बुधवार, 24 नवंबर 2010

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असंगठित मजदूरों को इकट्ठा करना पहली प्राथमिकता : प्रहलाद पटेल

नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल का राजनैतिक पुर्नवास हो गया है। राजधानी दिल्ली में आज भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने श्री पटेल को भारतीय जनता असंगठित मजदूर महासंघ का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया। फिक्की के सभागार में आयोजित गरिमामय कार्यक्रम में उनके नाम की घोषणा की गई।

इस अवसर पर कार्यकर्ताओं से खचाखच भरे सभागार में अपने उद्बोधन में नितिन गडकरी ने कहा कि उन्होनंे पदभार ग्रहण करने के साथ ही यह तय कर लिया था कि वे शोषितों को न्याय अवश्य ही दिलाएंगे। इस तरह के एक महासंघ के गठन की अवधारणा उनके मानस पटल पर सालों से घुमूड रही थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने महाराष्ट्र मेंु इस तरह का संघ बनाकर कुछ प्रयास अवश्य ही किए हैं। गडकरी ने चिंघाड लगाई कि हमारी सज्जनता को दुर्बलता न समझा जाए और हमारी आक्रमकता के मायने गुण्डागर्दी कतई नहीं है।

श्री गडकरी ने कहा कि वे लगभग पचास हजार कामगार यूनियन के अध्यक्ष भी हैं। मुंबई में कामगारों की बदहाली बयान करते हुए उन्होंने कहा कि वहां के कामगारों के बच्चे भीख मांग्रने पर मजबूर हैं और उनके घरों की महिलाएं बार में नाच रही हैं या शराब परोस रही हैं। कांग्रेस पर परोक्ष वार करते हुए गडकरी ने कहा कि भाजपा वैसी पार्टी नहीं है जिसमें देा मालिक और बाकी सब मजदूर मालिक बोलता है और कुत्ते दुम हिलाते आगे पीछे दौड़ते रहेते हैं।

नाम की घोषणा के उपरांत अपने संबोधन में प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि लोगों को संगठित करना उनकी पहली प्राथमिकता होगी, साथ ही मध्य प्रदेश सरकार की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार ने किसानों के पंजीकरण का बेहतरीन काम आरंभ किया है।ै उन्होनें कहा कि उनका प्रयास होगा कि लोगों को चिन्हित कर उनका पंजीकरण कराया जाए।

इस अवसर पर राष्ट्रीय मंत्री रामलाल, दिल्ली प्रदेश भाजपाध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता, प्रभारी महासचिव विजय गोयल, मध्य प्रदेश भाजपाध्यक्ष प्रभात झा, सांसद अनिल माधव दुबे आदि भी उपस्थित थे। सिवनी जिले का प्रतिनिधित्व करते हुए पूर्व मंत्री डाॅ.ढाल सिंह बिसेन, नरेंद्र टांक, महेंद्र सिंह ठाकुर, प्रकाश शर्मा, कलीचरण सनोडिया, संजीव मिश्रा, अरविंद बघेल, मनोज मर्दन त्रिवेदी, तिलक देशमुख, सुदामा गुप्ता आदि ने अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज करवाई।

कुशल प्रबंधकों की कमी से जूझती कांग्रेस

ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

कुशल प्रबंधकों की कमी से जूझती कांग्रेस

भ्रष्टाचार के आरोपों से चौतफा घिरने के बाद अब कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को कुशल प्रबंधकों की कमी खासी खलने लगी है। एक समय था जब कांग्रेस में संकटमोचक के तौर पर बेहतरीन प्रबंधक कुंवर अर्जुन सिंह, गुलाम नवी आजाद, हंसराज भारद्वाज आदि कांग्रेस की लाज बचाने का काम करते थे, आज सिर्फ आजाद ही मंत्रीमण्डल का हिस्सा हैं, शेष दो नेता तो सक्रिय राजनीति से लगभग किनारा कर ही चुके हैं। बीते दिनों पत्रकारों से रूबरू वाम नेता सीताराम येचुरी ने साफ तौर पर कह दिया था कि मनमोहन सिंह की दूसरी पारी में मंत्रियों की चाल मदमस्त हाथी के मानिंद है, बिगडेल और घमंडी मंत्रियों को विपक्ष से कोई लेना देना नहीं बचा है। कांग्रेस में प्रबंधन की कमान इन दिनांे सोनिया गांधी के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल और महासचिव राजा दिग्विजय सिंह के पास परोक्ष तौर पर ही है। दोनों ही नेता अपने निहित स्वार्थों के चलते कांग्र्रेस का बंटाधार करने में कोई कसर नहीं रख छोड रहे हैं। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को महिमा मण्डित करने के चलते अभी तक तो कांग्रेस की छवि पर कुछ खास असर नहीं पड़ा है, किन्तु अब भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते कांग्रेस का सांसे लेना मुश्किल होने लगा है। कांग्रेस की राजमाता को अब कांग्रेस के अंदर वाले कुशल प्रबंधकों की कमी खलने लगी है।



चोरी और सीना जोरी

कामन वेल्थ गेम्स का घोटाला, टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला न जाने कितने घोटाले हैं जिनमें देश की जनता के गाढ़े पसीने की कमाई को चंद नेताओं ने तबियत से उड़ाया और कांग्रेसनीत केंद्र सरकार चुप्पी साधे बैठी रही। दूरसंचार मंत्री ए.राजा के मामले में तो प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह, कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और युवराज राहुल गांधी ने सारी हदें ही पार कर दी हैं। देश की सबसे बड़ी अदालत की फटकार के बाद अब कांग्रेस रक्षात्मक मुद्रा में दिखाई पड़ रही है। युवराज पीएम के साथ खड़े होने का स्वांग रच रहे हैं। देश देख रहा है कि किस तरह उसके गाढे़ पसीने की कमाई को आग लगाई गई, और फिर कांग्रेस के कर्णधार लीपा पोती में जुटे हुए हैं। गजब की दिलेरी और अंधेरगर्दी है। देश की जनता जानना चाह रही है कि आखिर एक मंत्री का इतना साहस कैसे हो गया कि वह मंत्रीमण्डल के फैसले को बलाएताक पर रख दे? कानून मंत्रालय को अपने घर की लौंडी बना डाले? वजीरे आजम की आज्ञा को भी दरकिनार कर दे? यह सब संभव है तो सिर्फ और सिर्फ इक्कसवीं सदी की कांग्रेस में जिसकी बागडोर, श्रीमति सोनिया गांधी के हाथों से राहुल गांधी के हाथों में हस्तांतरित होने को आतुर है।



भ्रष्टाचार पर अब मुंह खोला बाबा रामदेव ने भी

देश में भ्रष्टाचार मिटाने और स्विस बैंक सहित विदेशों में जमा भारतीयों के काले धन को वापस लाने के संकल्प को जगजाहिर करके सियासत की पायदान चढ़ने का सपना देखने वाले स्वयंभू योग गुरू बाबा रामदेव ने भी अब मशहूर उद्योगपति रतन टाटा और राहुल बजाज के बाद अब भ्रष्ट सियासतदारों के खिलाफ मुुंह खोल दिया है। बाबा रामदेव का कहना है कि एक मंत्री ने उनसे रिश्वत के बतौर दो करोड़ रूपयों की मांग की थी। बाबा रामदेव के बाद सिहांसन संभाले पतांजली योग केंद्र के महामंत्री आचार्य बाल कृष्ण ने यह कहकर सभी को चौंका दिया है कि रिश्वत मांगने वाला आज भी उत्तराखण्ड सरकार में मंत्री है। लोग यह सोच सोच कर हैरान हैं कि आखिर कम समय में बाबा रामदेव परिपक्व राजनेता कैसे हो गए, कि उनसे रिश्वत मांगने वाले का नाम उन्होंने लंबे समय तक गुप्त रखा, फिर अब जाकर उसे मंझे हुए राजनेता के मानिंद उजागर कर दिया। लोगों का कहना है कि भले ही बाबा रामदेव भ्रष्टाचार मिटाने का संकल्प लेने की बात कह रहे हों, किन्तु जब उनसे रिश्वत मांगी गई तो वे मौन साधे बैठे रहे! बाबा रामदेव के इस मंझे हुए कदम से लोग कहने से नहीं चूक रहे हैं कि जय हो बाबा रामदेव की।



