गुरुवार, 19 अगस्त 2010

फोरलेन विवाद का सच -------------- 12

जनमंच ने ली थी फोरलेन मामले को सर्वोच्च न्यायालय में उठाने की जवाबदारी

लोगों ने मुक्त हस्त से दिया था सहयोग

लोगों की भड़ास निकली थी पहली बैठक में

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली 19 अगस्त। उत्तर दक्षिण फोरलेन गलियारा सड़क परियोजना के नक्शे से सिवनी जिले का नामोनिशान मिटाने के मामले मंे लोगों के दिलों में जल रही आग शोले में तब्दील होने लगी थी। स्थानीय लोगों की उपस्थिति में हुई पहली बैठक में लोगों ने इस मामले में तबियत से अपनी अपनी भड़ास निकली थी। वक्ताओं के आक्रोश को देखकर लगने लगा था कि चाहे जो भी हो जाए अगली छः माही में फोरलेन मुद्दा सुलटा ही लिया जाएगा।

बैठक में राजनैतिक दलों से जुड़े सदस्यों ने हिस्सा लिया था किन्तु पहली बैठक में जब वक्ताओं की भड़ास सामने आई तो यह बात स्थापित होती नजर आ रही थी कि जनता का मंच जनमंच पूरी तरह गैर राजनैतिक ही है। सभी वक्ताओं ने इस बैठक में अपने अपने दलों और नेताओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के आगे सिवनी के हित को सर्वोपरि माना था। वक्ताओं के इस रवैए की सर्वत्र भूरी भूरी प्रशंसा भी हुई थी।

बताया जाता है कि वक्ताओं के उद्बोधन के उपरांत यह बात निकलकर सामने आई कि फोरलेन परियोजना को सिवनी न न होकर गुजारने के पीछे ‘वाईल्ड लाईफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया‘ की एक याचिका है, जिसमें वन्य जीवों और पर्यावरण को बचाने की दुहाई देते हुए इस सड़क को सिनी से होकर न गुजारना प्रस्तावित किया गया था, क्योंकि सिवनी से खवासा के बीच के सड़क के मार्ग में रक्षित वन और पेंच राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा पड़ता है।

जब यह बात सामने आई कि उक्त गैर सरकारी संस्था ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की है, तब केंद्रीय साधिकार समिति ने आकर तत्कालीन जिला कलेक्टर से पेड़ो की कटाई रोकने का आग्रह किया था, जिसे तत्कालीन जिला कलेक्टर पिरकीपण्डला नरहरि द्वारा राज्य शासन से आदेश आने हैं की प्रत्याशा में स्वीकार कर लिया था। इस पर आम सहमति यह बनी कि मामले में सिवनी का जनमंच ‘हस्तक्षेपकर्ता‘ की हैसियत से अपना पक्ष रखेगा।

इसी बीच बैठक में सुझाव आया कि दिल्ली आने जाने और सर्वोच्च न्यायालय मंे वकील करने में काफी पैसा व्यय होने वाला है, तब शहर के लोगों ने मुक्त हस्त से अपना अपना आर्थिक सहयोग इस मामले के लिए दिया था। जनमंच की ओर से इकलौते अधिकृत पदाधिकारी महेंद्र देशमुख को इसका प्रवक्ता नियुक्त कर दिया गया। इस हेतु कितनी राशि एकत्र हुई थी इसका ब्योरा भी अगले दिन कुछ समाचार पत्रों ने प्रकाशित कर दिया था।

(क्रमशः जारी)

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