तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा द्वारा तकनीकी शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में सुझाव
टेक्निकल एजूकेशन में सेकंड शिफ्ट की मांग की शर्मा ने
नई दिल्ली (ब्यूरो)। तकनीकी एवं उच्च शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने हिन्दीभाषी विद्यार्थियों के हित में संवाद कौशल को तकनीकी पाठ्यक्रम में शामिल करने, उद्योगों की आवश्यकतओं तथा पूर्ति के अंतर के आंकलन के लिए संस्थागत व्यवस्था करने तथा तकनीकी शिक्षण संस्थाओं में दूसरी पाली शुरु करने की अनुमति दिये जाने का सुझाव दिया है।
श्री शर्मा आज यहाँ केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल की अध्यक्षता में राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा अर्हता ढाँचा निर्धारित करने के लिए आयोजित राज्यों के तकनीकी शिक्षा मंत्रियों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने विभिन्न एजेंसियों द्वारा प्रदाय की जा रही अर्हताओं में एकरुपता लाने की दृष्टि से तैयार किये जा रहे एकीकृत ढांचे को सराहनीय और स्वागत योग्य बताते हुए, इसमें राज्य सरकारों के विचारों तथा प्रस्तावों को शामिल करने का आग्रह किया।
तकनीकि शिक्षा मंत्री ने कहा कि हिन्दी भाषी प्रदेशों के विद्यार्थी तकनीकी रूप से सक्षम होने के बावजूद कौशल की कमी के कारण रोजगार प्राप्त करने में कठिनाई का सामना करते हैं। इसे दूर करने और बेहतर नियोजन के लिए आवश्यक कौशल तथा संवाद कौशल को पाठ्यक्रम का आवश्यक अंग बनाया जाए।
श्री शर्मा ने सुझाव दिया कि उद्योगों की आवश्यकताओं तथा मांग और पूर्ति के अंतर के आंकलन के लिए एक बार व्यवस्था की जगह इसे संस्थागत स्वरूप दिया जाना चाहिए, ताकि प्रादेशिक स्तर पर इस प्रकार के आंकलन के डाटा का सतत रूप से पाठ्यक्रम के पुनरीक्षण, नवीन पाठ्यक्रमों को शुरू करने तथा अप्रासंगिक पाठ्यक्रमों को बंद करने में किया जा सके। श्री शर्मा ने पारम्परिक व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के साथ गौ संवर्द्धन एवं जैविक खेती के काम आने वाले पाठ्यक्रमों को भी इसमें शामिल करने का सुझाव दिया।
तकनीकी शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षकों की गुणवŸाा से ही व्यावसायिक शिक्षा का लक्ष्य प्राप्त हो सकता है। शिक्षकों के प्रशिक्षण और उन्मुखीकरण के लिए प्रदेश में एडवान्सड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट स्थापित किया जाए। उन्होंने कहा कि आईटीआई संस्थाओं के भवनों के निर्माण के लिए मध्यप्रदेश को लगभग 160 करोड़ रुपये की आवश्यकता है। उन्होंने केन्द्र से यह राशि एक मुश्त उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। श्री शर्मा ने कहा कि प्रदेश के निजी इंजीनियरिंग महाविद्यालयों में तकनीकी ज्ञान एवं प्रशिक्षण देने के लिए बड़ी अधोसरंचना उपलब्ध है। एआईसीटीई द्वारा इन महाविद्यालयों तथा पॉलीटेकनिक महाविद्यालयों को द्वितीय शिफ्ट में आईटीआई प्रारम्भ करने की स्वीकृति दी जाए। इससे बड़े पैमान पर कौशल विकास का कार्य किया जा सकेगा।
श्री शर्मा ने कहा कि पीपीपी मोड में पॉलीटेकनिक स्थापित करने की योजना के तहत मध्यप्रदेश को 97 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। ये प्रस्ताव छानबीन और दिशा निर्देशों के लिये भारत शासन को भेज दिये गये हैं। उन्होंने इन प्रस्तावों को शीघ्र मंजूर किये जाने का अनुरोध किया, जिससे प्रदेश के पॉलीटेकनिक महाविद्यालयों में प्रवेश क्षमता में लगभग 30 हजार की वृद्धि होगी। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में पीपीपी मोड में 110 आईटीआई तथा 313 कौशल विकास केन्द्र खोले जाने का प्रस्ताव भारत शासन के पास लंबित है जिसे शीघ्र स्वीकृति दी जाए। श्री शर्मा ने बताया कि मध्यप्रदेश में गुणवŸाा सुनिश्चित करने के लिये व्यावसायिक शिक्षण संस्थाओं के बीच प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इन संस्थाओं की रेकिंग और ग्रेडिंग करने का निर्णय लिया गया है।
श्री शर्मा ने व्यावसायिक कम्प्युनिटी पॉलीटेकनिक योजना प्रदेश के सभी पॉलीटेकनिक महाविद्यालयों में लागू किये के प्रस्ताव के बारे में भी जानकारी दी । उन्होंने मध्यप्रदेश में तकनीकी शिक्षा के विस्तार और गुणवŸाा में सुधार के लिये राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों की भी विस्तार से जानकारी दी।
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