क्यों नहीं हुई अब तक इन नाबालिगों की मुसाफिरी दर्ज!
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। जिला मुख्यालय में इन दिनों रेहड़ी (हाथ ठेला लगाकर) जूस
बेचने वालों की भारी तादाद, लोगों के कौतुहल का विषय बनी हुई
है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार शहर भर के मुख्य चौक चौराहों सहित अनेक
स्थानों पर मोसंबी सहित अनेक प्रकार के जूस हाथ ठेलों पर मिल रहे हैं। इन जूस को
बेचने वाले बच्चे नाबालिग बताए जा रहे हैं। बताया जाता है कि ये सभी उत्तर प्रदेश
से जीविकोपार्जन हेतु सिवनी आए हैं।
भारी तादाद में बाहर से सिवनी आए इन ‘नन्हे व्यापारियों‘ ने क्या कोतवाली सिवनी में आमद
दर्ज करवाई है? क्या श्रम विभाग की नजरें इन पर
पड़ सकी हैं? क्या ये बच्चे यहां किसी शाला
में अध्ययन का कार्य कर रहे हैं? इस तरह के प्रश्न अभी भी
अनुत्तरित ही हैं।
लोगों की मानें तो ये जूस बेचने वाले भी शहर में छोटी मोटी चोरी की
वारदातों को अंजाम दे सकते हैं, क्योंकि यह भी देखा जा रहा है कि
इनमें से अधिकांश चेहरे हर पखवाड़े बदलते दिख रहे हैं। कहा जाता है कि बाहर से
जीविकोपार्जन करने आने वालों की मुसाफिरी कोतवाली में अवश्य ही दर्ज करवाई जाना
चाहिए। अगर यह नहीं हुआ है तो यह निश्चित तौर पर कोतवाली पुलिस की कार्यप्रणाली पर
प्रश्नवाचक चिन्ह ही माना जाएगा। इसके साथ ही साथ बच्चों से काम करवाने के विरोध
में बने कानूनों का जिला मुख्यालय में सरेराह मज़ाक उड़ रहा है, पर जिला प्रशासन मौन ही है।
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