सोमवार, 10 अक्टूबर 2011

क्या अण्णा कांग्रेस के दुश्मन हैं!



ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

क्या अण्णा कांग्रेस के दुश्मन हैं!
अण्णा हजारे की एक हुंकार ने देश में आग सी लगा दी। अण्णा के अनशन के चलते कांग्रेस घुटनों पर आ गई थी। चूंकि अण्णा की राजनैतिक महात्वाकांक्षाएं नहीं के बराबर थीं अतः लोग अण्णा को तहे दिल से समर्थन दे रहे थे। अण्णा के हालिया बयानों से लगने लगा है कि वे संघ या भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। अण्णा अब भ्रष्टाचार को छोड़कर कांग्रेस के पीछे पड़े हैं, जबकि केंद्र में कांग्रेसनीत संप्रग सरकार है। संप्रग के घटक दलों के बारे में टीम अण्णा मौन ही साधे हुए हैं। टीम अण्णा अब चुनावों में भी कांग्रेस को वोट न देने की अपील करने लगी है। अण्णा का कहना है कि वे ईमानदार प्रत्याशी का समर्थन करेंगे। अण्णा की नजरों में ईमानदारी की क्या परिभाषा है इस बारे में डरी हुई कांग्रेस पूछने का दुस्साहस नहीं कर पा रही है। अण्णा से कांग्रेस इतनी खौफजदा है कि कोई भी उनसे या टीम अण्णा से प्रश्न प्रतिप्रश्न करने का साहस नहीं जुटा पा रहा है।

किसका आशियाना बनेगा रायसीना हिल्स
जुलाई 2012 में देश की पहिला महामहिम राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल का कार्यकाल पूरा हो रहा है। उसके बाद रायसीना हिल्स स्थित महामहिम के आवास पर किसका कब्जा होगा इसके लिए कवायद अभी से तेज हो गई है। वाम दलों की ओर से उपराष्ट्रपति हादिम अंसारी, कांग्रेस इसके लिए मीरा कुमार, ए.के.अंटोनी और प्रणव मुखर्जी तो भाजपा फिर से ए.पी.जे.अब्दुल कलाम का नाम आगे बढ़ाने का मन बनाया जा रहा है। अण्णा हजारे का कांटा निकालने के लिए उन्हें इस पद के लिए माकूल समझा जा रहा है। सभी अपने अपने लिए लाबिंग करने लगे हैं। वैसे प्रतिभा ताई को इस बात का अफसोस अवश्य ही रहेगा कि उनके कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज एवं लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार के रहते भी महिला आरक्षण बिल संसद की सीढ़ीयां नहीं चढ़ सका।

परेशान हैं अमरीकि जासूस
भारत गणराज्य के राजनैतिक हालातों पर अमेरिका अपनी पैनी निगाह रखता है, यह बात किसी से छिपी नहीं है। पिछले दिनों अमेरिका के भारत में पदस्थ अधिकारी हलाकान हैं। इसका कारण यह है कि उन्हें राजनैतिक समीकरणों और सरकार के अंदर की इंटरनल केमिस्ट्री का पता नहीं चल पा रहा है। उधर अमेरिका में बैठे उनके आका दिन रात ईमेल और फोन कर उन्हें परेशान किए हुए हैं। अमेरिका से भारत के राजनेताओं ने दूरी क्यों बनाई यह तो वे ही जाने पर जब भी कोई अमेरिकी अधिकारी बड़े नेता से मिलने का समय मांगता है तो व्यस्तताओं का रटा रटाया बहाना उन्हें सुनने को मिल जाता है। सरकार के कुछ मंत्रियों जिनके अमेरिका दौरे बहुतायत में होते हैं अलबत्ता इन अफसरों के संपर्क में बताए जा रहे हैं। अधिकारी परेशान हैं कि आखिर भारत के नेताओं को अमेरिका के नाम पर सांप क्यों सूंघ रहा है।

