किसकी सेहत के लिए है कामन वेल्थ गेम्स
(लिमटी खरे)
जनता की गाढ़ी कमाई के हाजारांे करोड़ फूंककर तमाशा देखने वाले अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी सहित सारे सियासी दलों को इस बात से कोई सरोकार नहीं है कि कामन वेल्थ गेम्स में भारी भ्रष्टाचार के चलते किसका सबसे अधिक भला हुआ है। आज जनता की किस कदर आफत आई है। सियासी दलों के बीच जारी नूरा कुश्ती के चलते कामन वेल्थ गेम्स के आयोजन में भारत गणराज्य का सर उंचा तो किसी भी दृष्टिकोण से नहीं हो सकता है। अब जबकि इसके आयोजन की उल्टी गिनती आरंभ हो गई है तब इसके आयोजन की तैयारियों में हुए व्यापक भ्रष्टाचार की परतें एक के बाद एक उघड़ना आरंभ हो गई हैं। कहीं फुट ओवर ब्रिज गिर रहा है, तो कहीं सीलिंग धराशायी हो रही है। खिलाड़ियों के लिए बने आवासों में पानी घुसा है तो दीवारें सीपेज की सड़ांध से बजबजा रही है। डेंगू और मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों के डेरे को देखकर लगने लगा है कि आने वाले खिलाड़ी अगर यहां से इस तरह की बीमारियां अपने साथ ले जाएंगे ऐसी परिस्थितियां निर्मित होने लगी है।
2003 में जब भारतीय जनता पार्टी की अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार ने राष्ट्रमण्डल खेलों की मेजबानी हासिल की थी, तब उस सरकार को यह भान कतई नहीं होगा कि अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार द्वारा कामन वेल्थ गेम्स के नाम पर भ्रष्टाचार का खुला, गंदा, नंगा, अश्लील, भोंडा नाच नाचा जाएगा और भाजपा सहित समस्त दलों के सियासतदार कांग्रेस के तराने पर ठुमके लगाते फिरेंगे।
भारत का मीडिया अगस्त माह तक कामन वेल्थ गेम्स में हुए अब तक के भयानकतम भ्रष्टाचार पर गला फाड़ता रहा और कांग्रेस के शासक नीरो के मानिंद चैन की बसी बजाते रहे। भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से देश के नाम दिए उद्बोधन में कामन वेल्थ गेम्स में मेच भ्रष्टाचार को ढांकने की गरज से कहा था कि इस आयोजन को राष्ट्रीय पर्व के तौर पर मनाया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री डॉ. एम.एम.सिह, कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी सहित सभी ने इस आयोजन को होने देने की बात कहकर कहा था कि भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच खेल के आयोजन के उपरांत की जाएगी। कांग्रेस के आला नेताओं की यह बात संकेत थी कि जब तक आयोजन नहीं हो जाता तब तक आयोजन समिति से जुड़े लोगों को भ्रष्टाचार करने की खुली छूट है। बाद में एक जांच आयोग बिठाया जाएगा, जो सालों साल तक जांच करने के उपरांत अगले दो या तीन राष्ट्रमण्डल खेलों के आयोजन के बाद ही अपना प्रतिवेदन सौंपने की स्थिति में आ सकेगा।
कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि सरकार द्वारा नेशनल मीडिया को इसके लिए मनाया गया कि वह कामन वेल्थ गेम्स मंे होने वाली गफलतों को ज्यादा तवज्जो न दे। मीडिया ने सरकार की इस मंशा को फलीभूत भी किया। 15 अगस्त के उपरांत कामन वेल्थ गेम्स से जुड़ी खबरों को मीडिया में बहुत अधिक स्थान नहीं मिल सका। राष्ट्रमण्डल खेलों के भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की खबरों को दबाने के लिए मीडिया ने सरकार से क्या कीमत वसूली या निशुल्क ही यह काम किया यह तो वह ही जाने पर नेशनल मीडिया ने निश्चित तौर पर देशवासियों के गाढ़े पसीने की कमाई का इस तरह की खबरंे न दिखाकर अपमान ही किया है।
भारत के जनसेवक भारत के तंत्र की व्यवस्थाओं को बेहतर जानते हैं। उन्हें पता है कि आकंठ भ्रष्टाचार करने के बाद भी वे किस तरह से अपने आप को सालों साल तक बचाकर रख सकते हैं। यह सच है कि कामन वेल्थ गेम्स से भारत की साख जुड़ी हुई है। इसका सफल आयोजन करने सभी को कंधे से कंधा मिलाना चाहिए, किन्तु जनता के गाढ़े पसीने की कमाई का जिस कदर से खुल दुरूपयोग किया जा रहा है, उस पर बहस एवं उसकी खुली जांच की जाना भी अनिवार्य है।
कामन वेल्थ गेम्स की तैयारियों में रोज ही कोई न कोई अनियमितता होने की बात प्रकाश में आती रही है। अब जबकि इसके आयोजन में दस दिन से भी कम समय बचा है तब जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम के ठीक सामने बन रहे फुट ओवर ब्रिज का भरभरा कर गिर जाना अपने आप में भ्रष्टाचार की एक बानगी ही कहा जाएगा। क्या यह नमूना प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी सहित विपक्ष के गाल पर करारा तमाचा नहीं है।