गडकरी की आगवानी ने खोली यूपी भाजपा की पोल

उत्तर पद्रेश में हासिए पर आ चुकी भारतीय जनता पार्टी का संगठनात्मक ढांचा उत्तर प्रदेश में किस कदर चरमरा चुका है इस बात की एक बानगी है भाजपा के निजाम नितिन गडकरी की पिछले दिनों हुई लखनऊ यात्रा। नितिन गडकरी जब चार्टर्ड प्लेन से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंचे तब अमौसी हवाई अड्डे पर उनकी आगवानी के लिए महज दो दर्जन लोग ही उपस्थित थे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गड़करी जब उतरे तो मुट्ठी भर कार्यकर्ताओं को देखकर उनकी भवें तन गई। भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालय में चल रही बयार के अनुसार नितिन गड़करी का कद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के अनुरूप नहीं होना इसका सबसे बड़ा कारण है। गडकरी के उतरते वक्त आलम यह था कि वहां लखनऊ के संसद सदस्य लालजी टण्डन, लखनऊ के मेयर दिनेश शर्मा सहित अनेक बड़े नेताओं ने भी गडकरी की आगवानी करना मुनासिब नहीं समझा। सबसे अधिक आश्चर्य तो तब हुआ जब गडकरी के साथ आए कालराज मिश्र और रामलाल के स्वागत में भी नेताओं ने हवाई अड्डे पर आमद नहीं दी।



रूक नहीं रही कमल नाथ और रमेश की रार

भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ और पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश के बीच चल रही रस्साकशी थमने का नाम ही नहीं ले रही है। जयराम रमेश के मंत्रालय के अडियल रवैऐ के चलते कमल नाथ की उनके गृह प्रदेश मध्य प्रदेश, उनके प्रभाव क्षेत्र महाकौशल में बुरी तरह भद्द पिट रही है। रमेश हैं कि खुद को पर्यावरण और वन्य जीवों का हिमायती दिखाने का उपक्रम कर रहे हैं, उधर सड़क परियोजनाओं में मंत्रालय की हरी झंडी न मिल पाने के चलते लोग हलाकान हुए बिना नहीं हैं। इसमें सबसे अधिक प्रभाव चार सौ साल पुरानी नागपुर जबलपुर सड़क पर पड़ रहा है। इस सड़क पर पेंच और कान्हा नेशनल पार्क के काल्पनिक वन्य जीव कारीडोर का होना बताया जा रहा है, जिससे सिवनी जिले में इसका निर्माण रोक दिया गया है। दूसरी तरफ कमल नाथ पर आरोप है कि इस सड़क को वे अपनी संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा से होकर ले जाने पर आमदा हैं। मजे की बात तो यह है कि जहां से वे इसे ले जाने का प्रयास कर रहे हैं, वहां सतपुड़ा कारीडोर एक साल से भी अधिक समय से अस्तित्व में आ चुका है। सियासतदारों की सियासत जारी है, राहगीर परेशां हैं. . .।



राज का भय दिखा चव्हाण पर

महाराष्ट्र प्रदेश में अशोक चव्हाण के बाद सत्तारूढ हुए पृथ्वीराज चव्हाण पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के सुप्रीमो राज ठाकरे का भय साफ साफ दिखाई पड़ रहा है। मनसे के सुप्रीमो का मराठी प्रेम (वस्तुतः आतंक) सर चढ़कर बोल रहा है। ठाकरे के मराठी मानुष का प्रभाव पृथ्वीराज चव्हाण के शपथ ग्रहण में भी देखने को मिला। मंत्रीमण्डल की पहली बैठक के बाद पत्रकारों से रूबरू चव्हाण ने अंग्रेजी या हिन्दी में बोलने से स्पष्ट तौर पर इंकार कर दिया। उनका कहना था कि वे भविष्य में भी सिर्फ मराठी में ही बात करेंगे। पृथ्वीराज चव्हाण को यह नहीं भूलना चाहिए कि जिस सूबे के वे निजाम बने हैं, वह अखण्ड भारत का ही हिस्सा है, और भारत की राष्ट्र भाषा हिन्दी है। कल तक वे केंद्र में मंत्री थे, तब तो उन्हें हिन्दी बोलने से परहेज नहीं था, आज अचानक हिन्दी से परहेज और मराठी से प्रेम के पीछे राज ठाकरे का भय ही है। मजे की बात तो यह है कि देश पर आधी सदी से ज्यादा राज करने वाली कांग्रेस भी राज ठाकरे के इस तरह के आंदोलन से बढ़ने वाले भाषावाद, क्षेत्रवाद के बावजूद भी अपना मुंह सिले हुए है।



कांग्रेस का ‘‘राजा‘‘ प्रेम

लगता है कांग्रेस आज भी राजशाही के प्रेम से उबर नहीं सकी है। राजा शब्द कांग्रेस को बेहद ही भाता है। चाहे कांग्रेस के ताकतवर महासचिव राजा दिग्विजय सिंह हों या फिर पूर्व संचार मंत्री ए.राजा। टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले की आंच में रूखसत हुए राजा को संसद भवन में आवंटित कमरे पर आज भी उन्ही की पट्टिका चस्पा की गई है। संसद भवन में पहले माले पर उन्हें आवंटित कक्ष के आजू बाजू कानून मंत्री वीरप्पा मोईली और मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल के कक्ष हैं। गौरतलब है कि कानून मंत्री वीरप्पा मोईली पर राजा को बचाने की जवाबदारी आहूत मानी जा रही है। वहीं दूसरी ओर राजा के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार एचआरडी मिनिस्टर सिब्बल को सौंपा गया है। इस तरह दोनों ही राजा को बचाने की जुगत में लगाए गए लगते हैं। संसद में राजा के कक्ष पर उनके नाम की पट्टिका देखकर लगता है कि राजा चाहे कितने भी भ्रष्ट रहे हों, पर कांग्रेस उनका मोह नहीं छोड़ पा रही है।



अहमद पटेल से खफा हैं मनमोहन

कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ के राजनैतिक सलाहकार अहमद पटेल की क्या औकात बकत होगी, यह समझा जा सकता है। कांग्रेस के कद्दावर नेता भी पद पाने के लिए अहदम पटेल की चौखट पर नाक रगड़ते रहते हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने रात्रिभोज का आयोजन किया। इस रात्रिभोज में मेहमानों की सूची प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार हरीश खरे ने पीएम से चर्चा के बाद फायनल की। इस सूची में ममता, लालू, मुलायम, पासवान के नाम गायब थे। सबसे अधिक हैरानी तो इस बात पर हुई कि कांग्रेस में सोनिया, मनमोहन के बाद तीसरी पायदान पर विराजे अहमद पटेल का नाम इस फेहरिस्त में शामिल नहीं किया गया था। कहते हैं कि पीएम के करीबी कुट्टी नायर की अहमद पटेल से ‘‘कुट्टी‘‘ चल रही है, सो उनके पर कुतर दिए गए। राजनैतिक वीथिकाओं में पीएम के डिनर की सूची से पटेल के नाम के कटने को हैरानी के साथ देखा जा रहा है, साथ ही यह भी माना जा रहा है कि अब पटेल का राजनैतिक ग्राफ भी शनैः शनैः नीचे आ सकता है।



