नये राज्य के
समर्थन में प्रारंभ हुआ जन आंदोलन
बालाघाट बंद के साथ
होगा विदर्भ के पुनर्गठन की मांग का आगाज
(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)।
प्रदेश सरकार के मुखिया द्वारा जबलपुर संभाग के तीन जिलों को मिलाकर नये संभाग के
गठन की घोषणा के पंाच सालों तक कोई प्रगति न होने की पीड़ा से उपजी अलगाव की भावना
अब इस अंचल में सिर चढ़ कर बोलने लगी है। प्रस्तावित संभाग की नाभि में स्थित जिला
मुख्यालय सिवनी के मीडिया जगत से उठी यह आवाज अब अंचल के दूसरे जिलों में दानावल
की तरह फैलने लगी है।
जहां मीडिया के
माध्यम से इस मांग को उठाने का श्रेय, अंचल के सिवनी जिले को जाता है वहीं उस
नितांत जायज और आवश्यक मांग को जन आंदोलन का स्वरूप देने का श्रेय बालाघाट जिले को
जाता है। प्रस्तावित संभाग के तीनों जिलों में से बालाघाट ऐसा पहला जिला बन गया है
जिसने विदर्भ राज्य के पुनर्गठन और उसमें बालाघाट सहित सिवनी जिले को सम्मिलित
करने के लिये प्रदेश एवं केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिये आंदोलन का अहिंसात्मक
मार्ग अपनाने का साहसिक निर्णय लिया है।
वर्तमान संभाग
मुख्यालय से प्रकाशित प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार के अनुसार
एक सामाजिक संगठन ने कल अर्थात 15 सितंबर को बालाघाट बंद का आयोजन किया है
जिसका उद्देश्य बालाघाट एवं सिवनी जिलों को मिलाकर नये विदर्भ राज्य की स्थापना की
मांग करना है।
बालाघाट में
किसानों की समस्याओं को लेकर सक्रिय सामाजिक संगठन, किसान गर्जना नामक
संगठन ने आगामी 15 सितंबर को
नये प्रदेश के गठन और उसमें उपेक्षित क्षेत्र के उपरोक्त दोनांे जिलों को समाहित
करने की मांग को लेकर सम्पूर्ण बालाघाट जिला बंद करने का आव्हान किया है।
किसान गर्जना के
जिलाध्यक्ष अरविंद पप्पू चौधरी के हवाले से प्रकाशित समाचार में कहा गया है कि
हमारा जिला विकास की दृष्टि से अत्यंत पिछड़ा हुआ है और मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़
में हमारे क्षेत्र के विकास की संभावनायें नहीं हैं इस कारण बालाघाट सहित सिवनी
जिले के हित में यही है कि वर्तमान महाराष्ट्र राज्य के अन्तर्गत 11 जिलों में फैले
विदर्भ क्षेत्र में मध्यप्रदेश के वर्तमान तीनों जिलों का सम्मिलित कर नये विदर्भ
प्रांत का गठन किया जाये।
उल्लेखनीय है कि
विगत कुछ दिनों से सिवनी जिला मुख्यालय से प्रकाशित होने वाले सजग समाचार पत्रों
ने वर्तमान परिस्थितियों में विकास के इकलौते विकल्प के रूप में प्रस्तावित संभाग
को मिलाकर नये विदर्भ राज्य की परिकल्पना प्रस्तुत करने का सिलसिला प्रारंभ किया
है। इस परिकल्पना को आम नागरिकों का अच्छा प्रतिसाद प्राप्त हो रहा है।
वहीं सोशल मीडिया
में भी इस प्रयास के समर्थन में आवाजें सामने आ रही हैं। प्रिंट मीडिया ने भी इस
मामले में रचनात्मक प्रयास किये हैं। आवश्यकता केवल जन आंदोलन के आगाज की थी तो वह
भी बालाघाट की धरती से होता दिखाई देने लगा है। यह सही है कि किसी भी नये आंदोलन
को खड़ा करने में बहुत समय और मेहनत लगती है किंतु किसी न किसी को उसकी अगुवाई तो
करना ही पड़ता है। बालाघाट से प्रारंभ होने वाला यह आंदेालन सिवनी एवं छिदंवाड़ा में
भी विस्तारित होकर विदर्भ प्रांत के लोगों के कंधे से कंधा मिलाकर लक्ष्य प्राप्ति
में सहायक होगा, ऐसी कामना
की जानी चाहिये।
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