भ्रष्टाचार के जिस दलदल की बात मीडिया चीख चीख कर कर रहा था, वह अंतिम दिनों में सड़ांध मारने लगा है। दसियों हजार लोगों को एक साथ कदम ताल कर ढोने के लिए तैयार किया गया फुट ओवर ब्रिज महज तीस लोगों के भार को नहीं सह सका। जब यह आलम आयोजन स्थल जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम के पास का है, तो फिर बाकी दूर दराज की तैयारियों के बारे में कहना बेमानी ही होगा।
कहते हैं कि कामन वेल्थ गेम्स के दौरान परिंदा भी पर नहीं मार सकेगा। उधर अतिसंवेदनशील जामा मस्जिद इलाके में जो लाल किले से महज कुछ मीटरों की दूरी पर ही है, वहां दो हथियार बंद मोटर सायकल सवार लोगों ने दिल्ली पुलिस की नाक में दम कर दिया। आतंकियों ने सरेआम सरकार को धमकी दी है, कि भले ही सरकार कामन वेल्थ गेम्स कराने तैयार हो या नहीं वे हमले के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
गृहमंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम कहते हैं कि तैयारियों को जल्द ही पूरा किया जाए ताकि आयोजन स्थल को सुरक्षा बलों के हवाले किया जा सके। सच है जब तक तैयारियां जारी रहेंगी भला कौन किस भेष मंे अंदर घुसकर क्या कर जाए कहा नहीं जा सकता है। अनेक देश के खिलाडियों ने सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं। खबर है कि इंग्लेण्ड ने कहा है कि आना अभी पक्का नहीं है। साथ ही कनाड़ा के दो तीरंदाज केविन टाटारिन और दिएत्मार ट्राईल्स ने भी इस आयोजन में हिस्सा लेने से इंकार कर दिया है। इसके पहले इंग्लेण्ड के तीन एथलीट और आस्ट्रेलिया के डेनी सेम्युअल ने भी भाग लेने से इंकार किया हुआ है। खेलगांव की सुरक्षा को दिल्ली पुलिस ने अपने हाथों में ले लिया है। यह वही दिल्ली पुलिस है, जिसकी पुलिस कंट्रोल रूम वेन के इलाके में होते हुए भी दो हथियार बंद मोटर सायकल सवार जामा मस्जिद के पास गोलीबारी कर फरार हो चुके हैं।
भारोत्तोलन स्टेडियम का निर्माण भी पूरा होना बताया जा रहा था। मजे की बात तो यह है कि इसकी फाल्स सीलिंग भी भरभरा कर गिर चुकी है। यह तो शुक्र मनाया जाना चाहिए कि वह सीलिंग आयोजन के दौरान खिलाडियों पर नहीं गिरी, वरना भारत की जो भद्द अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पिटती उसका अंदाजा लगाया जाना कठिन ही है। कामन वेल्थ की तैयारियों में जिस तरह पैसा बचाने के लिए ‘‘थूक में सतुआ साना गया है‘‘ उसके चलते खेलों के दौरान ही अगर इस तरह का कोई हादसा हो जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
राष्ट्रमण्डल खेलों के शुभारंभ और समापन के लिए 5 करोड़ का गीत रहमान ने तैयार किया। फीके और अनाकर्षक इस गाने के चलते उदघाटन समारोह के फीके होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसकी क्षतिपूर्ति के तौर पर 38 करोड़ रूपए की लागत से बनवाए गए गुब्बारे की हवा भी निकलने लगी है। इस गुब्बारे एयरोस्टेट में भी तकनीकी गडबडियां होने लगी हैं। 80 मीटर लंबे, 40 मीर चौड़े और 12 मीटर उंचे इस गुब्बारे के दो ब्लेडर फट गए बताए जा रहे हैं। इसके अलावा इस एयरोस्टेट को हवा में उठाने की प्रणाली में कुछ तकनीकि पेंच फंस गया है, जिससे यह गुब्बारा हवा में उठ नहीं पा रहा है। इसे समारोह के अवसर पर 30 मीटर उपर उठाया जाना प्रस्तावित है।
कुल मिलाकर कांग्रेस और भाजपा की मण्डलियों ने अरबों रूपए के इस आयोजन में तबियत से भ्रष्टाचार किया है। कांग्रेस के इस भ्रष्टाचार को भाजपा इसलिए जोर शोर से नहीं उठा रही है, क्योंकि कहीं न कहीं उसकी झोली में भी कुछ न कुछ तो आया है। पिछले लंबे अरसे से भाजपा ने कांग्रेस की जनविरोधी, दमनकारी, हिटलरशाही से परिपूर्ण नीतियों के बारे में राष्ट्रव्यापी आंदोलन नहीं छेड़ा है, जो यह साबित करता है कि उपरी स्तर पर कांग्रेस और भाजपा द्वारा एक दूसरे को कांधा दिया जा रहा है, पर जनता को दिखाने के लिए एक दूसरे की टांग खीचने का स्वांग अवश्य ही रचा जा रहा है।
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