200रूपए वाले सरदारजी हुए अंदर

राजधानी दिल्ली में पुलिस कर्मियों के बीच ‘‘200 रूपए वाले सरदारजी‘‘ के नाम से विख्यात अमृतपाल अब पुलिस हिरासत में हैं। ललिता पार्क हादसे के बाद पुलिस ने उन्हें पकड़ कर अंदर कर दिया है। कहते हैं कि सरदार जी के सारे नाजायज कामों पर पर्दा डालने के लिए वे किसी भी पुलिस वाले के आने पर उसे दो सौ रूपए पकड़ा दिया करते थे। सरदार जी के दर पर जब भी कोई वर्दी वाला गया बस वह दो सौ रूपए की चढ़ोत्री लेकर वापस लौट गया। पुलिस वालों के बीच सरदार अमृत पाल ‘200 रूपए वाले सरदार जी‘ के नाम से प्रसिद्ध हो गए थे। कमजोर भवनों के जरिए लाखों करोड़ों कमाने वाले 200 रूपए वाले सरदार जी ने चंद रूपयों की खनक में न जाने कितनी जिन्दगियां बर्बाद कर डाली हैं। सरदार के 200 रूपए इतने ज्यादा असरदार होते थे कि पुलिस की भी हिम्मत इतनी नहीं होती थी कि वे सरदार पर अकोड़ा कस सके।



लालीपाप ही दिखाकर चले गए ओबामा

दुनिया के चौधरी अमेरिका के महामहिम राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत आए। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के लोगों की दीपावली खराब की, भारतीय व्यवस्थाओं को ढेंगा दिखाया, जलेबी लटकाई और विदा ले ली। प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह अगर समूचे घटनाक्रम का विश्लेषण कर रहे होंगे तो वे पा रहे होंगे कि वाकई ओबामा की यात्रा से भारत को आखिर मिला क्या? भारत के खुफिया तंत्र के अधिकारी भी इस यात्रा में अपने आप को बौना महसूस ही करते रहे। देश की आन बान शान का प्रतीक संसद भवन में सारे नियम कायदों को बलाए ताक पर रखकर ओबामा के सुरक्षा अधिकारियों ने खुफिया कैमरे लगा दिए थे। यह भारत के लिए बेहद अपमान और आपत्तिजनक ही माना जाएगा। सुरक्षा परिषद में स्थाई आसनी के मामले में भी ओबामा ने खुलकर कुछ भी नहीं कहा। लोकसभा में ओबामा की यात्रा के दौरान लोकसभा टीवी के कैमरामैन भी ओबामा के इर्दगिर्द नहीं आ पाए। अमरिका अगर भारत को इतनी ही हीन भावना से देखता है, तो बेहतर होता कि ओबामा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संसद को संबोधित कर देते।



पटेल के खिलाफ जांच में नाथ की स्वीकारोक्ति

महाराष्ट्र की संस्कारधानी नागपुर और मध्य प्रदेश के बैतूल के बीच सड़क निर्माण में हुए कथित भ्रष्टाचार की आग शांत नहीं हो पाई है। लगभग छः माह पहले इस सड़क के निर्माण का ठेका दिल्ली की ओरिएंटल स्ट्रक्चर इंजीनियर्स प्राईवेट लिमिटेड को दिया गया था। इस मामले में सीबीआई ने एनएचएआई के दो अफसरों को पकड़कर उनके पास से एक करोड़ 86 लाख रूपए बरामद भी किए थे। इन अफसरों के फोन, ईमेल आदि के आधार पर सीबीआई ने एनएचएआई के सदस्य एस.आई.पटेल से पूछताछ की इजाजत भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ से मांगी थी। सीबीआई के सूत्रों का दावा है कि 10 हजार आठ सौ करोड़ रूपए के ठेके में गफलत हुई है। कमल नाथ ने अनुमति देने से इंकार कर दिया है। दरअसल सीबीआई पटेल को गिरफ्तार कर पूछताछ करना चाह रही थी।



पापुलरटी बढ़ा रहे शिवराज

देश के हृदय प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि आम आदमी की बनती जा रही है। सूबे में उनके बढ़ते रसूख से दिल्ली के अनेक नेताओं के पैरांे के नीचे की जमीन खिसकने लगी है। शिवराज ने जब से सत्ता संभाली है, तब से उनके द्वारा आरंभ की गई योजनाएं जनता को लुभाने लगी हैं। पहले वे पांव पांव वाले भईया के नाम से मशहूर थे। अब उन्होंने अपने निवास पर सरकारी खर्चे से न जाने कितनी पंचायतें आहूत कर लोगों को लुभा दिया है। फिलहाल वे हर सप्ताह वनवासी यात्रा से सूबे का नाप रहे हैं। भाजपा के केंद्रीय मुख्यालय में इन दिनों शिवराज की बेतकल्लुफी की चर्चाएं जमकर हो रही हैं। शिवराज कही भी चाय के ठेले पर जाकर चाय पीने से भी नहीं हिचकते हैं। इस सबसे पीछे शिवराज का उद्देश्य वे ही जाने पर सूबे में उनकी बढ़ती पकड़ ने अनेक नेताओं की नींद उडा दी है।



पुच्छल तारा

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश का बाघ प्रेम एक बार फिर चर्चाओं में है। पिछले दिनों एक बाघिन की मौत पर उन्होंने पता लगाने की कोशिश की है कि आखिर उसकी मौत कैसे हुई? इसके लिए बाकायदा जांच बिठा दी गई है। बाघों के संरक्षण के लिए कथित तौर पर कटिबद्ध जयराम रमेश की कार्यप्रणाली पर मध्य प्रदेश के जबलपुर से रवि प्रकाश ने ईमेल भेजा है। वे लिखते हैं कि बाघिन की मौत पर जांच बिठा दी गई है, किन्तु दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक सेमीनार में स्वास्थ्य सचिव सुजाता राव के बयान से कोई सरोकार नहीं, जिसमें उन्होंने कहा था कि एक बाघिन के मरने पर इतना हंगामा बरपा दिया, किन्तु देश में अनगिनत गर्भवती महिलाओं की मौत पर किसी को कोई चिंता नहीं है। आखिर यही है नेहरू गांधी के सपनों का भारत, ‘‘जय हो‘‘।

सोमवार, 22 नवंबर 2010

कांग्रेस में सबसे बड़ा कद है राहुल का

ये है दिल्ली मेरी जान
(लिमटी खरे)

