भाजपा और कमल नाथ में जारी है नूरा कुश्ती
(लिमटी खरे)
कांग्रेसनीत केंद्र सरकार में भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ और मध्य प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी में नूरा कुश्ती तेज हो गई है। कभी भाजपा की मध्य प्रदेश सरकार के लोक कर्म मंत्री दिल्ली जाकर मध्य प्रदेश को कमल नाथ द्वारा सबसे अधिक राशि देने के चलते कमल नाथ की शान में कसीदे पढ़ते हैं तो कभी सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान द्वारा दिल्ली में ही पत्रकार वार्ता मध्य प्रदेश को सड़क के मामले में केंद्र द्वारा सबसे अधिक आवंटन दिए जाने की बात कहकर कमल नाथ का पक्ष लिया जाता है। इससे उलट चंद माहीनों के अंदर ही भारतीय जनता पार्टी के मध्य प्रदेश पादाधिकारियों की बैठक में मुख्यमंत्री और लोक कर्म मंत्री की उपस्थिति में यह निर्णय लिया जाता है कि चूंकि कमल नाथ द्वारा सड़कों के मामले में मध्य प्रदेश के साथ पक्षपात किया जा रहा है अतः भाजपा अब सड़कों पर उतरेगी! जनता के साथ भाजपा के कार्यकर्ता भ्रम में है कि वह मंत्रियों की बात को सच माने या फिर प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक में लिए निर्णय को!, क्योंकि दोनों ही मामलात में मुख्यमंत्री उपस्थित थे। अब लगता है कि सड़क मंत्री से सड़क पर ही भिड़ेगी भाजपा।
भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ जिस भी विभाग के मंत्री रहे हैं, उन्होंने मध्य प्रदेश विशेषकर छिंदवाड़ा को अपने नेतृत्व वाले विभाग के मामले में पूरा समृद्ध किया है। पिछली मर्तबा वाणिज्य और उद्योग का उदहारण अगर छोड़ दिया जाए तब छिंदवाड़ा वासी हमेशा ही गर्व से कह सकते हैं कि उनका नेतृत्व कमल नाथ जैसा सशक्त व्यक्तित्व कर रहा है। वर्तमान में भूतल परिवहन मंत्रालय (इतिहास में पहली बार इस विभाग को कमजोर करने के लिए जहाजरानी मंत्रालय को इससे प्रथक किया गया है) का नेतृत्व करने वाले कमल नाथ ने अपने संसदीय क्षेत्र जिला छिंदवाड़ा में राष्ट्रीय राजमार्ग का जबर्दस्त जाल बिछाने का मास्टर प्लान तैयार कर लिया है। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि कमल नाथ चाहते हैं कि उनके संसदीय क्षेत्र जिला छिंदवाड़ा में विश्व का सबसे बड़ा चौगड्डा वह भी राष्ट्रीय राजमार्ग का स्थापित हो जाए ताकि लोगों की स्मृतियों में वे सदा ही बने रहें। नरसिंहपुर, नागपुर, ओबेदुल्ला गंज नागपुर, मुलताई सिवनी बालाघाट गोंदिया, आदि मार्गों को एनएच में तब्दील करवाने का काम इसी मंशा के तहत ही किया जा रहा लग रहा है।
इतना ही नहीं अटल बिहारी बाजपेयी सरकार की महात्वाकांक्षी परियोजना स्वर्णिम चतुर्भुज के अंग उत्तर दक्षिण फोरलेन गलियारे का काम बहुत ही दु्रत गति से जारी है। इस मार्ग में मध्य प्रदेश के सिवनी जिले से गुजरने वाली सड़क को भी शामिल किया गया था। इस काम को एनएचएआई के सुपरवीजन में करवाया जा रहा था। इसके लिए सिवनी में एक प्रोजेक्ट डायरेक्टर का कार्यालय भी स्थापित किया गया था, जिसमें पीडी की हैसियत से विवेक जायस्वाल की पदस्थापना की गई थी। पिछले कुछ दिनों से विवेक जायस्वाल सिवनी से लापता ही लग रहे हैं। उनका अधिक समय मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में ही बीत रहा है। सिवनी का कार्यालय भी मृत प्राय ही पड़ा हुआ है। सड़क निर्माण का काम प्रत्यक्षतः कराने वाली मीनाक्षी कंस्ट्रक्शन कंपनी और सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी ने भी अपना बोरिया बिस्तर समेट लिया है।
पिछले दिनों भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ ने अपने गृह राज्य मध्य प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाने की तैयारी कर ली थी। इसके अनुपालन में मध्य प्रदेश सरकार ने भी 1337.15 किलोमीटर लंबे 12 स्टेट हाईवे को नेशनल हाईवे में तब्दील करने का प्रस्ताव केंद्र के पास भेजा था, जिसे केंद्र ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। इस स्वीकारोक्ति के पीछे जनता का लाभ कम राजनैतिक बाध्यताएं ज्यादा दिखाई पड़ रही थी। मजे की बात तो यह है कि सदा ही एक दूसरे के लिए तलवारें पजाने वाली भाजपा और कांग्रेस के बीच पहली बार ही किसी मामले में एकमत दिखाई पड़ा। अन्यथा हर मामले में एक दूसरे की सरकारों पर लानत मलानत ही भेजी जाती रही हैं।
