नाथ के स्वागत में
निष्क्रिय रहे कांग्रेस के अनेक धड़े!
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)।
केंद्रीय मंत्री कमल नाथ की सिवनी यात्रा के दौरान कांग्रेस के अनेक धड़ों का
निष्क्रिय रहना अपने आप में एक आश्चर्य माना जा रहा है। कमल नाथ के स्वागत में
उमड़ी भीड़ उनके कद के अनुरूप कतई नहीं मानी जा सकती है। इस भीड़ में छिंदवाड़ा, मण्डला, जबलपुर, बालाघाट आदि जिलों
के उनके समर्थकों की तादाद अधिक मात्रा में बताई जा रही है।
जिला कांग्रेस
कमेटी के सूत्रों का दावा है कि सिवनी जिले के विभिन्न ब्लाक से कार्यकर्ताओं का
टोटा साफ इस परिवर्तन यात्रा में दिखाई दिया। सूत्रों की मानें तो इसका कारण जिला
कांग्रेस कमेटी द्वारा इस कार्यक्रम की पूर्व तैयारी ना किया जाना ही प्रमख है।
सूत्रों के अनुसार
इसके पूर्व किसी भी नेता की सभा के लिए जब तक ठाकुर हरवंश सिंह जीवित रहे तब तक
उन्होंने ब्लाक स्तर की बैठक आहूत कर कार्यक्रमों की सफलता सुनिश्चित की जाती रही
है। यह पहला मौका होगा जब जिला कांग्रेस कमेटी इस दिशा में निष्क्रिय ही रही।
कांग्रेस के अंदर
चल रही चर्चाओं के अनुसार कांग्रेस के कद्दावर नेता और मध्य प्रदेश विधानसभा के
उपाध्यक्ष रहे हरवंश सिह ठाकुर की अंतिम यात्रा में जिस तरह सिवनी जिले के
कांग्रेस के कार्यकर्ता उमड़ पड़े थे, उसके प्रकाश में यह माना जा रहा था कि उनके
ना रहने पर कार्यकर्ता उन्हें याद करते हुए इस सभा में ज्यादा से ज्यादा तादाद में
उपस्थित होंगे।
इस परिवर्तन यात्रा
में केंद्रीय संसदीय कार्य और शहरी विकास मंत्री कमल नाथ के अलावा प्रदेश कांग्रेस
कमेटी के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह
भी शिरकत करने वाले थे। स्पष्ट तौर पर सिवनी में कांति लाल भूरिया और अजय सिंह के
समर्थक नगण्य ही हैं, इसलिए उनके लिए कार्यकर्ता शायद ही मेहनत करते।
वहीं, दूसरी ओर यह भी
माना जा रहा था कि कमल नाथ चूंकि पड़ोसी छिंदवाड़ा जिले के संसद सदस्य हैं और सिवनी
से उनका गहरा नाता रहा है, सिवनी जिले की सिवनी, लखनादौन या बरघाट विधान सभा की टिकिट पाने
के लिए कार्यकर्ता दिल्ली जाकर उनके दरबार में मत्था टेकते आए हैं। इस लिहाज से यह
माना जा रहा था कि वे सभी लोग जो टिकिट की दावेदारी प्रस्तुत कर चुके हैं या
भविष्य में करेंगे अपने समर्थकों के साथ इस कार्यक्रम में उपस्थित अवश्य होंगे।
वहीं, दूसरी ओर इसमें
हरवंश सिंह के पुत्र रजनीश सिंह को भी अपने पिता का स्थान लेना तय माना जा रहा था, इस लिहाज से हरवंश
सिंह के समर्थकों का भी ज्यादा से ज्यादा तादाद में वहां पहुंचना तय ही माना जा
रहा था। वैसे देखा जाए तो सिवनी में कुंवर अर्जुन सिंह की अगुआई में नेतागिरी करने
वाले अब नहीं बचे हैं। वहीं दिग्विजय ंिसंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अरूण यादव अािद के
गुट के लोग सिवनी में बचे नहीं हैं। रही बात सुरेश पचौरी की तो उनके समर्थक आज भी
सिवनी में मौजूद हैं।
कांग्रेस के अंदर
अब कमल नाथ के जाने के बाद उनकी यात्रा, उनके वक्तव्यों, कांग्रेस की
परिवर्तन यात्रा, नेताओं के रवैए
आदि का पोस्ट मार्टम सार्वजनिक तौर पर आरंभ हो गया है। कुछ नेताओं का मानना है कि
कमल नाथ की इस सभा में अन्य क्षत्रपों के समर्थकों ने अपने आप को लगभग निष्क्रीय
ही रखा।
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