कांग्रेस में सबसे बड़ा कद है राहुल का
सियासी दल चाहे कांग्रेस हो या भाजपा, कांग्रेस की नजर मंे भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी का कद सबसे बड़ा हो गया है। इस तरह की चर्चाएं कांग्रेस के दूसरी पंक्ति के सियासतदारों के बीच चल पड़ी हैं। संसदीय सौंध में इन दिनों ओबामा की भारत यात्रा के दौरान हुए मजेदार वाक्ये को चटखारे लेकर परोसा जा रहा है। हुआ दरअसल यह कि दुनिया के चौधरी अमेरिका के महामहिम राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे के दरम्यान उन्हें संसद के सेंट्रल हाल में उन्हें भाषण देना था। इस समय डॉ.मुरली मनोहर जोशी, जयंती नटराजन और टी.सुब्बीरामी रेड्डी एक कतार में ही विराजमान थे। इसी बीच रेड्डी को संभवतः लगा कि वे वहां बैठकर ओबामा से हाथ नहीं मिला पाएंगे, सो अपनी इस सीट को ताकने की गुजारिश उन्होंने जोशी और नटराजन से की और अन्यत्र सीट की तलाश में निकल पड़े। इसी बीच कुछ नेताओं ने खाली सीट को कब्जाना चाहा, किन्तु मुरली मनोहर जोशी और जयंती नटराजन ने उन्हें बता दिया कि वह रेड्डी के लिए रखी हुई है। अचानक ही राहुल गांधी वहां आए और सीट खाली देखकर उस पर बैठ गए। राहुल को मना करने की हिम्मत नटराजन तो नहीं जुटा सकीं पर जोशी की खामोशी भी काफी कुछ कह गई। बात यहीं समाप्त नहीं हो रही है, लोग यह कहने से भी नहीं चूक रहे हैं कि अगर पीएम की कुर्सी पर राहुल धोखे से बैठ गए तो सरदार जी की अनिवार्य सेवानिवृत्ति तय है।

तुरूप कार्ड छूने पर नाराज हुई कांग्रेस
कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी के उपर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रमुख के.एस.सुदर्शन के अमेरिकन गुप्तचर एजेंसी सीआईए के एजंेट होने के हमले के उपरांत कांग्रेस की बासी कढी में उबाल सा आ गया है। कांग्रेस इस बात का मातम मना रही है कि संघ के पूर्व सुप्रीमो ने आखिर ऐसा संगीन आरोप क्यों लगाया? उधर सोनिया गांधी के करीबी कांग्रेसियों से खार खाए कांग्रेस के कुछ सरमायादारों ने इस तरह के आरोपों को हवा देना आरंभ कर दिया है। हालात देखकर यह लगने लगा है कि संघ अब बैकफुट पर आ गया है। संघ ने सोनिया गांधी पर आरोप देश के हृदय प्रदेश की राजधानी भोपाल मंे जड़े हैं। आरोपों के उपरांत कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह ने अपना विरोध दर्ज कराया। कहते हैं कि दिग्गी राजा के समर्थकों ने भोपाल के मीडिया पर्सन को बाकायदा फोन कर उन्होंने खबरों को प्रमुखता से छापने का अनुरोध किया। बाद में जब यह बात कांग्रेस के मध्य प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी को पता चली उन्होंने भी अपना विरोध दर्ज कराया। चर्चा है कि इस सबसे बाद भी पीसीसी में खामोशी ही पसरी रही।


शिव को चुभने लगा है अब कमल!
वैसे तो भगवान शिव को बेलपत्री, धतूरा आदि भाता है, पर अगर कोई कमल उन पर चढ़ा दे तो वे नाराज नहीं होते। मध्य प्रदेश के दो क्षत्रप कमल नाथ और शिवराज सिंह चौहान के बीच लगने लगा है कि अब हनीमून पूरी तरह से समाप्त हो गया है। बार बार लुभावने वादों से केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को तबियत से ‘‘मामा‘‘ बनाया। बाद मे जब मामला शिवराज की समझ में आया तब तक काफी देर हो चुकी थी। सूत्रों के अनुसार कमल नाथ ने मध्य प्रदेश को सबसे ज्यादा रकम देने का लाईलप्पा टिकाया, बाद में असलियत सामने आई तो प्रदेश भाजपा ने कमल नाथ को घेरने का प्रयास किया। इसी बीच खजुराहो की इंवेस्टर्स मीट का न्योता देने दिल्ली गए शिवराज को एक बार फिर लोक लुभावने सपने दिखाकर कमल नाथ ने शिवराज को चारों खाने चित्त कर दिया। इस मीट में अरूण यादव को छोड़कर और कोई नहीं पहुंचा। फिर क्या था शिव का तीसरा नेत्र तो खुलना ही था। कहा जा रहा है कि इस तीसरे नेत्र पर दिल्ली में बैठे भाजपा के आला नेता ही पट्टी बांधने की तैयारी में हैं।

अरूण डाउन, सुषमा अप
दुनिया के चौधरी अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा ने भारतीय जनता पार्टी में भी अंदरूनी सियासत जबर्दस्त गर्मा गई है। ओबामा के जाने के बाद अब भाजपा के आला नेताओं की रंेकिंग भी अघोषित तौर पर की जाने लगी है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज और राज्य सभा के अरूण जेतली के बीच भी नंबर वन की होड़ में दोनों ही के समर्थकों का मन उपर नीचे हुए बिना नहीं है। ओबामा की यात्रा में सुषमा स्वराज की टीआरपी में जबर्दस्त उछाल दर्ज किया गया है, किन्तु अरूण जेतली का ग्राफ नीचे आ गया है। ओबामा के दौरे में समयाभाव में यह तय कर पाना मुश्किल था कि सुषमा स्वराज को ओबामा से मिलवाया जाए या फिर अरूण जेतली को। अंततः मामला स्वराज के पक्ष में फैसला हुआ। सुषमा के मिलने के बाद जेतली खेमा अपने आप को बहुत बेईज्जत महसूस करता रहा। जेतली खेमे ने सारा जोर लगा दिया। बाद में प्रधानमंत्री के भोज में जेतली को ओबामा से मिलने का अवसर मिल ही गया। अब जेतली खेमा आहत है कि उनके सरमायादार अरूण जेतली की रेंकिग सुषमा स्वराज के बाद नंबर दो पर आ गई है।

‘‘गरीब कोटे‘‘ के कारण नए चव्हाण भी हैं संकट में
महाराष्ट्र के नए निजाम पृथ्वीराज चव्हाण पर भी अंधेरगर्दी, घोटाले की आंच आने लगी है। चव्हाण पर आरोप है कि उन्होनें बतौर सांसद अपने पद का दुरूपयोग कर आधा करोड़ मूल्य का एक फ्लेट महज चार लाख रूपए में खरीदा था। सूचना के अधिकार कार्यकर्ता ने इस बात का खुलासा करके ठहरे हुए पानी में कंकर मार दिया है। मुंबई के एक आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गाल्गली का दावा है कि देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के वडाला क्षेत्र के भक्ति पार्क की बिल्डिंग नंबर 12 में पृथ्वीराज चव्हाण के नाम पर एक मकान है। सांसद चव्हाण को यह आवास ‘‘गरीब कोटे‘‘ में आवंटित किया गया है। 20 मई 2003 को चव्हाण केा यह फ्लेट आवंटित हुआ तब वे सांसद थे। चव्हाण द्वारा इस आवास के लिए जो दस्तावेज संलग्न किए गए थे, उसमें उनकी खुद की मासिक आय 76 हजार रूपए अर्थात नौ लाख बारह हजार रूपए सालाना और एक राशन कार्ड जो उनकी स्वर्गीय माता परमिलबाई दाजीसाहेब चव्हाण के नाम पर था, में पारिवारिक आय आठ हजार रूपए माहवार यानी लगभग एक लाख रूपए सालाना दर्शाई गई थी। कथित तौर पर बेदाग छवि के धनी समझे जाने वाले पृथ्वीराज चव्हाण ने अपने नामांकन के दौरान दायर हलफनामे में भी इस फ्लेट का जिकर करना मुनासिब नहीं समझा था। कहा जा रहा है कि खुद दागदार मुख्यमंत्री क्या निर्वतमान दागदार नेता के काले कारनामों की जांच ईमानदारी से कर पाएगा।