इसके बाद मध्य प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री ने दिल्ली में एक समारोह में केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ की तबियत से तारीफ की और यहां तक कहा कि मध्य प्रदेश को सिर्फ और सिर्फ सड़कों के मामले में केंद्र से पर्याप्त सहयोग और समर्थन मिल रहा है। मध्य प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री के कथन के बाद मध्य प्रदेश की ओर से दिल्ली में बैठे जनसंपर्क महकमे के अधिकारियों ने भी एमपी के चीफ मिनिस्टर शिवराज सिंह और केंद्रीय राजमार्ग मंत्री कमल नाथ के बीच मुस्कुराकर बातचीत करने वाले छाया चित्र और खबरें जारी कर दीं। मजे की बात तो यह है कि बारंबार शिवराज सिंह चौहान ने भी कमल नाथ को एक उदार मंत्री होने का प्रमाण पत्र जारी किया है।
बुरदलोई मार्ग स्थित मध्य प्रदेश भवन में पत्रकारों से रूबरू मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जब केंद्र पर भेदभाव का आरोप मढ़ा तब पत्रकारों से शिवराज से पूछा था कि उनके लोक निर्माण विभाग के मंत्री तो कमल नाथ के पक्ष में कोरस गा रहे हैं, तब चिढकर शिवराज ने कहा था कि लोक निर्माण मंत्री क्या वे (शिवराज सिंह चौहान) भी कमल नाथ से मिलते हैं और कमल नाथ मध्य प्रदेश की मदद कर रहे हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके लोक निर्माण मंत्री द्वारा कांग्रेस नीत संप्रग सरकार में कांग्रेस के कोटे के मंत्री कमल नाथ द्वारा उदार भाव से अपने प्रदेश की भाजपा सरकार को मुक्त हस्त से मदद करने की बात जब फिजा में तैरी तो कमल नाथ की छवि दलगत राजनीति से उपर उठकर मदद करने वाले राजनेता की बन गई।
हो सकता है कि शिवराज - कमल नाथ की जुगलबंदी कांग्रेस और भाजपा के नेताओं को रास न आई हो और दोनों ही दलों के सियासतदारों ने मिलकर इस जुगलबंदी को तोड़ने का प्रयास कर दिया हो। वैसे हालात देखकर यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि कमल नाथ और शिवराज सिंह चौहान के बीच जो भी प्रसंग चल रहा था, वह धरातल से इतर कुछ और था, क्योंकि मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय राजमार्गों के उड़े धुर्रे किसी से छिपे नहीं है। आज दूसरे प्रदेशों से मध्य प्रदेश में माल लाने पर ट्रांसपोटर्स भी आनाकानी ही करते हैं, इसका कारण प्रदेश की सड़कों की बुरी दशा ही माना जाएगा।
यह बात भी उतनी ही सच है जितना कि दिन और रात कि मध्य प्रदेश में केंद्रीय मदद से बनने वाली समस्त सड़कों में गुणवत्ता विहीन काम ही किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क परियोजना में ठेकेदारों ने जमकर तबाही मचाई है। अधिकारियों की मिलीभगत से सड़कों की बदहाली किसी से छिपी नही है। मीडिया कितना भी चीख चिल्ला ले, पर इन पर कोई कार्यवाही नहीं होना, शासक प्रशासक और ठेकेदार के बीच की जुगलबंदी को रेखांकित करता है।
मध्य प्रदेश में चल रहे कामां में ठेकेदारों ने कम समय में ज्यादा माल कमाने का तरीका खोज लिया है। इस काम में खतरे की गुंजाईश कम और माल पीटने की संभावनाए जबर्दस्त होती है। बड़े ठेकेदारों द्वारा एक साथ अनेक काम ले लिए जाते हैं फिर उसे छोटे ठेकेदारों के बीच बांट देते हैं। छोटे ठेकेदार अपने हिसाब से कम गुणवत्ता में काम निपटा देते हैं, बड़े ठेकेदारों द्वारा ‘‘मेनेज्ड‘‘ अधिकारियों द्वारा इसकी गुणवत्ता को प्रमाणित कर दिया जाता है। उपर से देखने पर यही प्रतीत होता है कि काम को बड़ा मूल ठेकेदार ही संपादित करवा रहा है।
