सोमवार, 14 नवंबर 2011

अपने ही निर्णय से पलटते शिवराज


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अपने ही निर्णय से पलटते शिवराज

खेती की जमीन अधिगृहित न करने का जारी किया था फरमान

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। देश के हृदय प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान अब अपने कौल से ही पलटते नजर आ रहे हैं। पहले खेती की जमीनों का अधिग्रहण न करने के निर्देश देते हैं फिर उद्योगों के दबाव में आकर गरीब आदिवासियों की जमीन को कांग्रेस के नेताओं के दबाव में निजी कंपनियों के हवाले करने से भी वे गुरेज करते नहीं दिख रहे हैं।

गौरतलब है कि इसी साल अगस्त के दूसरे पखवाड़े में राजधानी भोपाल में भोपाल में शीर्ष स्तरीय निवेश संवर्धन साधिकार समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा था कि कम होती जा रही खेती की जमीन के मद्देनज़र किसानों की जमीनें अधिगृहीत नहीं की जायेंगी। बड़ी उद्योग परियोजनाओं को अपने उपयोग के लिये स्वयं जमीन खरीदना होगी। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री चौहान की पहल पर औद्योगिक इकाइयों की स्थापना और व्यावसायिक संचालन संबंधी मुद्दों पर त्वरित निर्णय लेने और अंर्तावभागीय मुद्दों का समाधान करने के लिये नियमित रूप से शीर्ष समिति की बैठक आयोजित की जाती है।

उस समय भावावेश में श्री चौहान ने दिल्ली मुम्बई औद्योगिक कॉरिडोर परियोजना से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिये वित्त मंत्री की अध्यक्षता में बैठक आयोजित करने के भी निर्देश दिये। उन्होंने संबंधित विभागों के प्रमुख सचिवों को निर्णयों का पालन निश्चित समय-सीमा में करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि शीर्ष समिति के समक्ष विभिन्न विषय रखने के पहले उन पर गहन रूप से विचार-विमर्श हो जाना चाहिये ताकि निर्णय लेने में आसानी हो।

इस महात्वपूर्ण बैठक में वित्त मंत्री राघवजी, उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, मुख्य सचिव अवनि वैश्य, प्रमुख सचिव उद्योग पी.के. दाश, प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन एस.पी.एस. परिहार, प्रमुख सचिव जल संसाधन आर.एस. जुलानिया, प्रमुख सचिव आवास एवं पर्यावरण इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव राजस्व आर.के. स्वाई, प्रमुख सचिव कृषि एम.एम. उपाध्याय, जैसे वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश के ही सिवनी जिले में देश की मशहूर थापर ग्रुप के सहयोगी प्रतिष्ठान झाबुआ पावर लिमिटेड के लिए 600 एकड़ में प्रस्तावित छः सौ मेगावाट के पावर प्लांट को डालने के लिए शिवराज सरकार द्वारा गरीब आदिवासियों की जमीन भी माटी मोल कंपनी को दिलवाई जा रही है। इस सबके बाद भी मध्य प्रदेश में आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस कमेटी मौन धारण किए हुए है।

(क्रमशः जारी)

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