‘‘राजा‘‘ को लेकर उबलने लगी है सियासत
टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले में केंद्रीय संचार मंत्री ए.राजा के लिप्त होने के आरोपों के बाद विपक्ष ने अपनी बोथरी धार को पजाना आरंभ कर दिया है। विपक्ष चाहता है कि इस मामले में अव्वल तो राजा को हटाया जाए, फिर संयुक्त संसदीय समिति के जरिए इस पूरे घोटाले की जांच की जाए। पौने दो लाख करोड़ रूपयों के टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले के सुर्खियों में बने रहने के बावजूद भी कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के चेहरे पर शिकन भी नहीं दिख रही है। कांग्रेस अपने अधिवेशन में भ्रष्टाचार पर चर्चा न कर यही साबित कर रही है कि उसे भ्रष्टाचार और घोटालों से बहुत अधिक लेना देना नहीं है। उधर द्रमुक राजा के बचाव में आगे आ रहा है। द्रमुख ने साफ कहा है कि सीबीआई जांच के नतीजे आने तक विपक्ष को धैर्य रखना चाहिए, साथ ही यह धमकी भी दी है कि अगर राजा को हटाया तो सात मंत्री त्यागपत्र दे देंगे। अन्नाद्रमुक की जयललिता ने कांग्रेस के सामने जलेबी लटकाई है कि अगर राजा को हटाया जाता है तो वे 18 सांसदों का समर्थन जुटाकर सरकार को गिरने से बचा लेंगी। कांग्रेस के रणनीतिकार पशोपेश में हैं क्योंकि राजा को हटाकर अगर जयललिता को साधा तो जयललिता की बारगेनिंग कांग्रेस को बहुत अधिक मंहगी पड़ने वाली है।

भाजपा की ओर बढ़ रहा है एनडी का रूझान
एक समय कांग्रेस की नाक का बाल रहे नारायण दत्त तिवारी अब कांग्रेस में ही बेगाना महसूस कर रहे हैं। उमर दराज हो चुके कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तिवारी कांग्रेस के रवैए से अपने आप को आहत महसूस कर रहे हैं। वैसे भी कांग्रेस के खेमे में यह बात गूंजने लगी है कि सालों साल कांग्रेस का झंडा मजबूत करने में जीवन गंवाने वाले कांग्रेसियों को उमर के आखिरी पड़ाव में राजनैतिक तौर पर असहाय होना पड़ रहा है। इस मामले में लोग पूर्व प्रधानमंत्री पी.व्ही.नरसिंहराव, पूर्व केंद्रीय मंत्री कुंवर अर्जुन सिंह, सुश्री विमला वर्मा, विद्याचरण शुक्ल आदि का उदहारण दे रहे हैं। इनके मौका परस्त अनुयायी और चाहने वालों ने भी दूसरे गुटों को साधने में देरी नहीं की है। बहरहाल हाल ही में उत्तराखण्ड के स्थापना दिवस पर आंध्र के पूर्व राज्यपाल एन.डी.तिवारी की मोजूदगी से इन कयासों पर बल मिला कि वे भाजपा की बांह थाम सकते हैं, किन्तु नारायण दत्त तिवारी को यह कतई नहीं भूलना चाहिए कि दूसरे दलों से भाजपा में जाने वालों की सीनियारिटी भाजपा में जीरो से ही आंकी जाती है।

राजा और पटेल में समानता!
कांग्रेस के आला नेता इन दिनों कांग्रेस के दो ताकतवर महासचिवों, राजा दिग्विजय सिंह और अहमद पटेल के बीच समानताएं खोज रहे हैं। समानता नंबर एक दोनों ही नेता कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ के सबसे करीब हैं। दो - दोनों ही नेताओं से कांग्रेस की नजर में भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी मशविरा लिया करते हैं। तीन - कांग्रेस के आला क्षत्रप भी दोनों ही नेताओं की देहरी पर सर रगडकर अपने आप को धन्य समझते हैं। चार - दोनों ही नेताओं ने अपने अपने गुर्गों को ताकतवर बनाकर अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया है। पांच - दोनों ही नेताओं की नजरें तिरछी होने पर कांग्रेस के आला कमान की नजरें तिरछी होने में समय नहीं लगता। छः - दोनों ही नेताओं का सेंस ऑफ ह्यूमर गजब का है। सात - दोनों ही नेताओं ने प्रदेश से निकलकर केंद्रीय राजनीति में कम समय में ही अपने आप को स्थापित कर प्रभावशाली जगह बनाई है। कांग्रेस मुख्यालय में एक वरिष्ठ नेता ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि एक समानता आप भूले जा रहे हैं, जिस तरह अहमद पटेल ने गुजरात में कांग्रेस का बट्टा बिठाकर नरेंद्र मोदी को मजबूत किया है, उसी राह पर चलते हुए राजा दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश मंे कांग्रेस का बट्टा बिठाकर भाजपा की उन्नति के मार्ग प्रशस्त किए हैं।

चर्चा में है भूतल परिवहन मंत्रालय!
यह बात तो सच है कि मूलतः उद्योगपति राजनेता कमल नाथ जिस किसी भी विभाग में मंत्री रहे हैं, वह विभाग चर्चाओं में आ ही जाता है। वन एवं पर्यावरण मंत्री रहते हुए पृथ्वी सम्मेलन में भारत की जोरदार उपस्थिति से उन्होंने तालियां बटोरी थीं। इसके बाद पदावनत होते हुए वस्त्र मंत्रालय संभाला, तब भी उनका मंत्रालय चर्चाओं में रहा। पिछली मर्तबा वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का प्रभार संभालते हुए उन्होंने विदेश यात्राओं का खासा रिकार्ड कायम कर दिया, किन्तु अपने संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा और मध्य प्रदेश की झोली सूनी ही रखी। अब भूतल परिवहन मंत्रालय जमकर चर्चा में है। सड़क परिवहन, पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय संबंधी संसदीय स्थाई समिति ने भूतल परिवहन मंत्रालय के अधिकारियों की सुस्त कार्यप्रणाली पर जमकर फटकार लगाई है। दरअसल मोटर वाहन अधिनियम के संशोधन को लेकर समिति ने विभाग को विरोध, शिकायतें और सुझाव भेजे थे। अधिकारियों ने इसका माकूल जवाब देना उचित नहीं समझा। समिति ने इसे अपनी तौहीन बताया है। समिति ने परिवहन सचिव को कहा है कि अब तक की गई तमाम कार्यवाही को लिखित तौर पर समिति के समक्ष पेश किया जाए।

यह है शिव के हाल में प्रजा का हाल सखे!
देश का हृदय प्रदेश कहलाता है मध्य प्रदेश। 2003 से इस प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का कथित सुशासन और राम राज्य चल रहा है। सबसे पहले उमा भारती फिर बाबूलाल गौर और अब पिछले लगभग पांच सालों से शिवराज सिंह चौहान इस सूबे के निजाम हैं। मध्य प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति अत्यंत जर्जर है। लूट, हत्या, मारपीट, बलवा न जाने कितने तरह के अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा है। छतरपुर में एक कैदी को पेशी पर ले जाने के दौरान सिपाही शराब पीते हैं, नशे में धुत्त सिपाहियों को चकमा देकर कैदी फरार हो जाता है। भोपाल की जिला अदालत की दीवार तोड़कर ग्यारह कैदी दिन दहाड़े भाग जाते हैं। महिलाओं के साथ बलात्कार होते हैं, प्रताडित होती रहतीं हैं, पर सुशासन होने का दावा बदस्तूर जारी है। आश्चर्य तो तब होता है, जब कांग्रेस इस मामले में मौन साधे हुए मिलती है। चर्चा है कि एम पी में कांग्रेस और भाजपा के बीच अंडर टेबिल समझौते हुए हैं। हद तो तब हो गई जब संघ के धरने के दरम्यान चाक चौबंद पुलिस व्यवस्था के बीच राजधानी भोपाल में आठ स्थानों पर महिलाओं की चेन लूट ली गई। पुलिस के अफसर भी क्या करें, उनके मातहत सिपाही सारा दिन कबाडियों के पास जाकर चोरी के माल की चौथ वसूली जो करते रहते हैं।

धक्का किसने दिया तलाश रहे हैं राजूखेड़ी
पुरानी कहानी है कि एक अखाड़े में पहलवान ताल ठोंककर लोगों को लड़ने के लिए बुला रहा था, ईनाम था एक हजार रूपए। इतने में एक जवां मर्द अखाड़े में कूद गया और उस नामी पहलवान को हराकर एक हजार रूपए ले आया। सबसे पहले उसने यह मालूमात करने की कोशिश की कि आखिर अखाड़े में उसे धक्का किसने दिया था, यह तो गनीमत थी कि वह बच गया वरना उसका राम नाम सत्य तय था। इसी तर्ज पर मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के पद के लिए मीडिया में नाम उछलने के बाद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी यह ढूंढ रहे हैं कि आखिर मीडिया में उनका नाम किसने उछाल दिया। अमूमन होता यही है कि जिसे भी कतार से हटाना होता है उसके नाम को हवा में उछाल दिया जाता है। दिल्ली में मध्य प्रदेश बीट कव्हर करने वाले मीडिया पर्सन्स के फोन बार बार राजूखेड़ी को बधाई दे रहे हैं। वे असमंजस में हैं कि अभी तक उन्हें कोई सूचना नहीं पर नाम चल पड़ा है, आखिर गोदे (अखाड़े) में उन्हें धक्का किसने दिया। उधर कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह और बी.के. हरिप्रसाद ने अलग से उनका स्पष्टीकरण मांग कर उन्हें हलाकान कर रखा है।

पुच्छल तारा
देश के हृदय प्रदेश में चेन स्नेचिंग अर्थात सरे राह महिलाओं की चेन लूटने की घटनाओं से आहत हैं मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की महिलाएं। भोपाल से मुस्कान मलिक ने इस बारे में एक ई मेल भेजा है। मुस्कान लिखती हैं कि आधुनिक बहू के कम कपड़े और अश्लीलता के दिखावे को देखकर पुराने ख्यालों वाली उसकी सास ने कहा -‘‘बहू, क्या जमाना आ गया है, हम जब आए थे तब . . . .। वैसे लज्जा नारी का ‘आभूषण‘ होता है।‘‘ बहू तपाक से बोली -‘‘लेकिन मां जी, आजकल चेन स्नेचिंग इतनी ज्यादा हो रही है, गुण्डागर्दी चरम पर है, महिलाएं कितनी असुरक्षित हैं पता है आपको? अब आप ही बताईए कि इन हालातो में भला कोई महिला ‘आभूषण‘ पहनने का साहस कर पाएगी?‘‘

सोमवार, 1 नवंबर 2010

दीपावली पर लगा ओबामा का ग्रहण

ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

दीपावली पर लगा ओबामा का ग्रहण

अमावस्या के दिन होती है दीपावली। इस रात को घुप्प अंधेरे के बावजूद सारा हिन्दुस्तान कृत्रिम रोशनी से नहाया होता है। इस साल के त्योहारों पर मानो ग्रहण ही लग गया है। इस साल अधिकांश त्योहार वैसे भी रविवार के दिन ही पड़े, सो नौकरीपेशा लोगों की न जाने कितने दिनों की छुट्टी मारी गई। नवरात्र के समय राष्ट्रमण्डल खेलों ने दिल्लीवासियों का मजा फीका कर दिया था। वैसे भी दिल्ली में नवरात्र की खासी धूम रहा करती है। अब मुंबईवासियों पर दीपावली के मजे को किरकिरा करने की तैयारी की जा रही है। अवसर है दुनिया के चौधरी अमेरिका के महामहिम राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा का। महाराष्ट्र की कांग्रेसनीत सरकार ने तुगलकी फरमान जारी कर दिया है कि मुंबईवासी दीपावली के पर उंची आवाज के फटाके नहीं चलाने का। स्काटलेंड यार्ड की पुलिस के बाद अघोषित तौर पर दूसरे नंबर का दर्जा पाने वाली मुंबई पुलिस भी चाह रही है कि मुंबईवासी उंची आवाज के फटाकों का प्रयोग न करें। यद्यपि इसके पीछे दलील दी जा रही है कि फटाखों की आवाजों से कहीं अफवाहें न फैलें और अफरातफरी का आलम न हो जाए, फिर भी कहा जा रहा है कि भारत गणराज्य के वजीरे आजम क्या इतना साहस कर पाएंगे कि वे क्रिसमस के मौके पर अमेरिका की यात्रा पर जाएंगे, और इस तरह की अफवाहों से बचने के लिए अमेरिका फटाखे फोड़ने या जश्न मनाने पर पाबंदी लगा पाएगा?

गेम्स में भी दिखी पीएम की असफलता की छाप

भारत गणराज्य का दुर्भाग्य है कि देश के प्रधानमंत्री पद पर आसीन शख्स ने आज तक कोई चुनाव सीधे सीधे नहीं जीता है। हमेशा ही सरदार मनमोहन सिंह ने पिछले दरवाजे से ही दाखिला लिया है। जब से मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री का पद संभाला है तब से भारत में मंहगाई का ग्राफ है कि रूकने का नाम ही नहीं ले पा रहा है। कामन वेल्थ गेम्स में भी उनका यह प्रभाव देखने को मिल ही गया। खेलों के दौरान भारत ने हाकी में काफी उत्साहजनक प्रदर्शन किया। जिन भी खेलांे को देखने कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी, कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी और सोनिया गांधी के दमाद राबर्ट वढेरा गए, उन मैचों या खिलाडियों ने जीत हासिल की। हाकी के उत्साहजनक प्रदर्शन के बाद जब फायनल मैच देखने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह पहुंचे तो भारत आठ शून्य से हार गया। कहने वाले यह कहने से भी नहीं चूक रहे हैं कि ‘‘जहां जहां पैर पड़े सन्तन के तहां तहां . .।‘‘

पितृ पुरूष को ही भूली भाजपा

भारतीय जनता पार्टी का वर्तमान नेतृत्व कितना कृतध्न है कि वह अपने पितृ पुरूष पूर्व महामहिम राष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत को ही भूल गई। भैरो सिंह शेखावत ने भाजपा की जड़ों को जमाने के लिए न जाने क्या क्या जतन किए थे। उनकी पुण्य तिथि पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा न तो केंद्रीय स्तर पर ही उनके गृह राज्य राजस्थान मंे ही कोई कार्यक्रम आयोजित करना ही मुनासिब समझा। भाजपा के उदय और उसके कार्यक्षेत्र के विस्तार में भैरो सिंह शेखावत के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। अपने अविस्मरणीय योगदान के लिए भैरो सिंह शेखावत सदा ही याद किए जाते रहेंगे, किन्तु लगता है भाजपा के नए निजाम नितिन गड़करी ने बीती ताहि बिसार दे आगे की सुध लेय की कहावत पर अमल करना आरंभ कर दिया है, यही कारण है कि भाजपा के पितृ पुरूष समझे जाने वाले भैरो सिंह शेखावत की पुण्य तिथि पर उन्हें याद तक नहीं फरमाया गया।

