ये है दिल्ली मेरी जान
(लिमटी खरे)
सत्ता हस्तांतरण का ट्रायल रन!
कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी का दुनिया के चैधरी अमेरिका के न्यूयार्क शहर के मैन हट्टन इलाके में स्लोआॅन केटरिंग कैंसर सेंटर में एक सर्जरी किए जाने की खबरें चल पड़ी हैं। कांग्रेस के युवराज और अपने पुत्र राहुल गांधी, सहित महासचिव जनार्दन द्विवेदी, रक्षा मंत्री ए.के.अंटोनी, राजनैतिक सचिव अहमद पटेल की समिति उनकी अनुपस्थिति में कांग्रेस को चलाएगी। इसमें कांग्रेस के संकटमोचक प्रणव मुखर्जी का न होना सभी को खल रहा है। माना जा रहा है कि पीएम और सोनिया के बीच की रार के बाद प्रणव के पाला बदलने से सोनिया खासी खफा हैं। सोनिया के इस गुप्त तरीके से जाने पर अनेक तरह की शंकाएं कुशंकाएं जन्म लेने लगी हैं। लोग इसे सत्ता का राजनैतिक रूप से नेहरू गांधी परिवार की चैथी पीढ़ी (सोनिया गांधी) से पांचवीं पीढ़ी (राहुल गांधी) के हाथों हस्तांतरण के तौर पर भी देख रहे हैं।
मिशन दिग्विजय सफलता की ओर!
कांग्रेस के महासचिव राजा दिग्विजय सिंह का मिशन लगता है कि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाना है पर कदम ताल देखकर लगने लगा है कि अब उनके प्रधानमंत्री बनने के मार्ग प्रशस्त होते ही जा रहे हैं। सोनिया ने भले ही राहुल के हाथों पार्टी की बागडोर सौंप आपरेशन कराने अमेरिका रवाना हो गई हों पर हालात कुछ और ही बयां कर रहे हैं। ‘कैश फाॅर वोट‘ का मामला यूं ही जिन्दा नहीं हुआ। इससे प्रधानमंत्री की कुर्सी के पाये डगमगाने लगे हैं। कहते हैं दिग्गी राजा ने सोनिया को मशविरा दिया है कि वे यूपी चुनाव के परिणामों का इंतजार करें फिर राहुल के हाथों देश की बागडोर सौंप दें। युवराज राहुल भी अपने पिता की तरह पायलट हैं। राहुल राजनीति के बियावान में अभी नादान हैं सो अब बारी आएगी दूसरे विश्वस्त को चुनने की इसमें ए.के.अंटोनी के बाद दिग्गी राजा ही सोनिया के लिए सबसे मुफीद बैठ रहे हैं।
मेनका से प्रभावित हैं प्रियंका!
कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी की पुत्री प्रियंका वढ़ेरा क्या अपनी चाची मेनका गांधी से प्रभावित हैं? पारिवारिक तौर पर एक ही परिवार राजनैतिक तौर पर दो धु्रव हैं। बावजूद इसके प्रियंका के शौक को देखकर कहा जा सकता है कि वे और उनकी चाची मेनका गांधी दोनों ही को वन्य जीवों से लगाव है। प्रियंका वढ़ेरा ने हाल ही में वन्य जीवों पर एक किताब लिखी है। उन्हें वन्य जीवन पर फोटोग्राफी का भी भारी शौक है। इस किताब को उन्होंने अपने पिता राजीव गांधी को समर्पित किया है। इसमें अपनी दादी प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी को बाघ के बच्चे के साथ खेलते हुए भी एक छाया चित्र में दिखाया गया है। इस किताब मंे रणथम्बोर अभ्यरण के बाघों के साथ ही साथ अन्य वन्य प्राणियों के चित्रों को स्थान दिया गया है।
शिव का नया लकझक ‘नंदी‘
भगवान शिव का वाहन नंदी माना गया है। वहीं देश के हृदय प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चैहान अपने लिए नए लकझक नंदी यानी सवारी की जुगत में लगे हैं। सूबे मंे भुखमरी और गरीबी चरम पर है, पर उनके लिए दिल्ली में सवारी के लिए लकझक इनोवा वाहन खरीदे जा रहे हैं, वह भी एक नहीं दो दो। शिवराज सिंह चैहान की दिल्ली यात्राओं के दौरान उनके लिए 36 लाख रूपए की लागत वाले दो इनोवा वाहन खरीदे जा रहे हैं। दरअसल अन्य सूबों के मुख्यमंत्रियों के आलीशान विलासितापूर्ण वाहन को देखकर सादगी पसंद शिवराज सिंह चैहान का मन भी डोल गया और अपने राज्य की गरीब जनता के करों से एकत्र राशि में से 36 लाख रूपए की राशि उन्होंने अपने लिए दो डीलक्स वाहन खरीदने के लिए आवंटित कर दी है। इनमें से एक में शिवराज बैठेंगे तो दूसरा ‘स्टेंड बाय‘ के तौर पर साथ चलेगा।
दिनेश की बालहठ के आगे झुकी कांग्रेस!
