बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 6
घोटाले ठोंकेंगे मनमोहन के कार्यकाल में आखिरी कील
भ्रष्टों के ईमानदार संरक्षक मनमोहन सिंह से खफा हैं कांग्रेस के आला नेता
दूसरा कार्यकाल साख पर बट्टा लगा गया मनमोहन की
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की दूसरी पारी में हुए घपलों और घोटालों के महासागर ने कांग्रेस विशेषकर अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह की मट्टी पूरी तरह खराब कर दी है। केंद्र में इतना कीचड़ मच चुका है कि अब राहुल गांधी की परछांईं भी प्रधानमंत्री पद संभालने से कतरा रही है। राहुल के लिए प्रधानमंत्री का रोड़ मेप बानने में जुटी सोनिया गांधी खुद भी मनमोहन सिंह के इस तरह के व्यवहार से बेहद खफा हैं।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि यूपीए सरकार अब पूरी तरह से पंगु, निकम्मी और नपुंसक हो चुकी है। सोनिया गांधी यह नहीं समझ पा रही हैं कि मनमोहन सिंह जब अपना पहला कार्यकाल पूरा कर रहे थे तभी कांग्रेस के चतुर सुजान और उपेक्षित चाणक्य मनमोहन सिंह और कांग्रेस के लिए ताबूत तैयार करवा रहे थे। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत की एक वेब साईट ने इसका खुलासा भी किया था कि एकाएक घपले और घोटाले सामने आने के पीछे कौन है।
उन्होंने कहा कि यद्यपि अब वह चाणक्य इस दुनिया में नहीं है फिर भी कांग्रेस को उनकी उपेक्षा का दंश तो झेलना ही पड़ रहा है। 2004 से 2009 तक जिन घोटालों को अंजाम दिया गया उनमें प्रमुख तौर पर एयरसेस मेक्सिस, टू जी, इसरो, कामन वेल्थ, एस बेण्ड आदि हैं। वैसे कामन वेल्थ का बड़ा घोटाला यूपीए पार्ट टू में हुआ है पर इसकी शुरूआत पहले ही हो चुकी थी।
कांग्रेस के अंदर ही अंदर यह बात जमकर खदबदाने लगी है कि मनमोहन सिंह अच्छी, टिकाउ और स्वच्छ सरकार नहीं दे सकते हैं। अगर मनमोहन सरकार ठीक से काम करती तो आज यह दिन न देखना पड़ता। मनमोहन सिंह को कांग्रेस के लोग अब ईमानदार व्यक्ति के बजाए भ्रष्टाचार के ईमानदार संरक्षक कहने लगे हैं। वैसे भी मनमोहन सिंह ने संपादकों की टोली के सामने खुद को कमजोर और बेबस साबित किया था। इतना ही नहीं मनमोहन सिंह और कांग्रेस के लिए राष्ट्र धर्म से बड़ा गठबंधन धर्म हो गया है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें