बुधवार, 7 मार्च 2012

होली पर सिवनी का दर्द!!!!!


होली पर सिवनी का दर्द!!!!!



(संजय तिवारी)

एन.एच. के गड्ढ़ों और सड़कों से उड़ती धूल।
            जिले में नेता और अधिकारी सब बनाते हमको फूल।।

बधिया कर राजनीति को बना दिया सैटिंग का खेल
            भ्रष्ट नेता भ्रष्ट अधिकारियों के बीच लूटने की रेलम पेल।।

जिले में दबंगता की नहीं खस्सीपन की घुट्टी पिलायी जाती है।
         जमीन में नहीं बैनर, पोस्टर, होर्डिंग्स से राजनीति की जाती है।।

जिले का नहीं मेरा विकास हमारे नेताओं का ये नारा है।
         गाड़ी, बंगला, पैसा बना लो अगली सात पीढ़ियों का गुजारा है।।

 भ्रष्ट और भ्रष्टाचार का स्वर्ग है हमारा सिवनी जिला।
          माल खाते नेता कार्यकर्ताओं से जपवाते नैतिकता की माला।।

हम बाहर से आये भैया और दीदी को सिर पर बैठाते हैं।
          अपनों की समीक्षा कर भैया दीदी को लोकप्रिय बताते हैं।।

जिले में है विकास पुरूष, लोकप्रिय, अपराजित कद्दावर और महाबलि।
            फिर क्यों बार-बार चढ़ती है लोकसभा, संभाग और फोरलेन की बलि।।

बदल रहे हैं मापदंड कौन होगा हमारा नायक, है यह सवाल।
            कागजों पर नायक बनाने वालों की चांदी, जनता को है मलाल।।

लालबत्ती वाली गाड़ी उजियारे वस्त्रों की बिखरी है छटा।
             सिवनी के उतर रहे हैं कपड़े जनता का मन है खट्टा।।

हम जनता भी कुछ कम नहीं, एक दूसरे को बताते मुर्दा।
           अपना आक्रोश सिर्फ बतियाते, मेरे घर में नहीं बाजू में हो भगतसिंह पैदा।।

कह दिया जो कहना था होली का है त्यौहार।
            बुरा लगे तो बुरा मानना चला दो आक्रोश की बौछार।।

(साई फीचर्स)