देश के नए रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी की बाल हट के आगे अंततः कांगे्रस को घुटने टेकने ही पड़े। हुआ यूं कि दिनेश त्रिवेदी को लोकसभा में कमरा नंबर 6 आवंटित हुआ जो रेल मंत्री को होता है। बाद में जब वे संसद पहुंचे तो अपने कमरे में सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी की नेम प्लेट देखकर अचंभित रह गए। फिर क्या था उनसे मिलने आने वाले लालू प्रसाद यादव के साथ उन्होंने गलियारे में ही बैठक कर मारी। यद्यपि त्रिवेदी इस तरह गलियारे में बैठकर काम करने को सामान्य बात ही बता रहे हैं, पर कहा जा रहा है कि ममता के इशारे पर उन्होंने कांग्रेस को जता दिया है कि रेल विभाग में दखल वे बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं हैं। त्रणमूल की बैसाखी पर चलने वाली कांगे्रस अभी दिनेश त्रिवेदी या ममता बनर्जी से पंगा लेने की स्थिति में नहीं दिख रही है।
क्या है आपकी जन्म तिथि बालकिसन?
इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू बाबा रामदेव के राईट हेण्ड स्वयंभू आचार्य बाल कृष्ण पर सीबीआई का शिकंजा तेजी से कसता जा रहा है। दस बारह सालों में ही तगड़ा माल बटोरने वाले इन बाबा और आचार्य ने जबसे राजनेताओं को ललकारा है तबसे इनकी परेशानियों में खासा इजाफा होता जा रहा है। बाबा के सहयोगी बाल कृष्ण अनेक मामलों में फंस चुके हैं। पहले धार्मिक चेनल आस्था में उनकी भागीदारी, फिर उनके नेपाली मूल के होने के आरोप, फिर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट बनवाने का आरोप, आचार्य की फर्जी डिग्री का आरोप और ना जाने किन किन संगीन आरोपों की बौछार की गई है आचार्य बाल कृष्ण के उपर। हाल ही में उनके जन्म दिन पर नया विवाद खड़ा हो गया है। राधा कृष्ण महाविद्यालय में उनकी जन्म तिथि 25 जुलाई दर्ज है, और उन्होंने जन्म दिन मनाया चार अगस्त को। अब एसी स्थिति मंे कांग्रेस के हाथ बाल कृष्ण के खिलाफ एक और तीर लग ही गया।
उमा रामदेव एक समान!
भारतीय जनता पार्टी का साधु संतों के साथ लगाव किसी से छिपा नहीं है। भाजपा से बेआबरू होकर निकली उमा भारती फिर भाजपा में हैं। वहीं दूसरी ओर बाबा रामदेव का साथ भाजपा ने जमकर दिया। यह अलहदा बात है कि वर्तमान में भाजपा रामदेव को किनारे कर गई है। भाजपा के अंदर इन दिनों बाबा रामदेव और उमा भारती में समानताएं खोजी जा रही हैं। बाबा रामदेव का पिछले दिनों दिल्ली मंे प्रवेश वर्जित था। भाजपा शासित राज्यों मंे जाकर बाबा रामदेव अनशन कर सकते थे, पर उन्होने किया नहीं, क्योंकि बाबा जानते हैं कि सरकार से टकराने का मतलब अपनी फाईलें खुलवाना है। उधर उमा भारती के मध्य प्रदेश में प्रवेश पर अघोषित तौर पर बेन लगा हुआ है। भाजपा में इस बात पर चटखारे अवश्य ही लिए जा रहे हैं।
कलमाड़ी पर पड़े उल्टे बांस बरेली के!