जब दादा हुए असहज!
एक समय में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के खिलाफ अघोषित मोर्चा खोलने वाले प्रणव मुखर्जी इन दिनों काफी परेशान हैं। लगता है उनका शनि भरी चल रहा है। जैसे ही वे उप प्रधानमंत्री की कुर्सी के करीब पहुंचे उन्हें गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम का भारी विरोध झेलना पड़ा। हाल ही में जब प्रधानमंत्री डाॅ.एम.एम.सिंह ने उन्हें वाशिंगटन से न्यूयार्क बुलाया तब रात काटने के लिए दादा को भारी मशक्कत करनी पड़ी। पीएम पैलेस होटल में रूके थे। वहां एक भी सूईट खाली नहीं था। बाद में प्रणव दा पार्क सेंट्रल होटल पहुंचे तो वहां भी उन्हें सुईट नसीब नहीं हुआ। इस होटल में पीएम के साथ गए पत्रकार रूके थे। इन पत्रकारों की सेवा टहल में लगे विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव विष्णु प्रकाश ने अपना कमरा खाली कर प्रणव दा की रात गुजारने में मदद की। इस तरह बेईज्जती होने पर उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंचना स्वाभाविक ही है।

आम आदमी का गला रेतती केंद्र सरकार
केंद्र की कांग्रेसनीत संप्रग सरकार भले ही आंकड़ों की बाजीगरी में गरीबी कम होना दर्शाए किन्तु वास्तविकता इससे ठीक उलट ही है। देश में हर चीज के भाव तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। पहले थाली से दाल गायब हुई अब हरी सब्जियां भी लोगों की पहुंच से बहुत दूर जा चुकी है। केंद्र सरकार की तीन सौ करोड़ की लोगों की थाली में सब्जी पहुंचाने की योजना में भी पलीता लग गया है। मंहगाई से वैसे भी लोगों के मुंह का जायका खराब ही हो चुका है। उल्लेखनीय है कि शहरी आबादी के लिए सस्ती सब्जी मुहैया करवाने की घोषणा वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने अपने बजट भाषण में की थी। इसके तहत दस लाख की आबादी या अधिक वाले हर शहर को उत्तम गुणवत्ता वाली सब्जियों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सब्जियों के समूह को विकसित करने पर विचार विमर्श किया गया।

केंद्रीय मंत्रियों से दूर हुए युवा
भारत के युवाओं का नेताओं से मोहभंग होता जा रहा है। इन परिस्थितियों में राहुल गांधी का युवा भारत बनाने का सपना चूर चूर होता ही दिख रहा है। चुनाव आयोग के आंकड़े ही यह दर्शाने के लिए काफी हैं कि देश के हृदय प्रदेश में युवाओं का किस कदर चुनाव से मोह भंग हो रहा है। केंद्रीय मंत्री कमल नाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र में युवाओं का रूझान मतदान की ओर न होना इनके लिए परेशानी का सबब बन सकता है। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में 18 से 19 साल की आयु वाले युवाओं की तादाद 94 हजार 566 है इसके एवज में इस आयु वर्ग के वोटर्स की संख्या महज 15 हजार 77 ही है। इसी तरह ग्वालियर में 88 हजार 481 के मुकाबले 7828, भोपाल में 94 हजार 271 की जगह 10 हजार 763, जबलपुर में एक लाख दस हजार 5 के स्थान पर ग्यारह हजार 334 का आंकड़ा सामने आया है।

लाल किले की प्राचीर से संबोधन चाह रहे हैं मोदी
भाजपा के युवा तुर्क नरेंद्र मोदी के मन में 7, रेसकोर्स रोड़ (प्रधानमंत्री आवास) को आशियाना बनाने का सपना पल रहा है। कहते हैं मोदी को भाजपाध्यक्ष बनाना चाह रहा था संघ। मोदी ने इससे साफ इंकार कर दिया। भाजपा और संघ चाह रहा है कि उनकी छवि का लाभ उठाकर अगले आम चुनावों में भाजपा के प्रदर्शन को सुधारा जाए। इसके लिए मोदी तैयार नहीं दिख रहे हैं। गड़करी का कार्यकाल अगले साल समाप्त हो रहा है। लोकसभा चुनाव 2014 में होना है। मोदी ने संघ को यह कहकर चुप करा दिया कि उनके मुख्यमंत्री रहते कांग्रेस उनका बाल भी बांका नहीं कर सकती और अगर वे भाजपाध्यक्ष बनते हैं तो उन्हें सीएम की कुर्सी तजना होगा। सूत्रों की मानें तो मोदी ने संघ को दो टूक शब्दों में कह दिया है कि अगर कुछ करना है तो उनके प्रधानमंत्री बनने के मार्ग प्रशस्त करें, ताकि वे स्वाधीनता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित कर सकें।

