पैंशनर्स को मशविरा: निःशुल्क दवा चाहिए
तो शिकायत कीजिए!
(पीयूष भार्गव)
सिवनंी (साई)। अगर आप मध्य प्रदेश में
शिवराज सिंह चौहान की सरकार में पैंशनभोगी हैं, और आपको सरकारी अस्पताल से अपने रोग के
लिए दवा चाहिए, आपको देने में चिकित्सालय प्रशासन आनाकानी कर रहा है तो बस उठाईए कलम और
कर दीजिए संवेदनशील जिला कलेक्टर को एक शिकायत। आपको सौ दो सौ नहीं चार पांच हजार
रूपए प्रतिमाह तक की दवाएं भी चिकित्सालय प्रशासन खरीदकर देगा।
जी हां, यह सच है। गौरतलब है कि लगभग दो सालों
से सिवनी जिले में पैंशनर्स दवाओं के लिए यत्र तत्र भटक रहे हैं। जिला चिकित्सालय
के स्टोर में दवाओं का बजट समाप्त हो गया है, का बोर्ड भी महीनों से दिखाई नहीं दे
रहा है। जिला चिकित्सालय में दवाओं की खरीद में कमीशनबाजी चरम पर है। वरना क्या
कारण है कि जनरल पूल में खरीदी जाने वाली मल्टी विटामिन और एसिडिटी की दवाएं भी
पैंशनर्स की मद में आई राशि से खरीदी जा रही हैं।
जबरन छकाया जा रहा है पैंशनर्स को
पिछले दिनों जिला पैंशनर्स एसोसिएशन के
वरिष्ठ सदस्य डी.बी.नायर जब जिला चिकित्सालय पहुंचे थे (वर्तमान में उनके पैर में
फेक्चर है और वे अपने निवास पर ही स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं), जहां चिकित्सकों ने उन्हें चिकित्सालय
में उपलब्ध दवाओं मेें से ही दवाएं देने की बात कही। इस पर उन्होंने चिकित्सकों से
कहा कि जो दवाएं उन्हें जरूरी हैं अगर वे दवाएं स्टोर में नहीं हैं तो वे क्या
करेंगे?
दरबार का शौक है सीएस को
बताया जाता है कि इस पर ओपीडी में मौजूद
चिकित्सक ने साफ तौर पर कह दिया गया था कि अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ.सत्य नारायण
सोनी के मौखिक निर्देश हैं कि बाहर की दवाएं बिल्कुल न लिखी जाएं। जब इस संबंध में
डॉ.सत्यनारायण सोनी से उनका पक्ष जानना चाहा तो वे सिविल सर्जन कक्ष में चार पांच
चिकित्सकों का दरबार लगाए (जबकि चिकित्सालय के समय में चिकित्सकों को दरबार के
बजाए ओपीडी में जाने की नसीहत दी जानी चाहिए) हंसी ठठ्ठा में व्यस्त थे।
कलेक्टर से की शिकायत
बताया जाता है कि इस संबंध में पैंशनर्स
एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्य डी.बी.नायर द्वारा संवेदनशील जिला कलेक्टर से शिकायत की
गई। जिला कलेक्टर ने पैंशनर्स की इस समस्या पर संजीदगी दिखाते हुए स्वास्थ्य विभाग
को तत्काल निर्देश जारी कर कहा कि पैंशनर्स को दवाओं के मामले में परेशानी न हो इस
बात का विशेष ध्यान रखा जाए। इसके बाद ही उन्हें व उनकी पैंशनर पत्नि को बाजार से
दवाएं खरीदकर अस्पताल प्रशासन द्वारा दी गई।
कहां जाएं पेंशनर्स
एक वयोवृद्ध पेंशनर ने समाचार एजेंसी ऑफ
इंडिया को बताया कि अस्पताल के स्टोर में उपलब्ध दवाओं के भरोसे तो पेंशनर नहीं रह
सकता। बावजूद इसके अस्पताल में दवा वितरण केंद्र में पेंशनर्स के लिए बनाई गई एक