कामन वेल्थ गेम्स के दौरान अपनी वेल्थ जमकर सुधारने वाले सुरेश कलमाड़ी के सारे पांसे इन दिनों उल्टे ही पड़ रहे हैं। अब वे तिहाड़ जेल में हैं और उनकी हर दलील को न्यायालय द्वारा रद्द किया जा रहा है। पहले उन्होंने अपने आप को ‘भूलने वाली बीमारी‘ का मरीज स्थापित करने का प्रयास किया, फिर कोर्ट ने जब कहा कि अगर वे भूलने की बीमारी से ग्रस्त हैं तो संसद में क्या याद रख पाएंगे? इस पर कलमाड़ी जुंडली ने इस पर हवा देना बंद कर दिया। फिर कलमाड़ी के कारिंदों ने एक बार संसद जाने के लिए उनकी रिहाई की मांग की। उच्च न्यायालय ने न केवल कलमाड़ी की अर्जी ही खारिज की है, वरन उन पर एक लाख रूपए का दण्ड भी आहूत किया है। यह जुर्माना प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा करवाया जाएगा। कोर्ट का यह आदेश आगे राजनेताओं के लिए नजीर से कम नहीं आंका जा रहा है।
विदेश भा गया गड़करी को!
भारतीय जनता पार्टी की कमान अपेक्षाकृत युवा कांधों पर है। पार्टी और संघ के उमरदराज नेता सोच रहे हैं कि निजाम नितिन गडकरी के अध्यक्ष बनने के बाद भाजपा में प्राण वायू आ जाएगी, पर उनके अध्यक्ष बनने के बाद एसा कुछा होता दिखा नहीं। उल्टे गड़करी को अध्यक्ष बनने के बाद विदेश दौरों का चस्का जरूर लग गया। गड़करी ने अपने पूर्ववर्ती अध्यक्षों से अधिक विदेशों का दौरा किया है। भाजपा में चल रही बयार के मुताबिक गड़करी के चाहने वाले विदेशों की सैर करना चाहते हैं, यही कारण है कि वे गड़करी को बार बार विदेश जाने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। भाजपा में अब लोग दबी जुबान से गड़करी को विदेश बाबा के नाम से भी पुकारने लगे हैं। गड़करी मण्डली चाहती है कि उनके अध्यक्षीय कार्यकाल में वे विश्व दर्शन अवश्य ही कर लें।
यह तो पराकाष्ठा की हदें तोड़ना हुआ!
मानवीय संवेदनाओं को तार तार करना जरायम पेशा लोगों का काम है। सत्ता की चाबी हाथ में आने के बाद जनसेवकों के हाल भी कमोबेश इसी तरह के हो जाते हैं। किसी ने सच ही कहा है कि अगर किसी की ‘औकात‘ का पता करना हो तो उसे बहुत सारा धन और ताकत दे दो। अगर उसने संभाल ली तो वह मनुष्य अन्यथा . . . .। एआईसीसी और भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालय में इन दिनों मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में आदिवासी पटवारी देवेंद्र मस्कोले के साथ सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन द्वारा जाति सूचक शब्दों के उपयोग के उपरांत उसे सरेआम उठक बैठक लगवाने की बात पर चर्चा हो रही है। दोनों ही पार्टियों में मंत्री बिसेन के कृत्य की कड़ी आलोचना तो हो रही है पर आगे आने का साहस दोनों ही नहीं जुटा पा रहे हैं।
कृष्णा का समाचार एजेंसी को नोटिस!