शिव के खिलाफ मन ने खोला तीसरा नेत्र
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शिवराज सिंह चैहान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि विभाग ने मध्य प्रदेश को नेशनल सरल ड्रिंकिंग वाटर प्रोग्राम (एनआरडीपीडब्लू) के तहत दी जाने वाली राशि पर रोक लगा दी है। मंत्रालय का आरोप है कि शिवराज सरकार ने इस योजना के अंतर्गत केंद्र द्वारा दी गई इमदाद का व्यय प्रतिवेदन केंद्र सरकार को प्रेषित नहीं किया है। सूत्रों ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य को एनआरडीपीडब्लू की राशि रोकने का कारण भी राज्य को बता दिया है। कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार अपनी इमदाद की पाई पाई की रिपोर्ट चाह रही है। केंद्र सरकार को यह भी बताया जा रहा है कि राज्य सरकार द्वारा केंद्र से प्राप्त सहायता को मूल मद में व्यय करने के बजाए उसका उपयोग अन्य मदों में किया जा रहा है।

कांगाल हो चुकी भारतीय रेल
स्वयंभू योग गुरू लालू प्रसाद यादव के समय भारतीय रेल मुनाफे का मंत्रालय हुआ करता था। इसके बाद ममता बनर्जी की अनदेखी के चलतेे भारतीय रेल पटरी से उतर गई। आज आलम यह है कि रेल्वे मंत्रालय ने केंद्र सरकार से दो हजार करोड़ की मदद चाही है। अरबों रूपए अपनी अंटी में रखने वाली भारतीय रेल के पास अब नकद के तौर पर महज पचहत्तर लाख रूपए ही बचे हैं। मामला वित्त मंत्रालय के पाले में चला गया है। कहा जा रहा है कि पिछले नौ सालों से यात्री किराया नहीं बढ़ाए जाने से रेल्वे को नुकसान हो रहा है। इन नौ सालों में लालू प्रसाद यादव भी रेल मंत्री रहे हैं और उन्होंने इन्हीं संसाधनों में रेल्वे को लाभ की संस्था बना दिया था। वैसे देखा जाए तो ममता बनर्जी की मनामनी के लिए प्रधानमंत्री डाॅ.मनमोहन सिंह सीधे सीधे जवाबदार हैं।

स्वामी पर टूटेगा कांग्रेस का नज़ला
नेहरू गांधी परिवार (महात्मा गांधी नहीं) को पानी पी पी कर कोसने वाले जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्ाम्यणम स्वामी पर अब कांग्रेस की नजरें तिरछी होती दिख रहीं हैं। दिल्ली में स्वामी पर एक लेख के माध्यम से भावनाएं भड़काने का प्रकरण दर्ज किया गया है। स्वामी पर आरोप है कि उन्होंने मुस्लिम समुदाय से मतदान का अधिकार छीन लेने की बात लिखी थी। उन पर लेख लिखकर समुदायों के बीच शत्रुता फैलाने को लेकर आईपीसी की धारा 153 ए के तहत केस दर्ज किया है। वरिष्ठ वकील आर. के. आनंद ने इस संबंध में स्वामी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने अगस्त में लेख में स्वामी की ओर से की गई टिप्पणी को लेकर मामला दर्ज करने का फैसला किया था। हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी से शिक्षा हासिल करने वाले स्वामी ने अखबार में लिखे अपने लेख में कहा था कि हिंदुओं को सामूहिक रूप से आतंकवादी वारदातों का जवाब देना चाहिए।

दवा लाबी ने पटका आजाद को
एंटीबायोटिक्स का रिकार्ड रखने के लिए केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के शेड्यूल एक्स को अंतत टाल ही दिया गया। गौरतलब है कि वर्तमान में फुटकर दवा विक्रेताओं के पास दवा की बिक्री का रिकार्ड नहीं रहता है। वे महीने में एक बार छःमाही या सालाना बिल कटवाते रहते हैं। इस तरह इनका सेल्स टेक्स इंकम टेक्स आदि का अंदाजा लगाना मुश्किल होता है। इसके साथ ही साथ प्रतिबंधित दवाओं को भी इनके द्वारा खुलेआम बेचा जाता है। कहा जा रहा है कि अगर यह लागू हो जाता तो दवा विक्रेताओं को एंटीबायोटिक दवा बेचने के साथ ही साथ मरीज का रिकार्ड जैसे उसकी जांच पर्ची आदि की फोटोकापी संभालकर रखना होता। चर्चा है कि भारी भरकम लेन देन के बाद अंततः केंद्र सरकार द्वारा शेड्यूल एच एक्स को लंबित कर ही दिया। अब देखना यह है कि विपक्ष में बैठी भाजपा और अन्य दल इस मामले को क्या लोकसभा में उठाने की जहमत उठाएंगे?

