गणतंत्र दिवस परेड: मध्यप्रदेश की झांकी ’बाघ प्रिन्ट’ पर आधारित
नई दिल्ली, (ब्यूरो)। वर्ष 2011 की गणतंत्र दिवस परेड में इस वर्ष मध्यप्रदेश के बाघ प्रिन्ट पर आधारित झांकी राजपथ की शोभा बढ़ायेगी। झांकी के आगले हिस्से में शाल भंजिका की विशाल मूर्ति दिखायी गयी है। झांकी के मध्य में बाघ के छापे की कारीगरी को दर्शाया गया है।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में वस्त्रों की बुनाई और छापे की परम्परा सदियों पुरानी है। बाघ की छापाकला देश में लकड़ी के छापों से कपड़े पर होने वाली छपाई परम्परा की कड़ी है। कपड़ों की छपाई के प्रमाण प्राचीन कला की मूर्ति शिल्पों मंे भी दिखायी देते हैं। जैसे 11वीं शताब्दी की विख्यात शाल भंजिका प्रतिमा में छपे वस्त्र स्पष्ट दिखते हैं।
बाघ वह स्थान है जहां वस्त्र छपाई की परम्परा अपने शीर्ष पर दिखायी देती है। इसमें क्षेत्र की विशेष भौगोलिक स्थितियों की भी भूमिका है। इस क्षेत्र के कारीगरों ने वर्षों अपनी कला को निखारा है, यहां की भूगर्भीय स्थितियों को भी समझा है और अभिव्यक्ति का अनुपम उदाहरण बाघ के वस्त्र छपाई के रूप में दुनिया को दिया है। लाल और काले रंगों के प्रयोग से बने बाघ के वस्त्र अपनी साड़ी अभिव्यक्ति में अद्भुत रचना होते हैं। वस्त्रों पर रंगों की यह चमक कहीं और सम्भव नहीं है। यह छपाई रासायनिक रंगों की विशेष प्रकृति के कारण होता है। ज्यामितीय रूपकारों और रंगों का अद्भुत प्रयोग बाघ की वस्त्र छपाई मध्यप्रदेश को विशेष पहचान देता है।
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