नर्मदा सामाजिक कुम्भ की तैयारियां
(मनोज मर्दन त्रिवेदी)
सिवनी आगामी फरवरी माह में १०-११ एवं १२ फरवरी को मंडला मे आयेाजित नर्मदा सामाजिक कुम्भ की तैयारियां अपने अंतिम चरण में है। सामाजिक कुम्भ में व्यवस्था की दृष्टि से अन्न एवं धन संग्रह समाज द्वारा किया जा रहा है। राष्ट्रीय स्वयं सेंवक संघ सहित कुम्भ के आयोजन में सक्रिय येागदान करने वाले संगठनों द्वारा नर्मदा सामाजिक कुम्भ में प्रशासनिक व्यवस्थाओं के अतिरिक्त व्यवस्थाएं कुम्भ में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को प्रदान करने के लिए बड़ी तैयारियां की गई हैं अनुमान है कि नर्मदा सामाजिक कुम्भ में २० से ३० लाख श्रद्धालुओ शामिल होंगे, इस सामाजिक महाकुम्भ में देश भर से श्रद्धालु पहुंचेेगे जिसके लिए व्यापक तैयारियां की गई हैं म.प्र. में महाकाल की नगरी उज्जेन में कुम्भ लगने की परम्परा सनातन काल से रही है यह पहला अवसर है जब आदिवासी क्षेत्र के गोण्डवाना क्षत्रपों के गढ़ मण्डला में नर्मदा सामाजिक कुम्भ का आयोजन किया जा रहा है नर्मदा सामाजिक कुम्भ की सारी तैयारियां लगभग पुरी कर ली गई है श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए ५१ उपनगरों का निमार्ण किया गया है। जिन्हे छ: महानगरों में विभाजित किया जायेगा। यह महानगर देश के महापुरूषों के नाम पर बसाये जा रहे हैं त्रि दिवसीय समाजिक महाकुम्भ में देश भर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए छ: भोजनालय अलग-अलग महानगरों में बनाये जायेंगे महा कुम्भ आयोजन समिति द्वारा भिन्न मार्गों से आनेवाले श्रद्धालुओ को अलग-अलग क्षेत्रों में विभाजित कर मार्गो के अनुसार व्यवस्थाएं प्रदान की जा रही हैं, मंडला में सामाजिक कुम्भ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तो है ही यह ऐतिहासिक और म.प्र. की जीवन रेखा का उदगम क्षेत्र है इसके साथ ही आदिवासी समुदाय जो प्रकृति के पूजक हैं उस संस्कृति से देश की जनता को परिचित करना भी सामाजिक महाकुम्भ का उद्देश्य है। सामाजिक महाकुम्भ को लेकर प्रदेश में एक धार्मिक वातावरण निर्मित हो रहा है, पूरे प्रदेश में नर्मदा सामाजिक कुम्भ को लेकर आम जनता में व्यापक उत्साह देख जा रहा है। मंडला से लगे हुए जिलों में कुम्भ में जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए यात्री वाहनों की अतिरिक्त व्यवस्था भी की जा रही है, जिस प्रकार की व्यवस्थाएं नर्मदा सामाजिक कुम्भ में की गई हैं उससे स्पष्ट होता है कि यह सामाजिक महाकुम्भ मण्डला जिले को ही नहीं पूरे प्रदेश को एक अलग पहचान प्रदान करेगा। सामाजिक कुम्भ की कल्पना ही मण्डला के धार्मिक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को प्रतिपादित करने की है मण्डला जिले में निवास करने वाली जनजातियां विभिन्न प्रकार की समस्याओं से जुझ रही है। प्रकृति से आगाध प्रेम रखने वाली पराक्रमी ये जनजातियां शिक्षा के पर्याप्त अवसर प्राप्त न होने के कारण विकास की मुख्य धारा से कटी हुई नजर आती हैं इन्हें शिक्षा का पर्याप्त अवसर मिल जाये तो इनके प्रकृति सम्बन्धी ज्ञान का व्यापक उपयोग देश में सार्थक परिणाम देने वाला सिद्ध होगा। सामाजिक कुम्भ देश की एकता अखण्डता और राष्ट्रीयभक्ति जागृत करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण हैं पूरे प्रदेश में कुम्भ में शामिल होने के लिए हिन्दुवादी संघठनों के कार्यकर्ता और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवक कुम्भ में पहुंचने का संदेश दे रहे हैं। अनेक जिलो एवं प्रदेशो से कुम्भ के लिए धन संग्रह और अनाज संग्रह हो रहा है। ट्रकों से भरकर अनाज व्यवस्था के लिए पहुंच रहा है हर दिन कुम्भ स्थल पर दो लाख व्यक्तियों को लिए भोजनालयों में भोजन बनाया जायेगा। कुम्भ में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को शुद्ध पेयजल प्राप्त हो, रूकने की बेहतर व्यवस्था, स्नान,आदि की व्यवस्थाएं, चिकित्सा व्यवस्था बेहतर ढंग से की गई है राज्य सरकार भी कुम्भ के सफल आयोजन के लिए व्यवस्थाएं जुटा रही हैं इस धार्मिक कुम्भ में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन राव भागवत, सरकार्यवाह भैयाजी जोशी, निर्वतमान संघचालक कुप्पसी सुदर्शन, सरकार्यवाह सुरेश सोनी, दत्ता होसबोले, गोविंद गिरी महाराज, जगत्गुरूबद्रीपीठ, वासुदेवानंद सरस्वती, पूज्य दीदी मां ऋतम्भरा, भारतमाता मंदिर के संस्थापक, स्वामी सत्यमित्रानंद जी, आचार्य महामण्डलेश्वर श्यामदास जी महाराज जबलपुर, सुखदेवानंद जी अमरकंठक, जगत्गुरू राज-राज सेवा आश्रम, हरिद्वार रामानंदचार्य जी स्वामी, सहित बड़ी संख्या में विद्वान एवं साधु संतों का सानिध्य प्राप्त होगा।
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