गुरुवार, 8 सितंबर 2011

सौर उर्जा के प्रति उदासीन शिवराज

सौर उर्जा के प्रति उदासीन शिवराज


खटाई में दिख रहा हैं सौर उर्जा संयंत्रों की स्थापना का काम


केंद्र के पत्र का जवाब देना भी मुनासिब नहीं समझा शिव सरकार ने


(लिमटी खरे)


नई दिल्ली। कांग्रेसनीत केंद्र सरकार और देश के हृदय प्रदेश की शिवराज सरकार के बीच अब टकराहट की प्रतिध्वनि तेज होती जा रही है। एक के बाद एक कर केंद्र सरकार द्वारा राज्य के साथ अनेक मामलों में सख्ती बरती जा रही है। हाल ही में मध्य प्रदेश में उर्जा की बचत के लिए सौर उर्जा इकाईयों की स्थापना का काम ठण्डे बस्ते के हवाले होता दिख रहा है। सौर उर्जा संयंत्रों की स्थापना पर केंद्र सरकार द्वारा सब्सीडी दी जाती है, किन्तु अहर्ताएं पूरी न हो पाने से मध्य प्रदेश के खाते की सब्सीडी अभी खटाई में ही है।


केंद्रीय नवीनीकृत उर्जा मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि सौर उर्जा संयंत्रों की स्थापना में केंद्र सरकार द्वारा सब्सीडी प्रदान की जाती है। सूत्रों ने आगे बताया कि मंत्रालय की गाईड लाईन के अनुसार सौर उर्जा संयंत्र में प्रयुक्त होने वाली बेटरी के रख रखाव को लेकर उलझन अभी भी बनी हुई है। मंत्रालय चाहता है कि मध्य प्रदेश सरकार इन बेटरियों के रखरखाव की जवाबदारी अपने सर ले। इस आशय का पत्र भी मंत्रालय द्वारा मध्य प्रदेश सरकार को भेजा जा चुका है।


सूत्रों ने कहा कि दो माह पूर्व लिखे इस पत्र का जवाब देना मध्य प्रदेश सरकार के उर्जा विभाग या उर्जा विकास निगम ने मुनासिब नहीं समझा है। इसके साथ ही साथ मध्य प्रदेश से आए लाखों आवेदनों में अधिकांश होम लाईट के हैं जिन पर सब्सीडी देने से केंद्रीय मंत्रालय ने पूर्व में ही साफ तौर पर इंकार कर दिया था।



यह होता है लाभ

केंद्रीय नवीनीकृत उर्जा मंत्रालय सौर उर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सब्सीडी देता है। इसके साथ ही साथ राज्य सरकार द्वारा भी इसमें कुछ अंशदान दिया जाता है। एक अनुमान के अनुसार 22 हजार रूपए मूल्य की स्ट्रीट लाईट सब्सीडाईज्ड होने के बाद महज छः हजार रूपए की और होमलाईट जिसकी बाजारू कीमत साढ़े बारह हजार है वह चार हजार चार सौ रूपए हो जाती है।

कोई टिप्पणी नहीं: