मंगलवार, 1 अक्तूबर 2013

आखिर क्यों आए शिवराज!

आखिर क्यों आए शिवराज!

(शरद खरे)

प्रदेश के निज़ाम शिवराज सिंह चौहान 29 सितम्बर को सिवनी आए और रात्रि विश्राम कर 30 सितम्बर को वापस चले गए। सिवनी के हर व्यक्ति के दिलो दिमाग में यही प्रश्न कौंध रहा है कि आखिर शिवराज सिवनी आए तो आए क्यों? उनके सिवनी आने की वजह क्या थी। न वे सिवनी को कुछ देकर गए न कुछ लेकर गए। हां सिवनी के भाजपाई नेताओं की बेनर पोस्टर्स, होर्डिंंग्स, विज्ञापन में जेबें जरूर ढीली हुई हैं।
आदि अनादि काल से जब घर का मुखिया घर आता रहा है, घर के हर सदस्य को उससे कुछ न कुछ उपहार की अपेक्षा रही ही है। यही मानव स्वभाव भी है। पिता या पालक जब परदेस में नौकरी कर, अवकाश में घर आता है तो पूरे परिवार के लिए कुछ न कुछ लाता ही है। छोटे बच्चे के लिए भले ही वह अठन्नी की एक पेंसिल ही लाता रहा हो पर वह किसी की भावनाएं कतई आहत नहीं करता रहा है।
शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के निज़ाम हैं, प्रदेश के मुखिया हैं। वे समूचे प्रदेश में घूम रहे हैं। जनता के गाढ़े पसीने से संचित राजस्व के धन से संग्रहित सरकारी कोष में से बेदर्दी के साथ निकाली गई राशि से शिवराज सिंह चौहान का भ्रमण जारी है। यह भ्रमण क्यों और किसलिए हो रहा है, इस बात का शायद ही कोई उत्तर दे पाए! शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के मुखिया हैं, इस नाते वे जिस भी जिले में जा रहे हैं वहां की जनता उनसे आस लगाए बैठी है। शिवराज कह रहे हैं कि वे घोषणा इसलिए नहीं कर रहे हैं क्योंकि आचार संहिता कभी भी लग सकती है, और आचार संहिता के लगने के बाद उनकी घोषणाओं को अमली जामा नहीं पहनाया जा सकता है।
शिवराज सिंह चौहान सुलझे हुए राजनेता हैं, उनका कहना वाजिब है कि अब की गई घोषणाएं चुनावी ही मानी जाएंगी। पर प्रदेश के बच्चों के शिवराज मामा आप शायद भूल रहे हैं कि सिवनी जिले को आपने सदा घोषणाओं से ही लादा है। आचार संहिता पिछले चार सालों से नहीं लगी है, पर घोषणाओं को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है! आखिर क्या कारण है इसका। क्या आपने कभी भाजपा के सिवनी के विधायक श्रीमती नीता पटेरिया, शशि ठाकुर और कमल मर्सकोले सहित भाजपा के संगठन से पूछने की जहमत उठाई है कि सिवनी जिले में क्या चल रहा है? क्या सिवनी की जनता शिव के राज में सुखी है? क्या सिवनी की जनता के समक्ष की गई उनकी घोषणाएं पूरी कर दी गई हैं?
शिवराज जी, आपकी हरी झंडी के अभाव में जिले की हॉकी प्रतिभाओं को हॉकी के मैदान के तैयार होने के बाद भी 22 माह तक इंतजार करना पड़ा। अगर आपको इसका फीता नहीं ही काटना था तो पहले ही बता दिया होता, कम से कम सिवनी की हॉकी प्रतिभाएं तो बाईस माह पहले से ही निखरना आरंभ हो जातीं। ‘‘शिव‘‘ मामा, सिवनी भी आपके ही ‘‘राज‘‘ में है, और यहां के निवासी भी आपकी रियाया ही है।
पहली पारी खेलते हुए 02 फरवरी 2008 को आपने ही लखनादौन अस्पताल के उन्नयन, कान्हीवाड़ा को उप तहसील का दर्जा, 27 अप्रेल को सिवनी आने पर आकाशवाणी केंद्र खोले जाने की घोषणा, इसके अलावा 2008 में ही केवलारी को नगर पंचायत का दर्जा, पलारी को उप तहसील, कान्हीवाड़ा को पूर्ण तहसील और विकास खण्ड की घोषणा की थी। सिवनी के भाजपा और कांग्रेस के नेता अवश्य इन घोषणाओं को पांच साल तक भूले रहे हों, पर सिवनी की जनता को आज भी शिवराज मामा की इन कोरी घोषणाओं के बारे में सब कुछ शब्दशः याद है। मामा ने कहा था कि अगर उन्हें जिताया गया तो ये घोषणाएं अमली जामा पहन सकेंगी। इस बार भी शिवराज मामा ने कुछ इसी तरह की बात कही है। मतलब साफ है कि अगर वे जीते तो 2018 के विधानसभा चुनावों तक भी सिवनी के लोग विकास को तरसते ही रह जाएंगे।
चुनाव जीतने के उपरांत शिवराज फिर सिवनी आए और घोषणाओं के अंबार लगा गए। सिवनी में दलसागर को महत्वपूर्ण स्थान बताकर उन्होंने कहा था कि यह सिवनी के लिए गर्व का कारक है। एक करोड़ नौ लाख रूपए पानी में बहाने के बाद भी दलसागर गर्व के कारक की बजाए शर्म का विषय अवश्य बन गया है। लीजिए पौने दो करोड़ फिर आ गए इस तालाब के पानी में डुबाने के लिए। शिवराज ने कहा था कि सूरज भले ही पश्चिम से निकल जाए पर फोरलेन सिवनी से ही होकर जाएगा! शिव गर्जना भी चार साल बाद बिल्ली की म्याऊं साबित हो रही है। सूरज पूर्व से ही निकल रहा है और फोरलेन . . .। कांग्रेस को भी शिवराज की घोषणाओं से लेना देना नहीं है, वह भी अपनी मदमस्त चाल में ही मस्त है।
कुल मिलाकर अब सिवनी के लोग यह सोचने पर मजबूर होंगे कि आखिर सरकारी धन की होली खेलकर शिवराज मामा सिवनी क्यों आए? उन्हें आना था तो पहले आकर सिंथेटिक हॉकी मैदान का लोकार्पण कर जाते। जितने लोकार्पण या पत्थर लगाए गए हैं वे तो प्रभारी मंत्री ही लगा देते। रही बात शिवराज के सुशासन का ढिंढोरा पीटने की, तो उसके लिए सिवनी में भाजपा का संगठन और तीन तीन विधायक मौजूद हैं। लगता है शिवराज को न तो संगठन पर ही भरोसा बचा है और न ही अपने विधायकों पर! तभी तो उनके सहारे अपने कामों की वाहवाही लूटने के बजाए शिवराज ने खुद ही सरकारी धन की होली खेलकर जनता के बीच जाने की कवायद की है। शिवराज का आना और जाना तो ठीक है, पर सिवनी के निवासियों जिनमें भाजपा के कार्यकर्ता भी शामिल हैं यह सोचने पर मजबूर हैं कि आखिर शिवराज सिवनी आए तो आए किस गरज से थे?

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