बुधवार, 18 मई 2011

प्रहलाद पटेल को लाया जा सकता है मुख्य धारा में


गड़करी तलाश रहे हैं सही तारणहार

चर्चा में है गड़करी का ब्राम्हण बनिया प्रेम

पांच राज्यों में भाजपा के प्रदर्शन से उखड़ा है भाजपाध्यक्ष का मूड

रामलाल पर साध रहे विरोधी निशाना

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। पांच राज्यों में आठ सौ से ज्यादा सीटों के बावजूद भी महज छः सीट मिलने से भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी की पेशानी पर पसीने की बूंदे छलक आई हैं। भाजपाध्यक्ष को लगने लगा है कि उन्हें जिस चैकड़ी ने घेर रखा है उसके सहारे अगले साल होने वाले आम चुनावों में भाजपा कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाएगी।

केंद्र में सत्ता की मलाई चखने का सपना देखने वाली भारतीय जनता पार्टी द्वारा हाल ही में पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडू, पड्डिचेरी और केरल में कुल 824 सीटों में से एक फीसदी अर्थात आठ सीट भी नहीं जीत पाई है। पार्टी को असम में पांच और बंगाल में महज एक सीट ही मिल पाई है। भाजपा के अंदर ही अंदर अब यह बात होने लगी है कि खुद को राष्ट्रीय पार्टी और केंद्र में सरकार बनाने का दावा करने वाली भाजपा इन राज्यों में आखिर फेल क्यों हो गई। कहीं इसके पीछे गड़करी का ब्राम्हण बनिया प्रेम तो नहीं?

भाजपा में वर्चस्व की मची जंग के चलते दूसरी पंक्ति के नेता कमल की जड़ों को मजबूत करने के बजाए एक दूसरे पर कीचड़ उछाल रहे हैं। उधर भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी को भाजपा के अंदर मनमोहन सिंह कहा जा रहा है, क्योंकि दोनों ही चुनाव लड़ने से परहेज करते आए हैं।

भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि भाजपा के नए नवेले संगठन मंत्री रामलाल द्वारा भी गड़करी के ब्राम्हण बनिया के एजेंडे को हवा दी जा रही है। सूत्रों की मानें तो रामलाल द्वारा रघुवरदास से लेकर विजय गोयल को बेक सपोर्ट दिया जा रहा है। सूत्रों ने कहा है कि पांच राज्यों के चुनावों के उपरांत अब गड़करी संगठन में युवा और उर्जावान चेहरों को विशेष स्थान देने पर विचार कर रहे हैं। इसी तारतम्य में पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के असंगठित मजदूर संघ के अध्यक्ष प्रहलाद सिंह पटेल को उनकी वर्तमान जवाबदारी के साथ ही साथ संगठन में महत्वपूर्ण पद पर काबिज किया जा सकता है।

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