स्तरहीन बयानबाजी पर उतरे राजनेता

कहते हैं प्रेम और जग में सब कुछ जायज है, किन्तु सब कुछ नैतिकता के साथ ही जायज माना गया है। बिहार में आसन्न विधानसभा चुनावों में एक दूसरे के दामन पर कीचड़ उछालने में राजनेता अपनी वर्जनाएं ही भूलते जा रहे हैं। मध्य प्रदेश से अपने राजनैतिक जीवन आरंभ करने वाले शरद यादव ने तो हद ही कर दी। एक चुनावी सभा में उन्होंने फरमाया कि जवाहर लाल, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी के बाद अब बबुआ राहुल गांधी राजकाज करने वालों में शामिल हो रहे हैं। उन्हें जो लिखकर दिया जाता है, वे पढ़ देते हैं उन्हें कुछ नहीं पता होता है। एसे नेता को गंगा में फेंक देना चाहिए। शरद यादव की उक्त बात से साफ हो जाता है कि वे राहुल गांधी के बढ़ते प्रभाव से कितने खौफजदा हैं। बेहतर होता शरद यादव राहुल गांधी को आमने सामने बहस की चुनौति देते। हो सकता है शरद यादव, राहुल पर भारी पड़ते, किन्तु स्तर हीन बयानबाजी राजनैतिक परिवेश में जहर ही घोलने का काम करती है।

चर्चा में प्रिंट मीडिया का एक विज्ञापन!

देश के बारह राज्यों में अपने आधा सैकड़ा से अधिक संस्करण निकालने वाले 64 साल पुराने एक अखबार में प्रकाशित होने वाला एक विज्ञापन इन दिनों चर्चाओं में है। इस विज्ञापन में एक व्यक्ति की शवयात्रा के दृश्य के साथ कुछ कोटेशन लिखे हुए हैं, जिसमें तंबाखू के उत्पाद के सेवन को न करने का मशविरा दिया गया है, वह भी चेतावनी के साथ। इस विज्ञापन की खासियत यह है कि इसमें जिस कोटेशन का उपयोग किया गया है, वही कोटेशन तम्बाखू सहित एवं रहित पान के विकल्प के तौर पर प्रचलित पाउच की निर्माता एक नामी गिरामी कंपनी द्वारा उपयोग में लाया जाता रहा है। अब लोगों में जिज्ञासा इस बात की है कि आखिर उक्त मीडिया में घराना पत्रकारिता के एक स्तंभ माने जाने वाले उक्त विशाल समूह को आखिर यह गूढ ज्ञान कहां से प्राप्त हो गया कि उसने तम्बाखू के सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में लोगों को जागरूक करना आरंभ कर दिया है, वह भी पाठकों के लिए जनहित की पहल के तौर पर। कहीं यह सब इसलिए तो नहीं क्योंकि उक्त पाउच निर्माता कंपनी द्वारा इस समूह को अपना विज्ञापन नहीं दिया गया?

और यह रहा सीबीएसई का एक नायाब कारनामा

देश भर में स्कूल संचालकों का काम अब बच्चों को शिक्षित करने के साथ ही साथ इसको व्यवसाय बनाने का हो गया है। बहुत ही मुनाफे का व्यवसाय बन गया है आज की तारीख में स्कूल खोलकर उसे संचालित करना। केपीटेशन फीस के नाम पर लाखों करोड़ों रूपए अब तक स्कूल संचालकों द्वारा डकारे जा चुके हैं। शाला संचालक चाहते हैं कि उनकी शाला को केंद्रीय शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से एफीलेशन मिल जाए। हाल ही में मध्य प्रदेश में निजी तौर पर संचालिए एक शिक्षण संस्था के साथ भी सीबीएसई ने जो किया वह निश्चित तौर पर अपने आप में अद्भुत ही माना जाएगा। शैक्षणिक सत्र 2010 - 2011 के लिए मान्यता आवेदन के निरीक्षण प्रतिवेदन में कमियां पाए जाने पर आवेदन निरस्त कर नया आवेदन करने के लिए आदेशित करने के बाद भी सीबीएसई बोर्ड ने इसी सत्र के लिए उसी आवेदन पर पुनः निरीक्षण कमेटी का गठन कर दिया। कहा जा रहा है कि अब सीबीएसई बोर्ड भी ‘‘लेन देन‘‘ के चक्कर से मुक्त नहीं है।

मंदी पड़ी भारती की रिंगटोन

भारत की बड़ी टेलीकाम कंपनियों की सिरमोर भारती एयरटेल की घंटी की आवाज इन दिनों मंदी पड़ती दिख रही है। जून की तिमाही मंे इसका मुनाफा 23 फीसदी नीचे आ गया है। अगर इसमें भारती की अफ्रीकी कंपनी जैन को शामिल किया जाए तो इस दौरान नुकसान बढ़कर 32 फीसदी हो जाता है। अप्रेल से जून की तिमाही में भारती का मुनाफा 1662 करोड़ रूपए था, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 2475 करोड़ रूपए का था। घरेलू बाजार में कड़ी चुनौति का सामना करने वाली भारती के सामने सबसे अधिक प्राथमिकता इस बात की है कि वह अफ्रीकी इकाई को लाभ में लाए। भारत में आज टेलीकाम से जुड़ने वालों की संख्या साठ फीसदी है। अगस्त माह के बाद टेलीकाम बाजार में आई कंपनियों और मोबाईल सेवा प्रदाताओं की गलाकाट स्पर्धा के कारण भारती को वैसे भी कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है। अटल बिहारी बाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में भारती टेलकाम ने अनेक राज्यों में अपनी आमद दी थी, किन्तु अब उसकी जड़ें उतनी मजबूत नहीं मानी जा सकती हैं।

सरल या निरीह हैं प्रधानमंत्री

पिछले दिनों राष्ट्रमण्डल खेलों के उद्घाटन के दौरान हुए एक वाक्ये के बाद यह बहस और तेज हो गई है कि भारत के अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह बेहद ही सरल स्वभाव के हैं या निरीह हैं? कामन वेल्थ गेम्स का उद्घाटन हो रहा था, प्रधानमंत्री भी इस कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे। प्रधानमंत्री सिंह अपने लिए निर्धारित स्थान पर ही आसनी पर बैठे थे। इतने में राष्ट्रपति भवन के आला अधिकारी ने आकर पीएम से कहा कि वे अपने स्थान से थोड़ा सा हट जाएं, ताकि भारत गणराज्य की पहली महामहिम राष्ट्रपति के पति के लिए कुर्सी खाली हो सके। पीएम ने बिना ना नुकुर के आगा पीछा सोचे बिना ही देवी सिंह पाटिल के लिए स्थान दे दिया। देखा जाए तो यह प्रोटोकाल, सुरक्षा, और नैतिकता के लिहाज से उपयुक्त नहीं होने के साथ ही साथ अपमान जनक भी था। अब लोग कहने लगे हैं कि कहीं एसा न हो कि उन्हें किसी दिन कह दिया जाए कि आप 7, रेसकोर्स (प्रधानमंत्री के सरकारी आवास) से थोड़ा सा खिसक जाएं, इसे अब कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी का अशियाना बनाना है।

घर में नहीं हैं दाने, अम्मा चली भुनाने!

देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में पेयजल आज भी सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है। नब्बे फीसदी घरों में या तो वाटर प्यूरीफायर लगा हुआ है, या फिर बोतल बंद पानी का उपभोग ही किया जाता है, पर इस किल्लत से दिल्ली सरकार को लेना देना नहीं है। उसे तो परवाह है लो फ्लोर बस की चमचमाहट से। कामन वेल्थ गेम्स में देश का चेहरा उजला दिखाने की गरज से सड़कों पर दौड़ने वाली लो फ्लोर एसी और नान एसी बसों की धुलाई से उनकी चमक फीकी पड़ रही थी, सो इन लो फ्लोर बसों के रखरखाव का जिम्मा संभालने वाली टाटा कंपनी ने दिल्ली सरकार से आरओ वाटर के लिए प्लांट लगाने की इजाजत मांगी थी, जो उसे मिल गई है। सरकार ने नौ बस डिपो में रिवर्स ओसमोसिस (आरओ) प्लांट लगाने की इजाजत दी थी। आपको यह जानकर घोर आश्चर्य होगा कि दिल्ली में टेक्स देने वाले नागरिकों को साफ शुद्ध पानी मयस्सर नहीं है पर दिल्ली की लाईफ लाईन बन चुकी मेट्रो रेल गाड़ी की धुलाई भी आरओ जैसे अतिशुद्ध विषाणू रहित पानी से की जाती है। अब इसे कांग्रेसनीत शीला सरकार का चमत्कार ही माना जाए कि कांग्रेसनीत केंद्र सरकार की नाक के नीचे सब कुछ हो रहा है पर कांग्रेस के आलंबरदार मौन साधे हुए हैं।

चूहों का पैसा ही ‘‘कुतर‘‘ गया विश्वविद्यालय!

राजस्थान में एक बड़े विश्वविद्यालय द्वारा चूहांे का पैसा ही कुतरने का मामला प्रकाश में आया है। राजस्थान विश्वविद्यालय के प्राणी शास्त्र विभाग के एनीमल हाउस में रखे दुर्लभ प्रजाति के चूहों के संरक्षण के लिए स्वीकृत किए गए 11 लाख रूपए उपयोग के अभाव में लेप्स हो गए, जिसकी चर्चाएं मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय में चटखारे लेकर हो रही हैं। एनीमल हाउस में रखे अमेरिकन प्रजाति के सफेद चूहों की नस्ल अमेरिका के सुप्रसिद्ध वी स्टार इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने तैयार की थी। एचआरडी मिनिस्ट्री के सूत्रों का कहना है कि इसके लिए दिए गए 11 लाख रूपयों को एनीमल हाउस में रखे प्राणियों के लिए एयर कंडीशनर आदि लगाने के लिए प्रदाय किया गया था, चूंकि बड़ी तादाद में एसी लगवाने पर आने वाले बिजली के बिल को उठाने में विश्वविद्यालय ने असमर्थता जता दी थी अतः यह काम रोक दिया गया, और राशि लेप्स हो गई। वी स्टार के नाम से प्रसिद्ध ये चूहे प्रयोगशाला में प्रयोग के लिए सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं, पर विश्वविद्यालय प्रशासन की तुगलकशाही के चलते इनका संरक्षण का काम नहीं हो सका। आश्चर्य तो इस बात पर है कि इस मामले में प्राणियों पर होने वाले अत्याचार पर सदा ही बोलती रहने वाली मेनका गांधी भी खामोश ही हैं।

सुरक्षित हैं राजधानी वासी

राजधानी दिल्ली सदा से ही अपराधों के मामले में चर्चाओं में रही है। किन्तु राजधानी पुलिस के आंकड़ों के बाजीगरों ने इसे संतोषप्रद जताने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी है। नेशनल क्राईम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर अगर गौर फरमाया जाए तो आला 35 शहरों में अपराध के मामले में मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर पहली, राजनैतिक राजधानी भोपाल दूसरी तो जयपुर तीसरी पायदान पर है। दिल्ली का नंबर 12वें स्थान पर आता है। यद्यपि ब्यूरो के उक्त आंकड़े 2007 के हैं, फिर भी दिल्ली वासी यह सोचकर संतोष कर सकते हैं कि वे भोपाल इंदौर के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित हैं। इसमें से वाहन चोरी और सड़क दुर्घटनाओं को माईनस कर दिया जाए तो दिल्ली का नंबर 20वें स्थान पर आ जाता है। इंदौर का क्राईम रेट 792, भोपाल का 760, जयपुर का 606, जबलपुर 585, विजयवाड़ा 552, पटना 526, कोच्चि 487, आईटी सिटी बंग्लुरू 461, तो दिल्ली का यह रेट 398 है। 2009 में दिल्ली का क्राईम रेट घटकर 277 हो गया है।

कुमारतुंगे की गुपचुप यात्रा!

श्रीलंका की पूर्व महामहिम राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंगे पिछले दिनों मध्य प्रदेश के कान्हा अभ्यारण में सुस्ताने के बाद वापस रवाना हो गईं। कुमारतुंगे की कान्हा नेशनल पार्क की यात्रा को सुरक्षा कारणों से गोपनीय रखा गया था। गौरतलब है कि श्रीलंका में एलटीटीई के आतंक के सफाए में कुमारतुंगे की भी महती भूमिका रही है। इधर आदिवासी बाहुल्य मण्डला जिले की सीमा में अवस्थित कान्हा नेशनल पार्क का क्षेत्र भी नक्सलवादियों की शरणस्थली और कार्यस्थली के रूप में सालों से बना हुआ है। जब इसकी खबर मीडिया को लगी तो उन्होंने वन विभाग से संपर्क किया तब वन विभाग ने इस बात को महज अफवाह ही करार दिया। उनके भ्रमण के पूरे होने के बाद वन विभाग ने बताया कि सुरक्षा कारणों के चलते उनका दौरा गुप्त रखा गया था। कुमारतुंगे अपने साथ क्या संस्मरण लेकर गईं हो यह बात तो वे ही जाने पर किसी देश के पूर्व शीर्ष राजनयिक की यात्रा को गुप्त रखने से भारत गणराज्य की आंतरिक सुरक्षा कितनी मजबूत है, यह बात अपने आप ही सिद्ध हो जाती है।

पुच्छल तारा

दीपावली आने को है, दीपावली पर लक्ष्मी पूजा का चलन भारत में जबर्दस्त है। लोग कर्म के बजाए भाग्य और भगवान पर ही विश्वास कर हाथ पर हाथ रखे बैठे रहते हैं। इस मामले को रेखांकित करने के लिए अहमदाबाद से सुरभी बैस ने एक बेहतरीन ईमले भेजा है। सुरभी लिखती हैं कि बिल गेट्स ने लक्ष्मी पूजा कभी नहीं की, पर बिल गेट्स सबसे अमीर व्यक्ति हैं। आईंस्टीन ने कभी सरस्वती को नहीं पूजा पर वे सबसे इंटेलीजेंट साबित हुए, तो कर्म पर विश्वास रखें, भाग्य पर नहीं। वैसे भी किसी ने कहा है कि भाग्य के भरोसे बैठे रहने वाले वही पा पाते हैं, जो तेज दौडने वाले राह में पड़ी चीजों को चुनकर बाकी बेकार की चीजें छोड़ जाते हैं।