सरकारी आंकड़े चाहे जो कहंे पर हकीकत यह है कि आज मध्य प्रदेश में एक हजार और पांच सौ से अधिक की आबादी वाली बसाहटों की तादाद 16 हजार 894 है जिनमें से पांच सौ से ज्यादा आबादी वाली 3 हजार बासठ तो एक हजार से ज्यादा आबादी वाली पांच हजार दो सौ पच्चीस इस तरह कुल आठ हजार दो सौ सत्यासी गांव ही जुड सके हैं सड़कों से। देखा जाए तो सेंट्रल एडेड स्कीम के बावजूद भी पचास फीसदी गांव इससे नहीं जुड़ सके हैं, और जो गांव जुड़े भी हैं उनमें सड़कों की गुणवत्ता एकदम घटिया है। जब भी जांच दल निरीक्षण के लिए जाता है, विभाग के कमीशनखोर अधिकारी कर्मचारियों द्वारा ठेकेदार को चेता दिया जाता है और जगह जगह गड्ढों को भर दिया जाता है। इसके उपरांत जब निरीक्षण दल आता है तब उसकी सेवा टहल में ठेकेदार नतमस्तक हो जाता है। निरीक्षण दल द्वारा भी अपनी अंटी में माल भरकर औपचारिकताएं पूरी कर रवानगी डाल दी जाती है।
बहरहाल मध्य प्रदेश में हाल ही में प्रदेश पादाधिकारियों बैठक में एक निर्णय लिया जाकर सभी को चौंका दिया गया है। राज्य के राष्ट्रीय राजमार्गों के रखरखाव के लिए कंेद्र से मिलने वाली राशि के बंद करने के विरोध में भाजपा ने उन्हीं राजमार्ग मंत्री कमल नाथ जिनकी तारीफ करते मुख्यमंत्री और सूबे के लोक निर्माण मंत्री नहीं थकते हैं, के खिलाफ सड़कों पर उतरने का फैसला कर लिया है। देखा जाए तो इन सड़कों के रखरखाव की जवाबदारी केद्र सरकार की है क्योंकि नेशनल हाईवे के नोटिफिकेशन के उपरांत ये केंद्र सरकार की संपत्ति हो जाती है।
भाजपा का कहना है कि वह 5 से 7 अक्टूबर तक नेशनल हाईवे पर पड़ने वाले कस्बों और ग्रामों में हस्ताक्षर अभियान चलाएगी फिर 22 से 24 अक्टूबर तक इन्ही ग्रामों में मानव श्रंखला बनाई जाने के उपरांत 10 नवंबर को भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष 10 नवंबर को प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे। भाजपा के इस निर्णय से कमल नाथ और भाजपा के बीच नूरा कुश्ती और तेज हो गई है, इसका कारण यह है कि भाजपाध्यक्ष प्रभात झा इन दिनों प्रदेश के दौरे पर हैं, वे राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे अवस्थित जिला, तहसील, विकासखण्ड मुख्यालयों के अलावा गांवों और कस्बों से भी विचर रहे हैं और उन्होंने कहीं भी अपने कार्यकर्ताओं को प्रदेश पदाधिकारियों के इस महत्वपूर्ण निर्णय की जानकारी देकर इसे सफल बनाने का आव्हान नहीं किया है। आश्चर्य तो इस बात पर हो रहा है कि प्रभात झा खुद भी सड़क मार्ग से गुजर रहे हैं, और सड़कों पर हिचकोले खाती चलती उनकी आलीशान विलासिता पूर्ण गाड़ी के बाद भी उनकी तंद्रा नहीं टूट पा रही है।
जब मध्य प्रदेश में सत्ताधारी और केंद्र में विपक्ष में बैठी भाजपा का आलम यह है तो गरीब गुरबों की कौन कहे, वह भी तब जबकि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की आसनी पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सालों साल सींची गई मध्य प्रदेश की विदिशा संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीती सुषमा स्वराज विराजमान हों, तब भी मध्य प्रदेश की सड़कें इस तरह से बदहाल हो रही हो, केंद्र के मंत्री मध्य प्रदेश के साथ अन्याय कर रहे हों, इस अन्याय के बाद भी पता नहीं किस बात से उपकृत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और सूबे के लोक निर्माण मंत्री दोनों ही केंद्र सरकार को कोसकर भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ की तारीफों में तराना गा रहे हों, साथ ही साथ भाजपा द्वारा कमल नाथ के द्वारा प्रदेश के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार करने के आरोप में सड़कों पर उतरने की बात की जाए तो यह तथ्य निश्चित तौर पर शोध का ही विषय माना जाएगा।
भाजपा की दो तरह की नीतियों के कारण अब जनता के साथ भाजपा कार्यकर्ताओं में भी भ्रम का वातावरण बनना लाजिमी है कि वे शिवराज सिंह चौहान के कथनों पर यकीन कर भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ को ‘‘दानवीर कर्ण‘‘ की संज्ञा दें, या भाजपा के प्रदेश पदाधिकारियों के निर्णय से कमल नाथ और शिवराज की जुगलबंदी को ‘‘बाबा भारती और खड़ग सिंह‘‘ की कहानी से जोड़ें, या फिर लंबे समय से हो रही प्रदेश के राष्ट्रीय राजमार्गों की दुर्दशा को देखने के बाद उनकी तुलना ‘‘महाराज ध्रतराष्ट्र‘‘ से करने की सोचें?
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