केंद्र ने अटकाईं करोड़ों की सिंचाई परियोजनाएं!
व्हीआईपी जोन की परियोजनाओं को है सालों से स्वीकृति का इंतजार
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। कांग्रेस के शासनकाल में केंद्र सरकार को भेजी गई करोड़ों रूपयों की सिंचाई परियोजनाओं पर कांग्रेसनीत केंद्र सरकार अब भी कुंडली मारकर ही बैठी हुई है। राज्य की लगभग 1560 करोड़ रूपयों की इन परियोजनाओं को केंद्र की हरी झंडी न मिल पाने के चलते इनकी परियोजना लागत में कई गुना इजाफा हो चुका है जिसका विस्त्रत प्राक्कलन (डीपीआर) अब नए सिरे से तैयार करवाना आवश्यक हो गया है।
केंद्रीय मंत्री कमल नाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान की कर्म भूमि से जुड़ी इन परियोजनाओं में केंद्र सरकार द्वारा रूचि न लिया जाना आश्चर्य का ही विषय माना जा रहा है। कमल नाथ के संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा और मध्य प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष ठाकुर हरवंश सिंह के कार्यक्षेत्र सिवनी जिले को लाभांवित करने वाली इंडो जर्मन बायलेटरल डेवलपमेंट कोआॅपरेशन के तहत पेंच वृहद सिंचाई परियोजना में तीन मध्यम और 28 लघु सिंचाई परियोजनाएं जो लगभग 823 करोड़ की हैं, की लागत अब कई गुना बढ़ चुकी है। सूत्र बताते हैं कि छिंदवाड़ा और सिवनी जिले में सिंचाई और थर्मल पावर यूनिट को जल प्रदाय के लिए 25 जून 2004 को केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था। अब छः बरस बाद भी न तो कमल नाथ, न ही हरवंश सिंह और न ही परिसीमन में समाप्त हुई सिवनी लोकसभा की अंतिम सांसद नीता पटेरिया और वर्तमान मण्डला के कांग्रेसी सांसद बसोरी सिंह मसराम तथा बालाघाट के सांसद के.डी.देशमुख ने ही इस मामले में संज्ञान लेना मुनासिब समझा है।
इसी तरह छिंदवाड़ा की पेंच व्यपवर्तन परियोजना की निवेश निकासी स्वीकृति, मालवा अंचल के उज्जैन, धार, शाजापुर, गुना, मंदसौर, गुना, राजगढ़, भिंड, मुरैना, विदिशा आदि जिलों में केन बेतवा नदियों की लिंक योजना, पार्वती कालीसिंा व चंबल नदियों की लिंक योजना, ग्वालियर बाढ़ नियंत्रण योजना में केंद्रीय ऋण सहायता, शिवपुरी की सिंचाई योजना का जीर्णोद्धार प्रस्ताव आदि आज भी केंद्र सरकार के पास लंबित ही है। मध्य प्रदेश का जल संसाधन विभाग आज भी राजीव सागर परियोजना, केंद्र की नदी जोड़ो योजना के तहत प्रदेश की दो परियोजनाओं के प्रस्तावों पर केंद्र का रूख स्पष्ट न होने पर असमंजस में ही है।
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