शुक्रवार, 25 नवंबर 2011

भोजपाल नहीं भोपाल ही रहेगा राजधानी का नाम


भोजपाल नहीं भोपाल ही रहेगा राजधानी का नाम

भोपाल को छोड़कर शेष 29 प्रस्तावों को हरी झंडी

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। हृदय प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान को तगड़ा झटका देते हुए केंद्र सरकार द्वारा राजधानी भोपाल का नाम बदलकर भोजपाल करने के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है। गृह मंत्रालय को मिले तीस प्रस्तावों में से भोपाल को छोड़कर शेष प्रस्तावों को केंद्र ने हरी झंडी देकर साबित कर दिया है कि सूबे की कांग्रेस के विरोध को वह हल्के में लेने वाली कतई नहीं है। उल्लेखनीय है कि शिवराज सिंह चौहान ने जब इसकी घोषणा की थी तब कांग्रेस ने इसका पुरजोर विरोध किया था। उस वक्त कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक हरवंश सिंह ठाकुर को भी मंच पर उपस्थित रहने के चलते विरोध सहना पड़ा था।

केंद्र के इस रवैए से हृदय प्रदेश की राजधानी का नाम बदलने की राज्य सरकार की योजना खटाई में पड़ गई है। प्रदेश सरकार ने राजा भोज के सहत्राब्दी समारोह में भोपाल का नाम भोजपाल किए जाने का ऐलान किया था। काफी मशक्कत के बाद यह प्रस्ताव तैयार हुआ और केंद्र को भेजा गया लेकिन इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि कलकत्ता कोलकाता हो गया, बंबई मुंबई बन गया, मद्रास चेन्नई हो गया, त्रिवेन्द्रम थिरूवनंतपुरम हो गया, लेकिन भोपाल भोजपालनहीं बन सका।

गृह राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने लोकसभा को बताया कि पंजाब में साहिबजादा अजीतसिंह नगर का नया नाम अजीतगढ़ है। सुनाम को सुनाम उधमसिंह वाला बनाया गया तो नवांशहर को शहीद भगतसिंह नगर नाम दिया गया। मुक्तसर को मुक्तसर साहिब नाम मिला। उन्होंने ए. वेंकट रामी रेड्डी के सवाल के लिखित जवाब में बताया कि केरल में क्वीलोन को कोल्लम, त्रिचूर को थुसूर, अलेप्पी को अलपूझा, कन्नानूर को कन्नूर, तेलीचेरी को थालासेरी, कोचीन को कोच्चि, मन्नारघाट को मन्नारकाड नाम दिया गया। सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश के महू को अंबेडकर नगर और जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के कारण गोटेगांव को श्रीधाम नाम दिया गया।

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