रविवार, 2 अक्टूबर 2011

लालू ने फेंकी थी गेंद भाजपा के पाले में



0 सिवनी से चलेगी पेंच व्हेली ट्रेन . . . 8

लालू ने फेंकी थी गेंद भाजपा के पाले में

बड़ी चतुराई से सांप भी मारा और लाठी भी न टूट पाई

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। 2008 में एक बार फिर लालू प्रसाद यादव ने बतौर रेलमंत्री कल रेल बजट पेश किया। निसंदेह लालू ने लगातार चौथी बार बजट पेश कर वह भी यात्री किराए अथवा मालभाड़े में बढोत्तरी के बिना ही बजट पेश कर अपनी पुरानी शैली को बरकरार रखी। उन्होंने उसी दौरान अस्तित्व में आई 11वीं पंचवर्षीय योजना में मीटर गेज से ब्राड गेज के अमान परिवर्तन की बात कही और इसमें छिंदवाड़ा से नैनपुर बरास्ता सिवनी का शुमार भी किया गया था।

यह लालू की बजीगरी थी कि उन्होंने इस योजना का नाम भी ले लिया और सिवनी की झोली में कुछ आया भी नहीं। लालू के बजट भाषण के उपरांत सिवनी जिले में हर्ष की लहर दौड़ गई। सिवनी के वाशिंदे यह समझने लगे कि वे बड़ी रेल लाईन पर सवारी गांढने ही जा रहे हैं। वस्तुतः इस तरह की कोई भी बात समझ में नहीं आती है। पर यह संतोष की बात है कि सालों बाद कम से कम रेल बजट में इस मार्ग का नाम तो सुनने को मिला। यह योजना अमली जामा कब पहनेगी यह बात तो समय के गर्भ में ही है।

इसके लिए लालू यादव के बजट के मूल पाठ को ध्यान से पढ़ना अत्यंत आवश्यक है कि यह राजनैतिक बाजीगरी है, अथवा वाकई सिवनी को कुछ हासिल हुआ है। अपने 38 पेज के बजट भाषण में उन्होंने 39 वीं कंडिका में इन तत्यों को साफ किया है। प्रस्तुत है उसका अंश। (पाठक चाहें तो डब्लूडब्लूडब्लू डाट इंडियनरेलवेज डाक काम पर इसे पढ़ सकते हैं)

महोदय, अनेक मार्गो का आधा अधूरा अमान परिवर्तन होने के कारण बाकी बची मीटर एवं छोटी लाईने द्वीप की तरह बन गई हैं। प्रमुख नेटवर्क से अलग थलग पड़ जाने के कारण इन लाईनों से रेल्वे को एक प्रतिशत से भी कम फ्रेट प्राप्त होता है, जबकि ये कुल नेटवर्क के 20 प्रतिशत से भी अलग हैं। फलस्वरूप रेल्वे को हजारों करोड़ रूपयों का सालाना घाटा हो रहा है। यहां तक कि इन लाईनों पर माल परिवहन भी घाटे का सौदा बन गया है। अतः 11वीं परियोजना के अंत तक अधिकांश मीटर लाईन को बड़ी लाईन मंे बदलने का कार्य पूरा करने का हम हर संभव प्रयास करेंगे।

एसी योजनाओं को स्वीकृति और क्रियान्वयन में प्राथमिकता दी जाएगी जो व्यस्त नेटवर्क के वेकल्पिक मार्ग उपलब्ध करवाएंगी, जिसमें उदयपुर अहमदाबाद, लखनउ शाहजहांपुर, ढासा जेसलमेर, जयपुर झुंझून, रतलाम खंडवा अकोला, नैनपुर छिंदवाड़ा, अहमदाबाद बोताड़ प्रमुख हैं। एसी योजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर क्रियान्वित किया जाएगा जिसमें कुल लागत का पचास फीसदी खर्च राज्य सरकारें वहन करने के लिए तैयार हों।

इस तरह लालू यादव ने सांप भी मार दिया और लाठी भी नहीं टूटने दी। मध्य प्रदेश के हिसाब से अगर देखा जाए तो अब उन्होंने सारा दारोमदार भाजपा के उपर ही छोड़ दिया है, कि अगर नैनपुर से छिंदवाड़ा रेल लाईन का अमान परिवर्तन करवाना है, तो इसमें व्यय होने वाली राशि का पचास फीसदी भार उठाने के लिए मध्य प्रदेश की शिवराज चौहान के नेतृत्व वाली सरकार तैयार हो। लालू ने किसके कहने पर इस तरह से बाल उठाकर शिवराज सिंह चौहान के कोर्ट में फेंक दी यह तो शोध का ही विषय है पर इसके बाद यह योजना केंद्र और राज्य के बीच आज तक झूल भैया झूल, तेरी टोपी में फूलकी तर्ज पर ही चल रही है।
(क्रमशः जारी)

1 टिप्पणी:

S.N SHUKLA ने कहा…

बहुत सुन्दर तथा सार्थक पोस्ट , आभार