प्रथक खिड़की में न तो कोई कर्मचारी दवा वितरण के लिए मौजूद रहता है न ही पेंशनर्स
की कोई सुनता है। बताया जाता है कि पिछले दिनों दवा वितरण केंद्र में पदस्थ श्री
अंसारी द्वारा सिविल सर्जन डॉ.सत्य नारायण सोनी को ही दो टूक शब्दों में यह कहकर
कि वे लिखापढ़ी में व्यस्त हैं, किसी ओर को काउंटर में बिठाओ लताड़ दिया
था। उस वक्त वहां मीडिया के कुछ कर्मी भी मौजूद थे। अपने अधीनस्थ एक अदने से
कर्मचारी की लताड़ सुनकर भी डॉ.सत्यनारायण सोनी उसे प्रसाद समझकर पी गए और
मुस्कुराते हुए वहां से रूखसत हो गए, यह है डॉ.सत्यनारायण सोनी की प्रशासनिक
कुशलता।
दवा चाहिए तो करें शिकायत
जिला चिकित्सालय में पदस्थ एक
पॅरामेडीकल स्टाफ ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को
बताया कि सिविल सर्जन डॉ.सत्यनारायण सोनी पर शल्य क्रिया के पूर्व बेहोश करने के
लिए मरीज के परिजनों से रिश्वत लेने के संगीन आरोप हैं। कई बार तो पैसा नहीं मिलने
पर मारपीट तक की नौबत आ चुकी है। डॉ.सत्यनारायण सोनी सिवनी में अस्सी के दशक से
पदस्थ हैं, जबकि सरकारी अधिकारियों का तबादला तीन साल में हो जाना चाहिए, वहीं डॉ.सत्य नारायण सोनी तीन साल क्या
तीन दशक पूरे करने वाले हैं। उक्त कर्मचारी का कहना था कि डॉ.सत्य नारायण सोनी ने
साफ तौर पर किन्तु अघोषित तौर पर चिकित्सकों सहित स्टोर के कर्मचारियों को निर्देश
दिए हैं कि पेंशनर्स में से दवाएं उन्हें ही खरीदकर दी जाएं जिनकी सिफारिश जिला
कलेक्टर द्वारा की जाए। उक्त कर्मचारी का कहना है कि अगर किसी पेंशनर को अपने ‘मौलिक अधिकार‘ वाली निःशुल्क दवा चाहिए तो वह
चिकित्सालय जाकर चप्पलें घिसने के बजाए जिला कलेक्टर के पास जाए। पता नहीं
डॉ.सत्यनारायण सोनी अपने कर्तव्यों का सीधा सीधा निर्वहन करने के बजाए संवेदनशील
जिला कलेक्टर भरत यादव का सरदर्द क्यों बढ़ाने पर तुले हुए हैं।
जनरल पूल की दवाएं पेंशनर्स कोटे में
जिला चिकित्सालय के स्टोर के सूत्रों का
कहना है कि डॉ.सत्यनारायण सोनी चमड़े के सिक्के चलाने पर आमदा नजर आ रहे हैं।
पेंशनर्स कोटे के आवंटन की मद में जनरल पूल की दवाएं खरीदकर इस मद की राशि को हवा
में उड़ाया जा रहा है। इतना ही नहीं रक्तचाप के लिए लगभग डेढ़ सैकड़ा दवाएं चलन मेें
होने के बाद भी एटेन और लोसार नामक दवाएं ही पैंशनर्स मद की राशि से खरीदी जा रही
हैं। यही आलम मल्टी विटामिन और एसीडिटी आदि की दवाओं का है।
कहां गई दो साल की राशि?
पेंशनर्स एसोसिएशन के एक सदस्य ने बताया कि पेंशनर्स को दवाएं देने की मद में
आई राशि का पिछले दो सालों में क्या हुआ इसकी तो सीबीआई जांच होनी चाहिए। पिछले दो
सालों से पेंशनर्स को उनकी जरूरत के मुताबिक बाहर से दवाएं खरीदकर नहीं दी जा रही
हैं। आखिर पैंशनर्स की मद में आने वाली बड़ी राशि का स्वास्थ्य विभाग प्रशासन
द्वारा क्या उपयोग किया गया है इसकी जांच की जानी चाहिए।
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