नितिश के साथ टीम अण्णा
टीम अण्णा भले ही साफ सुथरी राजनीति की बात कर रही हो पर टीम अण्णा के सदस्य अपने अपने गैर सरकारी संगठनों के लिए काम हेतु सरकारों पर दबाव बना रहे हैं। टीम अण्णा के एक महत्वपूर्ण सदस्य अरविंद केजरीवाल अपने एनजीओ के लिए तत्कालीन केंद्रीय मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के पास एक प्रस्ताव लेकर गए थे, चव्हाण ने उन्हें दो टूक मना कर दिया था। उसी प्रस्ताव को लेकर जब केजरीवाल बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार के दर पर गए तब नितीश ने उन्हें हाथों हाथ ले लिया। केजरीवाल चहते थे कि आरटीआई को फोन और आॅन लाईन आरंभ करवाना चाह रहे थे। केजरीवाल की योजना आज बिहार में धूम मचाए है। नितीश इससे बेहद उत्साहित हैं, क्योंकि इसी बहाने वे टीम अण्णा की गुड बुक में आ गए और टीम अण्णा का समर्थन भी पा लिया।

पीसीसी से खफा एमपी के क्षत्रप
मध्य प्रदेश में मृत अवस्था में पहुंच चुकी कांग्रेस को जिलाने के लिए केंद्रीय मंत्री कांति लाल भूरिया से लाल बत्ती छीनकर कांटों भरा ताज उनके सिर पर रखा गया था। भूरिया लहुलुहान ही दिख रहे हैं। जैसे तैसे उन्होने अपनी टीम को हरी झंडी दिलवाकर उसका एलान करवा दिया। चूंकि भूरिया महज तीन जिलों तक ही अपने आप को सीमित किए हुए थे अतः बाकी जिलों में उन्हें इसका उसका मुंह ताकना पड़ा। मध्य प्रदेश के क्षत्रपों के चहेतों को टीम भूरिया में स्थान न मिल पाने से वे कोप भवन में हैं। दूसरी ओर अनजान चेहरों पर भूरिया ने दांव लगाकर मुसीबत खड़ी कर ली है। अनेक वरिष्ठ नेताओं को कनिष्ठ के नीचे काम करना गवारा नहीं। टीम भूरिया की जंबो सूची भी एमपीसीसी के असंतोष का शमन नहीं कर सकी। कुछ भी हो महासचिव राजा दिग्विजय सिंह ने अपने पट्ठे को मुखिया बनाकर मनमाफिक काम करवा बाकी क्षत्रपों को जमीन दिखा ही दी।

पुच्छल तारा
भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचार। भारत गणराज्य इस समय आकण्ठ भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। जहां देखो वहां भ्रष्टाचार फैला हुआ है। अण्णा हजारे की मुहिम के बाद भी यह जस का तस ही है। इसी बात पर अहमदाबाद से प्रदीप बैस ने एक संक्षित और सारगर्भित ईमेल भेजा है। प्रदीप लिखते हैं -‘‘भ्रष्टाचार से हर कोई परेशान है। अण्णा हजारे का साथ लोगों ने इसी लिए दिया था। अब अण्णा का ध्यान भ्रष्टाचार से हटकर कांग्रेस पर केंद्रित हो गया है। लगता है अण्णा ने कांग्रेस के सफाए के लिए ही जमीन तैयार की थी। आजादी के बाद महात्मा गांधी ने कांग्रेस को भंग करने का सुझाव दिया था, जिसका पालन अण्णा सुनिश्चित करवा रहे हैं। भ्रष्टाचार का मुद्दा टीम अण्णा भूल चुकी है। भ्रष्टाचार जस का तस खड़ा है। . . . . 

ये भ्रष्टाचार क्या कुछ ले दे कर खत्म नहीं हो सकता?‘‘

1 टिप्पणी:

S.N SHUKLA ने कहा…

बहुत सार्थक प्रस्तुति , बधाई