेकल्पिक एवं कोर तथा संस्कृत के साथ ही साथ वेकल्पिक विषयों के तौर पर ज्योगरफी, इकोनोमिक्स, मेथामेटिक्स, फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलाजी, फिजीकल एजूकेशन, बिजनिस स्टेडीज, एकाउंटेंसी, इंफरमेटिक्स प्रेक्टिस, कंप्यूटर साईंस को शामिल किया गया है।

अरूणाचल पब्लिक स्कूल (पूर्व में टाईनी टाट्स स्कूल) को सीबीएसई द्वारा दी गई मान्यताओं की शर्तों में उल्लेखित है कि शाला को मिडिल क्लास में एनसीईआरटी द्वारा निर्धारित किताबों को शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही साथ अन्य विषयों की किताबें सीबीएसई बोर्ड द्वारा निर्धारित और समय समय पर परिवर्तित होंगी। तीसरी शर्त के रूप में यह उल्लेख किया गया है कि शाला अपने विद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या शिक्षकों के निर्धारित अनुपात में ही रखेगी। यह बोर्ड के बाय लाज के हिसाब से ही होगी एवं उससे अधिक विद्यार्थियों को दाखिला नहीं दिलवाएगा।

अरूणाचल पब्लिक स्कूल (पूर्व में टाईनी टाट्स स्कूल) को जारी पत्र की चौथी शर्त के तौर पर यह बाध्यता रखी गई है कि शाला किसी अन्य शाला जो बोर्ड से एफीलेटेड न हो में विद्यार्थियों को स्पासंर नहीं करेगा। पांचवी शर्त के तौर पर कहा गया है कि शाला पर्याप्त मात्रा में क्वालिफाईड और शिक्षित स्टाफ को नियमित आधार पर एफीलेशन बायलाज के हिसाब से रखेगा। अगली शर्त में कहा गया है कि शाला अपने कर्मचारियों की सेवा शर्तें, वेतन भत्ते और अन्य सुविधाएं कम से कम उस राज्य में कार्यरत करस्पांडेंट श्रेणी के सरकारी स्कूल के स्टाफ से देगा, जहां वह स्थापित होगा, इस तरह की एक अंडरटेकिंग तत्काल प्रभाव से सीबीएसई को भेजना अनिवार्य है।

सूत्रों का आगे कहना है कि राज्य सरकार के हिसाब से कर्मचारियों की सेवा शर्तें निर्धारित की जाएं यह इसकी सातवीं शर्त है। ग्यारहवीं कंडिका मंे साफ तौर पर उल्लेख किया गया है कि शाला बोर्ड के निर्धारित नार्मस के हिसाब से प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय और अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाएगा। इसकी महत्वपूर्ण कंडिका 13 में कहा गया है कि शाला कम से कम दस कम्पयूटर वाली कम्पयूटर लेब या विद्यार्थियों की 1: 20 के अनुपात में कंप्यूटर लेब उलब्ध कराएगा। अगर किसी शाला में 1000 छात्र हैं तो वहां कम से कम 50 कम्पयूटर वाली कम्पयूटर लेब का होना आवश्यक है। यह कंडिका कम्पयूटर छात्रों की संख्या के हिसाब से ही होगी। इसमें साफ तौर पर उल्लेखित किया गया है कि कम्पयूटर में निर्धारित साफ्टवेयर विद ब्राडबेण्ड कनेक्शन वह भी ‘‘इंटरनेट आलवेज आन‘‘ की स्थिति में होना आवश्यक है।

अरूणाचल पब्लिक स्कूल (पूर्व में टाईनी टाट्स स्कूल) को जारी पत्र की कंडिका नंबर 14 में कहा गया है कि शाला विशेष ध्यान देने वाले बच्चों या अक्षम डिसेबल्ड बच्चों को डिसेबलटी एक्ट 1995 के तहत प्रमोट करेगी। इसकी कंडिका 15 में कहा गया है कि शाला अपने रिकार्ड को बोर्ड या राज्य शासन के शिक्षा विभाग और उसके प्राधिकृत प्रतिनिधि के लिए खुला रखेगा, जब चाहे तब ये इस रिकार्ड का अवलोकन कर सकते हैं। गौरतलब होगा कि जिला शिक्षा अधिकारी सिवनी द्वारा पूर्व में यशोन्नति से चर्चा के दौरान कहा गया था, कि मामला सीबीएसई बोर्ड का है, इस मामले में वे क्या कर सकते हैं।

अरूणाचल पब्लिक स्कूल (पूर्व में टाईनी टाट्स स्कूल) को जारी पत्र की कंडिका 16 कहती है कि शाला में विद्यार्थियों से वसूल की जाने वाली ट्यूशन और अन्य फीस भी वहां उपलब्ध सुविधाओं के अनुरूप होनी चाहिए। कंडिका 17 में उल्लेख किया गया है कि शाला में प्रवेश के दौरान धार्मिक, जाति आधार या जन्म स्थान का कोई बंधन नहीं होना चाहिए। शाला इस आधार पर किसी का प्रवेश प्रतिबंधित नहीं कर सकती है।

अरूणाचल पब्लिक स्कूल (पूर्व में टाईनी टाट्स स्कूल) को जारी पत्र की कंडिका 18 कहती है कि किसी भी तरह की अनरिकर्जनाईज्ड क्लास शाला के प्रांगड में संचालित नहीं हो सकती है, और न ही शाला के नाम से ही संचालित हो सकती है। कंडिका 19 के अनुसार शाला इन नियमों का पालन सख्ती से करे कि विद्यार्थियों के लिए सुरक्षा उपकरण एवं व्यवस्थाएं पर्याप्त हों, शाला में अग्निशमन यंत्र, पीने का स्वच्छ पानी, शौचालय एवं ट्रांसपोर्टेशन की पर्याप्त व्यवस्था हो। इस एफीलेशन के लिए सालाना फीस पंद्रह सौ रूपए प्रतिवर्ष के हिसाब से तीन साल के लिए चार हजार पांच सौ रूपए ही होगी।

सूत्रों का कहना है कि कंडिका 27 में कहा गया है कि शाला का प्रांगण का क्षेत्रफल 8260 स्कव्यर मीटर, बिल्ट अप एरिया 5648.36 स्केयर मीटर, खेल के मैदान का क्षेत्रफल 2968 स्केयर मीटर, कुल कक्षाएं 19, प्रयोगशालाओं में बायोलाजी, फिजिक्स, रसायनशास्त्र, गणि, कम्यूटर साईंस की एक एक उपलब्ध होना आवश्यक है। इसके अलावा शाला के पुस्कालय मंे 20 गुणा 22 साईज की कुल तीन हजार एक सौ छियत्तर किताबें होना आवश्यक है। इसकी कंडिका 29 कहती है कि स्पेशल कंडीशन्स को तीन माह के अंदर ही पूरा करना अनिवार्य है।

(क्रमशः जारी)

कोई टिप्पणी नहीं: