बिजली से महरूम हैं डेढ़ हजार गांव
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने किया खुलासा
पिछले साल महज 351 गांव ही हो सके विद्युतीकृत
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। भारत देश को आजाद हुए 64 साल बीत चुके हैं। देश पर ब्रितानी हुकूमत के बाद कांग्रेस और भाजपा ने ही सबसे ज्यादा राज किया है। सियासी दलों के लिए यह शर्म की बात हो सकती है कि लगभग साढ़े छः दशकों बाद भी देश के हृदय प्रदेश के 1535 गांव के लोगों को यह पता नहीं है कि बिजली किस चिड़िया का नाम है। कंेद्रीय विद्युत प्राधिकरण की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
एक तरफ तो ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह संजीदा होकर अपना खजाना खोल रही है, वहीं दूसरी ओर जमीनी स्तर पर इसके क्रियान्वयन में ढील डाली जा रही है। वैसे तो मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा कांग्रेसनीत केंद्र सरकार पर भेदभाव के आरोप जब तब मढ़ दिए जाते हैं पर भारी भरकम केंद्रीय इमदाद मिलने के बाद भी जमीनी हालात कुछ और बयां कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में सुसुप्तावस्था में पड़ी कांग्रेस निजाम बदलने के बाद भी नींद से नहीं जाग सकी है।
इस प्रतिवेदन में कहा गया है कि मध्य प्रदेश में कुल 52 हजार 117 गांव हैं एवं वित्तीय वर्ष 2010 - 2011 में महज 351 गांवों में ही विद्युतीकरण किया जा सका है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने ग्रामीण विद्युतीकरण की धीमी रफ्तार पर गहरी चिंता जताई है। उधर मध्य प्रदेश विद्युत वितरण कंपनी के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय मदद का उपयोग किसी अन्य मद में किए जाने से यह काम पिछड़ रहा है।
कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि मध्य प्रदेश विद्युत मण्डल का विघटन कर वर्ष 2002 में दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्रित्व में कंपनियों का गठन कर दिया गया था। इसके बाद कंपनियों ने गावों में प्रकाश पहुंचाने के काम में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई। वर्तमान में मध्य प्रदेश सरकार विद्युतीकृत गांवों मंे चोबीसों घंटे बिजली देने के लिए फीडर विभक्तिकरण के काम को अंजाम दे रही है। यह अलहदा बात है कि इसके बाद भी गांवों को आठ घंटे से ज्यादा बिजली नहीं मिल पाएगी। गांवों मंे बिजली पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार की राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना की राशि को फीडर विभाजन में व्यय किया जा रहा है। यही कारण है कि गावों को विद्युतीकृत करने का काम पूरी तरह उपेक्षित हो गया है।
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