10 जनपथ और 7 रेसकोर्स में खिचीं तलवारें
सोनिया से नहीं मिल रहा पीएम का ‘मन‘
मंत्रीमण्डल फेरबदल में सामने आ सकती है खटास
मंत्रीमण्डल में चंद ही बचे सोनिया के नामलेवा
अधिकतर ने पाला बदलकर थामा मनमोहन का दामन
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। कांग्रेस सत्ता के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (सोनिया गांधी का सरकारी आवास) और 7, रेसकोर्स रोड़ (प्रधानमंत्री का सरकारी आवास) के बीच वर्चस्व की निर्णायक जंग खेली जाने वाली है। मंत्रीमण्डल में शामिल नेताओं ने अपनी लक्ष्मण रेखा निर्धारित कर ली है। वर्तमान समीकरणों में प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह खासे मजबूत नजर आ रहे हैं, वहीं सोनिया गांधी के नामलेवा चंद मंत्री ही बचे हैं मंत्रीमण्डल में।
10 जनपथ के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि सोनिया मण्डली इन दिनों बेहद परेशान है क्योंकि उम्मीद से हटकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने धीरे धीरे कर अपना खेमा बना लिया है। प्रणव मुखर्जी को प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति न बनाने से दुखी प्रणव ने भी अब मनमोहन सिंह के साथ जुगलबंदी आरंभ कर दी है। प्रणव मनमोहन की जुगलबंदी के चलते मंत्री भी अब सोनिया गांधी को ज्यादा वजन नहीं दे रहे हैं।
कहा जा रहा है कि कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह के द्वारा राहुल को पीएम बनाए जाने के एजेंडे के चलते मनमोहन की मुहिम तेज हो गई है। मनमोहन सिंह के साथ अब कपिल सिब्बल, गुलाम नवी आजाद, कमल नाथ, एस.एम.कृष्णा, पवन कुमार बंसल, मुकुल वासनिक आदि खड़े दिखाई दे रहे हैं। उधर सोनिया के वफादारों मंे जयराम रमेश, अंबिका सोनी और ए.के.अंटोनी ही बचे हैं।
उधर पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि सोनिया को तजकर प्रधानमंत्री में आस्था जताने वालों में अंबिका सोनी, वीर भद्र सिंह और वी.नारायणसामी का नाम जुड़ गया है। सामी वर्तमान में अहमद पटेल के पिछलग्गू समझे जाते थे। साथ ही साथ भूतल परिवहन मंत्री सी.पी.जोशी ने भी अपना पाला बदल लिया है। अब वे भी मनमोहनी वीणा ही बजा रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि उन्होंने भूतल परिवहन मंत्री रहे टी.आर.बालू और कमल नाथ के कामकाज का गए गोपनीय प्रतिवेदन भी प्रधानमंत्री को सौंपा है।
मनमोहन मण्डली ने अब सधे कदमों से राहुल और सोनिया की राजनैतिक समझ बूझ पर प्रश्न चिन्ह लगाने आरंभ कर दिए हैं। सियासी गलियारों में कहा जा रहा है कि अगर वरूण और राहुल गांधी में शास्त्रार्थ कराया जाए तो वरूण बीस ही बैठेगें। यही बात कांग्रेस के सोनिया गुट के प्रबंधकों के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है।
एक समय था जब मनमोहन सिंह को ताकतवर बनाने के लिए सोनिया गांधी द्वारा नैनिताल में मुख्यमंत्रियों की बैठक में मंच से उप प्रधानमंत्री को अर्ताकिक घोषित कर दिया था। उस वक्त प्रणव मण्डली उनके लिए उप प्रधानमंत्री बनाने के मार्ग प्रशस्त कर रही थी। अब प्रधानमंत्री खुद ही प्रणव मुखर्जी को उप प्रधानमंत्री का पद आफर कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि जल्द होने वाला फेरबदल अनेक तरह से राजनैतिक दिशा और दशा तय करने वाला होगा।
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