क्यों बढ़ा मोबाईल कंपनियों का सिवनी के प्रति आकर्षण
मोबाईल के क्षेत्र में सिवनी जिले में रिलायंस, बीएसएनएल दो ही कंपनियों ने मुख्य तौर पर अपना नेटवर्क स्थापित किया था। इनमें से भारत संचार निगम लिमिटेड का नेटवर्क हर जगह मिलने के चलते सिवनी को इसके नक्शे में स्थान मिला था। 2003 के उपरांत सिवनी जिले में अचानक ही निजी क्षेत्र की मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनियों की बाढ़ सी आ गई। सिवनी वासी हतप्रभ थे कि मोबाईल कंपनियों को सिवनी में एसा क्या पोटेंशियल दिखा कि उन्होंने अपना नेटवर्क यहां स्थापित कर लिया। दरअसल निजी कंपनियों को उत्तर दक्षिण गलियारे में हर स्थान पर मोबाईल का नेटवर्क अपने उपभोक्ताओं को प्रदान करना था, इसीलिए सिवनी में भी अनेक कंपनियों ने अपने अपने स्टाकिस्ट भी बना दिए।
(लिमटी खरे)
मोबाईल के क्षेत्र में सिवनी जिले में रिलायंस, बीएसएनएल दो ही कंपनियों ने मुख्य तौर पर अपना नेटवर्क स्थापित किया था। इनमें से भारत संचार निगम लिमिटेड का नेटवर्क हर जगह मिलने के चलते सिवनी को इसके नक्शे में स्थान मिला था। 2003 के उपरांत सिवनी जिले में अचानक ही निजी क्षेत्र की मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनियों की बाढ़ सी आ गई। सिवनी वासी हतप्रभ थे कि मोबाईल कंपनियों को सिवनी में एसा क्या पोटेंशियल दिखा कि उन्होंने अपना नेटवर्क यहां स्थापित कर लिया। दरअसल निजी कंपनियों को उत्तर दक्षिण गलियारे में हर स्थान पर मोबाईल का नेटवर्क अपने उपभोक्ताओं को प्रदान करना था, इसीलिए सिवनी में भी अनेक कंपनियों ने अपने अपने स्टाकिस्ट भी बना दिए।
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली 02 सितम्बर। आज सिवनी जिले में देश की शायद ही कोई एसी मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनी हो जिसका नेटवर्क न मिल रहा हो। कल तक बीएसएनएल की सिम लेने के लिए मारामारी के लिए मशहूर सिवनी में अब चाहे जिस कंपनी की सिम आसानी से उपलब्ध हो पा रही है। सिवनीवासी आश्चर्यचकित थे कि देश की नामी गिरामी कंपनियों को आखिर सिवनी जिले में एसा क्या दिखा कि सेवा प्रदाता कंपनियों ने अपना गढ सिवनी को बना लिया। सिवनी में उपभोक्ताओं की तादाद देखकर यह नहीं कहा जा सकता है कि सिवनी में नेटवर्क स्थापित करना इन कंपनियों के लिए कहीं से कहीं तक फायदे का सौदा साबित हो।
इक्कीसवीं सदी के आरंभ में जैसे ही बीएसएनएल ने सिवनी में अपना मोबाईल नेटवर्क आरंभ किया तब सिवनी में बीएसएनएल की सिम प्राप्त करना अपने आप में एक स्टेटस सिंबाल बन गया था। इसका कारण यह था कि उस समय मोबाईल फोन को विलासिता की श्रेणी में रखा गया था। उस दौरान मोबाईल के हेण्ड सेट भी आज की तुलना बहुत ही अधिक मंहगे हुआ करते थे। 2003 के उपरांत सिवनी में मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनियों ने न केवल यहां मजबूत नेटवर्क के लिए अपने मोबाईल टावर ही स्थापित किए, वरन यहां सिम की बिकावली के लिए अपने अपने स्टाकिस्ट या एजेंट भी नियुक्त कर दिए।
शुरूआती दौर में तो लोगों को भ्रम रहा कि निजी तौर पर मोबाईल सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों को लग रहा था कि सिवनी से उन्हें खासा राजस्व मिल पाएगा जिसके चलते सिवनी में अनेक कंपनियों ने अपनी सेवाएं आरंभ कर दी हैं। शनैः शनैः यह बात साफ होने लगी कि सिवनी से होकर गुजरने वाले उत्तर दक्षिण चतुष्गामी सड़क मार्ग के चलते ही यहां अनेक मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनियांे ने अपनी आमद दी है।
बताया जाता है कि उत्तर दक्षिण चतुष्गामी सड़क मार्ग के सिवनी से होकर गुजरने के कारण ही सिवनी में इन कंपनियों ने अपनी नजरें इनायत की थीं। दरअसल मोबाईल कंपनियां चाह रही थीं कि स्वर्णिम चतुर्भुज और उसके अंग नार्थ साउथ और ईस्ट वेस्ट कारीडोर पर मोबाईल धारकों को मोबाईल सेवा निर्बाध तौर पर मिलती रहे। यही कारण है कि मार्ग में पड़ने वाले हर जिले, तहसील, विकासखण्ड, या कस्बे में मोबाईल की रिंगटोन बजना आरंभ हो गई थी।
सिवनी में भी कमोबेश यही हुआ। निजी तोर पर सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों द्वारा यहां नेटवर्क हेतु अपने मोबाईल टावर्स स्थापित करना आरंभ कर दिया। इन सभी का मुकाबला भारत सरकार के उपक्रम भारत संचार निगम लिमिटेड से था, अतः इन्होंने अपने अपने बीटीएस को अधिक शक्तिशाली बनाना आरंभ किया। वरना सिवनी में मोबाईल के उपभोक्ताओं से अर्जित राजस्व इन कंपनियों के खर्चों की तुलना में उंट के मुंह में जीरे के समान ही था।
बताया जाता है कि कंपनियों को यह भय भी सता रहा था कि अगर उन्होने सड़क मार्ग मेें अपना नेटवर्क कमजोर दिया या नहीं दिया तो आने वाले समय में उसके उपभोक्ता किसी अन्य मोबाईल सेवा प्रदाता की सेवाएं लेना आरंभ न कर दे। इसलिए घाटे का सौदा होने के बावजूद भी कंपनियों ने सिवनी में अपनी सेवाएं व्यापक स्तर पर देना आरंभ कर दिया था, जो अब तक जारी है। सिवनी जिले में भले ही लखनादौन से खवासा तक सड़क मार्ग में सभी कंपनियों की घंटियां घनघना रही हों पर जरूरी नहीं है कि सुदूर ग्रामीण अंचलों में भी उनकी आवाज सुनाई दे रही हो।
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