बुधवार, 23 नवंबर 2011

प्रणव पजा रहे मन से तलवार


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 33

प्रणव पजा रहे मन से तलवार

मनमोहन की आर्थिक नीतियां बनीं विवाद का विषय

आर्थिक नीतियों पर पुर्नविचार का दबाव

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के बीच रार बढ़ती ही जा रही है। मनमोहन सिंह की बाजारोन्नमुखी नीतियों पर कांग्रेस के अंदर एक बहस आरंभ हो गई है। नासाज तबियत वाली सोनिया गांधी पर अब मौजूदा आर्थिक नीतियों पर पुर्नविचार का दबाव बढ़ता ही जा रहा है। कांग्रेस के मीडिया प्रभारियों के सुर भी अब वजीरे आजम के खिलाफ परोक्ष तोर पर मुखर होते दिख रहे हैं।

कल तक मनमोहन सिंह की उदार बाजारोन्नमुखी अर्थव्यवस्था के खुले समर्थक और अनियमित तौर पर पेट्रोल के बढ़े दामों का समर्थन करने वाले वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के सुर भी अब बदलते दिख रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने मशहूर नोबेल पुरूस्कार प्राप्त आर्थिक विश्लेषक जोसस इयूजिन स्टिगलिट्स को भारत आने का न्योता देकर सभी को चौंका दिया है।

स्टिगलिट्स को एक संस्था के दीक्षांत समारोह में भारत न्योता गया है। स्टिगलिट्स मशहूर अर्थशास्त्री हैं। इन्होंने ही अमेरिका और यूरोप में आई आर्थिक मंदी की भविष्य वाणी की थी। उनका मिजाज सख्त बाजार समीक्षक का भी है। जानकारी इस न्योते को वजीरे आजम की मौजूदा बाजार नीति के खिलाफ प्रणव की पहल के तौर पर देख रहे हैं।

गौरतलब है कि कांग्रेस के मीडिया सेल के प्रभारी जनार्दन द्विवेदी पूर्व में प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के खिलाफ अघोषित जंग का एलान कर चुके हैं। जनार्दन द्विवेदी ने मीडिया के सामने ऑन रिकार्ड यह कह डाला था कि कोई भी एसी नीति जो जनता के हितों का संरक्षण न कती हो, साथ ही मनमाफिक नतीजे न दे उस नीति को बदलना ही बेहतर है। दरअसल पेट्रोल की बार बार बढ़ती कीमतों पर मीडिया की घेरा बंदी से द्विवेदी बुरी तरह परेशान लग रहे थे।

(क्रमशः जारी)

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