गुरुवार, 9 दिसंबर 2010

बिहार के नतीजों ने उड़ाई आलाकमान की नींद

फिसल रहा है कांग्रेस के हाथों से अल्पसंख्यक वोट बैंक 
मोदी कार्ड खेलकर भाजपा ने अपनी झोली में डाले मुस्लिम वोट
 
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। बिहार के नतीजों पर मनन के बाद कांग्रेस के आला नेताओं की नींद बुरी तरह उड़ी हुई है। नेताओं का मानना है कि एक समय से कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक रहा ‘‘अल्पसंख्यक‘‘ अब उससे विमुख होता जा रहा है। अयोध्या विवाद पर उच्च न्यायालय के फैसले से भी मुस्लिम कांग्रेस से खासे नाराज ही बताए जा रहे हैं। कांग्रेस को यह बात भली भांति समझ में आ गई है कि बिहार में कांग्रेस के औंधे मुंह गिरने का एक बड़ा कारण मुसलमानों द्वारा कांग्रेस को वोट न देना ही है।
गौरतलब होगा कि बिहार में कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों को लुभाने की गरज से 47 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, बिहार में जीते चार में से तीन विधायक मुस्लिम हैं। कांग्रेस के अल्पसंख्यक नेता भी दबे स्वर से कांग्रेस आलाकमान की कार्यप्रणाली पर उंगलियां उठाने लगे हैं। एक वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि अयोध्या मामले में फैसला आने पर कांग्रेस का रूख और रवैया अल्पसंख्यकों को कतई नहीं भाया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के रणनीतिकारों को इस बारे में सोचना आवश्यक है कि आखिर क्या वजह है कि मुसलमान कांग्रेस से दूर होकर अन्य क्षेत्रीय दलों की ओर बढ रहे हैं। उन्होने आगे कहा कि आत्म मुग्ध कांग्रेस अध्यक्ष को चाहिए कि इस बारे में चिंतन अवश्य ही करें कि अल्पसंख्यक वर्ग के मेहबूब अली केसर को बिहार का अध्यक्ष बनाने और सबसे अधिक मुसलमानों को टिकिट देने के बावजूद भी कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक क्यों रहा?
 
राहुल को लेकर चिंता

कांग्रेस के राजनैतिक प्रबंधक इस बात को लेकर खासे चिंतित नजर आ रहे हैं कि अगर यही आलम रहा तो आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल और तमिलनाडू में होने वाले चुनावों में कांग्रेस को शिकस्त का सामना करना पड़ सकता है। राहुल गांधी को महिमा मण्डित कर यूथ आईकान के तौर पर प्रोजेक्ट करने की कांग्रेस की योजना पर मध्य प्रदेश और बिहार के नतीजों के बाद पानी फिरता लग रहा है। ज्ञातव्य है कि राहुल गांधी इन दोनों ही सूबों में जहां जहां चुनाव प्रचार को गए अधिकांश स्थानों पर कांग्रेस को पराजय का ही सामना करना पड़ा।
 
अहमद पटेल की पूछ परख बढेगी
 
कांग्रेस की मुट्ठी से मुस्लिम वोट बैंक रेत के मानिंद फिसलने से कांग्रेस के प्रबंधक सकते में हैं। कांग्रेस को भय सता रहा है कि अगर जल्द ही कोई ठोस कार्ययोजना को अंजाम नहीं दिया गया तो आने वाले समय में कांग्रेस का नामलेवा भी नहीं बचेगा। एसी परिस्थिति में अब कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल की पूछ परख बढ़ने की संभावनाएं भी जताई जा रही हैं।

 मोदी कार्ड खेला राजग ने
 
बिहार चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने नरेंद्र मोदी के नाम का बखूबी इस्तेमाल किया है। कट्टर हिन्दूवादी छवि बना चुके गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को भाजपा और जनता दल यूनाईटेड ने न केवल बिहार में घुसने से रोका वरन् इसका प्रोपोगंडा भी तबियत से किया। मुख्यमंत्री नितिश कुमार द्वारा नरेंद्र मोदी का घोर विरोध जताकर मीडिया के माध्यम से मोदी को बिहार की घरती में न घुसने की बात सार्वजनिक तौर पर कही गई थी। कांग्रेस का मानना है कि राजग के इस कदम से जदयू को खासा फायदा हुआ और बिहार में पिछली बार से अधिक संख्या में उसके विधायक चुनकर आए हैं।

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