विदेश मंत्री एस.एम.कृष्णा सदा ही मीडिया का केंद्र बिन्दु रहे हैं। हाल ही में संसद की कार्यवाही के दौरान एक खबर के प्रकाशन पर कृष्णा ने समाचार एजेंसी को ही नोटिस जड़ दिया। समाचार एजेंसी के हवाले से जारी खबर में कहा गया है कि श्रीलंका मुद्दे पर जब लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार ने उन्हें पुकारा तब वे कहीं और व्यस्त थे। बाद में कृषि मंत्री शरद पवार के ध्यान आकर्षित कराया पर उन्हें अपनी नस्ती ही नहीं मिली। इस खबर के हिसाब से कृष्णा का रवैया गैरजिम्मेदाराना माना जा सकता है। कहा जा रहा है कि वे अपना जरूरी काम निपटा रहे थे, इसलिए उन्होंने स्पीकर की बात नहीं सुनी। जो भी हो पर यह हादसा हुआ तो सदन के अंदर। अब देखना यह है कि देश की बड़ी समाचार एजेंसी इस नोटिस को किस तरह से लेती है।
सजने लगी उत्तराखण्ड में सेनाएं!
उत्तराखण्ड में अगले साल विधानसभा चुनाव होना तय है। कांग्रेस के हाथों से सूबे में सब कुछ रेत के मानिंद ही फिसल रहा है। जिसे सहेजने के लिए कांग्रेस एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। वहीं दूसरी ओर भाजपा भी पुनः ताज पाने के लिए जतन कर रही है। पिछले दिनों मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई.कुरैशी के उत्तराखण्ड दौरे से सियासत में गरमी आ गई है। एनसीपी और सीपीएम चाह रही है कि चुनाव निर्धारित तिथियों के पहले ही हो जाएं ताकि इसका लाभ भाजपा को न मिल पाए। उधर कांग्रेस भी पत्थर पर तलवार रगड़कर धार पैनी करने में जुट गई है। चुनाव की पदचाप के साथ ही भाजपा द्वारा मीडिया को अब लुभाना आरंभ कर दिया है। आगाज देखकर लगने लगा है कि इस बार लड़ाई रोचक होने की उम्मीद है।
लो आ गई एक और कांग्रेस!
अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अपार सफलता के बाद देश में कांग्रेस के नाम से पार्टियों का बोलबाला रहा है। कभी राष्ट्रवादी कांग्रेस, तो कभी त्रणमूल कांग्रेस। नेताओं की बिसात में अब एक और कांग्रेस का पदार्पण हो चुका है। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को आधार बनाकर अब बुंदेलखण्ड कांग्रेस का गठन किया गया है। अपने जमाने के सिने अभिनेता राजा बुंदेला द्वारा इस पार्टी को जन्म दिया गया है। वैसे काफी अरसे से बुंदेला के मन में सत्ता पाने की आकांक्षाएं हिलोरे ले रहीं थीं। वे खुद बुंदेलखण्ड भूमि के हैं और इसके लिए उन्होंने संघर्ष अब तक जारी रखा है। अब देखना यह है कि आने वाले समय में यह कांग्रेस खुद के बलबूते पर कुछ कर पाती है या फिर कालांतर में यह भी किसी कांगे्रस का हिस्सा बन जाती है।
पुच्छल तारा
देश को किस हाल में पहुंचा दिया है कांग्रेस ने। हर मोर्चे पर अपने तर्क के बजाए कुतर्क दे दे कर आम आदमी का जीना ही मुहाल कर रखा है। इसी बात को रेखांकित किया है देहरादून से भेजे अर्जुन कुमार के ईमेल ने। अर्जुन लिखते हैं कि एक मर्तबा सोनिया गांधी को सपने में महात्मा गांधी दिखे। बापू ने पूछा कि मैने आखिरी वक्त में कांग्रेस को चश्मा, टोपी और लाठी दी थी, वो कहां है। सोनिया तपाक से बोलीं -‘‘बापू, टोपी राहुल बाबा के पास, चश्मा मनमोहन को दे दिया है।‘‘ बापू बोले कि लाठी कहां है? सोनिया फिर चहकीं -‘‘अरे बाबा, वो तो जनता के मुंह पर दे मारी है।‘‘
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