दुर्घटनाएं और ट्रामा यूनिट
(शरद खरे)
सिवनी में पिछले दिनों एक के बाद एक
दुर्घटनाएं घटी हैं। इनमें कुछ लोगों की जान भी गई है। सिवनी में फोरलेन है और
फोरलेन पर वाहनों की गति पर नियंत्रण रखना संभव नहीं प्रतीत होता है। सिवनी जिले
के लिए राहत की बात है कि अनेकानेक षणयंत्रकारियों जिनमें सिवनी जिले के ‘जयचंद‘ भी शामिल थे और हैं, के रहते हुए भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल
बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल की स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना के अंग
उत्तर दक्षिण गलियारे का मुंह आज भी सिवनी से नहीं मोड़ा गया है। इस सड़क को बंद
कराने में न जाने कितने षणयंत्रकारियों द्वारा अपने अपने स्तर पर दांव पेंच चलाए
गए, सिवनी के लोगों को आक्रोशित आवेशित कर सड़कों पर उतारा गया, कांग्रेस की शह पर भाजपा तो भाजपा की शह
पर कांग्रेस को तबियत से कोसा गया, इस षणयंत्र में ठेकेदारों से सांठगांठ
कर लाखों रूपए वसूलने की चर्चाएं भी सिवनी की फिजां में हैं, अपने अपने निहित स्वार्थ और व्यवसायों
को भी लोगों की भावनाओं की भट्टी पर चढ़ाकर पकाया गया, और न जाने क्या क्या किया गया इस
षणयंत्र के तहत।
‘क्या हमारा घर परिवार नहीं है, जो हम चौबीसों घंटे आंदोलन करें और बाकी
लोग घर में बैठे रहें‘‘, ‘हमें क्या लेना देना है यार‘, ‘भाजपा को क्यों नहीं कोसते, क्या लोगों को कांग्रेस ही चोर नजर आती
है‘, कल तक तो बड़ी बड़ी बातें करते थे, आज खामोश क्यों हो?‘, ‘भाजपा के विधायकों को क्यों नहीं घेरते?‘, ‘जब एक बार तय हो गया था कि किसी नेता के
पास नहीं जाना है तो फिर राहुल गांधी की चिरौरी करने क्यों गए?‘ आदि जैसे जुमले आज भी सिवनी की फिजां
में तैर रहे हैं। 2008 के दिसंबर में बुने गए षणयंत्र के ताने बाने का निष्कर्ष आज भी जर्जर
फोरलेन के रूप में सिवनी वासियों के सामने है।
एनएचएआई के नियम कायदों के अनुसार
फोरलेन पर वाहनों की गति अन्य सड़कों की तुलना में काफी अधिक ही हुआ करती है।
दिल्ली से चंडीगढ़ हाईवे हो या दिल्ली जयपुर, इन हाईवे पर ओव्हर लोडेड ट्रक भी हांफते
हुए नहीं बल्कि हिरण की तरह कुलांचे भरते नजर आते हैं। कमोबेश यही आलम स्वर्णिम
चतुर्भुज और उत्तर दक्षिण तथा पूर्व पश्चिम गलियारे में जहां जहां सड़क का निर्माण
हो चुका है, वहां है। सिवनी जिले में भी लगभग साठ किलोमीटर से ज्यादा सड़क का निर्माण
फोरलेन के रूप में हो चुका है। इस सड़क पर वाहन तेज रफ्तार से चल रहे हैं। इन वाहनों
की अंधी रफ्तार के कारण भागने से दुर्घटनाओं में भी इजाफा हुआ है। सिवनी जिले में
एक के बाद एक सड़क दुर्घटनाओं से लगने लगा है कि एनएचएआई का चतुष्गामी हाईवे लोगों
के लिए काल बनता जा रहा है। अगर सिवनी जिले की सीमा में दुर्घटनाओं की तादाद
ज्यादा है तो निश्चित तौर पर यह चिंता का विषय इसलिए है क्योंकि इससे लोगों पर
खतरा मण्डराने लगा है।
अगर यह सत्य है तो निश्चित तौर पर सिवनी
में सड़क के निर्माण में ही कहीं न कहीं खामी होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया
जा सकता है। हो सकता है लोगों ने अपनी सहूलियत के हिसाब से फोरलेन के डिवाईडर तोड़
लिए हों (इसका एक नायाब उदाहरण, लखनादौन में बार एॅसोसिएशन के अध्यक्ष
दिनेश राय के स्वामित्व वाले राय पेट्रोलियम के सामने का टूटा डिवाईडर है, जिसे दुरूस्त कराने या उस पर किसी पर
जुर्माना लगाने का साहस भी एनएचएआई नहीं जुटा पा रही है, हो सकता है एनएचएआई भी इसे चुनावी
मुद्दा बनने की राह ही देख रहा हो)।
सिवनी में एनएचएआई ने कुछ मार्ग के कुछ
हिस्से को बनाकर आरंभ कर दिया है और इसका टोल भी वसूला जाने लगा है। एनएचएआई के
मापदण्डों के हिसाब से सिवनी जिले में जगह जगह सड़क किनारे दुर्घटना के उपरांत प्राथमिकोपचार
के लिए स्वास्थ्य केंद्र, एंबूलेंस, हाईवे पेट्रोल आदि की व्यवस्था की जानी चाहिए। विडम्बना ही कही जाएगी कि
एनएचएआई के हाईवे पेट्रोल लिखे वाहन में टोल प्लाजा के कर्मचारियों के लिए खाना, किराना और दूध ढुलते बारापत्थर से
रोजाना देखा जा सकता है।
रही बात गंभीर दुर्घटना में घायलों को
तत्काल चिकित्सा मुहैया कराने की, तो इसके लिए सड़क निर्माण के ठेकेदार को
बाकायदा ट्रामा यूनिट की स्थापना फोरलेन पर ही की जानी चाहिए थी। यह सिवनी का
दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि यहां के नपुंसक नेतृत्व के कारण सिवनी में सड़क निर्माण
के ठेकेदार मलाई खा रहे हैं और दुर्घटनाओं में घायल लोग दम तोड़ रहे हैं। बताते हैं
कि ट्रामा यूनिट की स्थापना जिला चिकित्सालय के ब्हाय रोगी कक्ष के पीछे अंदर
घुमावदार रास्ते के बाद की जा रही है। एनएचएआई के अधिकारियों के साथ ही साथ
चिकित्सा विशेषज्ञों को इस बात का भान बेहतर तरीके से होगा के दुर्घटना में घायल
के लिए एक एक सेकंड का समय कीमती होता है। हर शहर में जहां दुर्घटनाओं की
संभावनाएं ज्यादा होती हैं वहां ट्रामा सेंटर की स्थापना मुख्य मार्ग पर इस तरह से
की जाती है ताकि दुर्घटना आदि में घायल मरीज को बिना किसी विध्न के तत्काल
चिकित्सकीय मदद उपलब्ध हो सके।
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