शिक्षा का अधिकार कानून के प्रति संजीदा हुई केंद्र सरकार
सूबाई सियासत से शिक्षक भर्ती प्रक्रिया अलग करने की कवायद
प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिश को अमली जामा पहनाया एचआरडी ने
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली 20 अगस्त। शिक्षा का अधिकार कानून के लागू होने के बाद केंद्र और राज्य सरकारांे के बीच चल रही रस्साकशी के बीच अब केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के हाथ से शिक्षकों की भर्ती को अलग करने का फरमान जारी कर दिया है। केंद्र सरकार ने एक परिपत्र जारी कर राज्य सरकारों से कहा है कि वे अपने अपने सूबों में शिक्षकों की नियुक्ति का काम अलग संस्थानों के माध्यम से करवाएं।
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा राज्यों को जारी एक पत्र में कहा गया है कि राज्यों की सरकारें शिक्षक भर्ती बोर्ड का गठन कर शिक्षकांे की भर्ती के काम को अपने से अलग करंे। इससे शिक्षकों की गुणवत्ता को बरकरार रखने के साथ ही साथ शालाओं में रिक्त पदों की संख्या में कमी आएगी और भर्ती प्रक्रिया को सुचारू बनाया जा सकेगा।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि कुछ समय पूर्व अस्तित्व में आई किन्तु धूल खा रही प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशों को लागू करना अब जरूरी हो गया है। सूबाई सरकारें शिक्षकांे की नियुक्ति तो करती हैं, किन्तु उसके पास शिक्षकों व्यापक स्तर पर भर्ती के लिए बुनियादी तंत्र ही मौजूद नहीं है।
गौरतलब है कि राज्य सरकारों द्वारा अपनाई जाने वाली भर्ती प्रक्रिया में भाई भतीजावाद और भ्रष्टाचार की गूंज होती रही है। इनमें गड़बड़ी होने से मामला कोर्ट कचहरी में सालों साल उलझा रहता है, साथ ही साथ अप्रशिक्षित और अयोग्य लोगों को इसमें मौका मिल जाता है जिससे योग्य और प्रशिक्षित शिक्षक निजी शालाओं में हजार से तीन हजार रूपए तक की नौकरी करने पर मजबूर हो जाते हैं।
वैसे भी शिक्षा का अधिकार कानून के लागू होने के बाद राज्यों की सरकारें शिक्षकों की भर्ती में पूरी तरह नाकाम रही हैं। यही कारण है कि देश में आज भी आठ लाख से अधिक शिक्षकों की कमी है। केंद्र सरकार ने इस कमी और राज्यों की भर्ती प्रक्रिया को देखते हुए कहा है कि सरकारें इसके लिए स्वायत्त एजेंसी अथवा बोर्ड का गठन करे, और इस प्रक्रिया से खुद को प्रथक रखें। इस प्रक्रिया में शिक्षकों की भर्ती बारह माह जारी रहेगी। इसमें भर्ती की प्रक्रिया बेंकिंग भर्ती बोर्ड और रेल्वे भर्ती बोर्ड की तर्ज पर रखी जाने की उम्मीद है।
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