एमपी के पांच मेडीकल कालेज में अनियमितताएं पाईं सीएजी ने
एमसीआई ने मंत्रालय से की थी मान्यता समाप्ति की अनुशंसा
आजाद को आड़े हाथों लिया कैग ने
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। भारत के नियंत्रक लेखा महापरीक्षक ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की लाल फीताशाही पर तल्खनाराजगी जाहिर की है। आज सीएजी भवन के नरहरि राव कांफ्रेंस हाल में संवाददाताओं को संबोधित करते हुएसीएजी के अधिकारियों ने हेल्थ मिनिस्ट्री की जमकर खिचाई की। सीएजी द्वारा वित्तीय वर्ष 2010 - 2011 कीवीं आडिट रिपोर्ट आज जारी की, जिसमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, ग्रामीण विकास विभाग, वस्त्र एवंरेशम विभाग तथा ब्रम्हपुत्र परियोजना के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई गई। 22
सीएजी के प्रतिवेदन में मध्य प्रदेश के स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के पांच पांच आर्युविज्ञान महाविद्यालयोंमें अनियमितताओं का अंबार पाया गया है। मध्य प्रदेश के रीवा के श्याम शाह आर्युविज्ञान महाविद्यालय, जबलपुर के श्याम शाह आर्युविज्ञान महाविधालय, ग्वालियर के गिरजा राजा आयुर्विज्ञान महाविद्यालय, इंदौरके एमजीएम मेडीकल कालेज और राजधानी भोपाल के गांधी मेडिकल कालेज के स्नातक और स्नातकोत्तरस्तर पर कैग ने अनियमितताएं पाईं। मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया ने मध्य प्रदेश के पांच सरकारी मेडीकलकालेज की संबद्धता समाप्त करने की अनुशंसा अनेकों मर्तबा किए जाने के बाद भी स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आधेअधूरे कालेज से ही नीम हकीमों को उत्पादित किया जा रहा है।
केग के प्रतिवेदन में स्पष्ट है कि स्नातक स्तर तक इन महाविद्यालयों में रेजीडेंट और टीचिंग फेकल्टीज कीकमी, अस्पताल का घटिया प्रबंधन और खराब स्वास्थ्य सुविधाएं, अपर्याप्त नर्सिंग और पेरामेडीकल स्टाफ केसाथ ही साथ बिस्तरों की संख्या भी निर्धारित से कम पाई गईं हैं। (स्नातकोत्तर स्तर के लिए बाक्स देखें।) इसकेअलावा मध्य प्रदेश के इन सभी सरकारी कालेज में आईएमसी द्वारा स्नातकोत्तर स्तर पर साठ कोर्स आरंभकरवाने हेतु आग्रह किया था, जो अब तक लंबित ही है।
संवाददाताओं से रूबरू सीएजी ने कहा कि कैग के अधिकारियों के बार बार पत्र व्यवहार के बावजूद भी स्वास्थ्यमंत्रालय द्वारा उसके जवाब न दे पाने से सीएजी का प्रतिवेदन विलंब से आया है, अगर हेल्थ मिनिस्ट्री ने समयपर जवाब दे दिया होता तो यह प्रतिवेदन संसद के शीतकालीन सत्र के बजाए मानसून सत्र में ही सदन के पटलपर रख दिया गया होता।
उन्होंने कहा कि सीएजी ने मिनिस्ट्री से इस साल जनवरी में ही कह दिया था कि मेडिकल काउंसिल ऑफइंडिया (एमसीआई) का गठन कर लें ताकि व्यवस्था को सुचारू तौर पर चलाया जा सके, किन्तु मंत्रालय ने कैगकी एक न सुनी। कैग का कहना था कि मिनिस्ट्री ने एमसीआई को बनाया है, और एमसीआई मंत्रालय से बड़ीनहीं है।
कैग के अधिकारियों का कहना था कि सामान्यतः कैग द्वारा अपने प्रतिवेदन में किसी प्रकार की टिप्पणी नहींकी जाती है, किन्तु यह पहला मौका होगा जब कैग को स्वास्थ्य मंत्रालय के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी करनीपड़ रही हो। बार बार पत्र व्यवहार पर मिनिस्ट्री द्वारा कोई रिस्पांस न दिया जाना आश्चर्यजनक ही है।
63 फीसदी मेडीकल कालेज में अनियमितताएं
कैग द्वारा निरीक्षण किए गए 299 में से 188 मेडिकल कालेज में अनियमितताएं पाई गईं। ये अनियमितताएंआधारभूत संरचनाओं की नहीं थीं, क्योंकि निरीक्षण इस आधार पर नहीं किया गया था। इसके पीछे सबसे बड़ाकारण यह था कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने सीएजी को जरूरी प्रपत्र उपलब्ध ही नहीं कराए गए।
बाक्स
कालेज निरीक्षण की तिथि अध्यापकों की कमी रेजीडेंटस कीकमी
एनएससीबएमसी, जबलपुर नवंबर 2006 31.70 30.10
एसएसएमसी,रीवा नवंबर 2006 63 31
जीआरएमसी, ग्वालियर नवंबर 2006 28.80 25.80
एमजीएमएमसी, इंदौर नवंबर 2006 27.85 29.56
जीएमसी, भोपाल नवंबर 2006 40 25.80
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