गुरुवार, 5 मार्च 2009

क्रिकेट पर पसरी आतंक की स्याह छाया

- तालिबान ने खोदी पाकिस्तान की पिच
- कहीं पाकिस्तान खुद को आतंक से सताया देश साबित करने में तो नहीं जुटा
- चंद ही दिनों का लोकतंत्र बचा है पाकिस्तान में
- सैनिक हुक्मरान तैयार कर रहे जमीन
- पकिस्तान क्रिकेट टीम की भूमिका भी संदिग्ध


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3 मार्च को मंगलवार था, और विश्वभर के क्रिकेट प्रेमियों की नज़र में इसे काला मंगलवार के नाम से ही जाना जाएगा। एक साल से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के लिए तरस रहे पाकिस्तान पर श्रीलंका ने कुछ तरस खाकर अपना दौरा बनाया था, वह भी पाकिस्तान के आतंक की बली चढ़ गया।
घोर आश्चर्य की बात तो यह है कि किसी भी राष्ट्राध्यक्ष जितनी सुरक्षा श्रीलंकाई क्रिकेट टीम को मुहैया होने के बावजूद भी जिस बस से उन्हें गद्दाफी स्टेडियम ले जाया जा रहा था, वह बुलट प्रूफ ही नहीं थी। सोमवार को इस टीम पर आतंकी हमले की खुफिया जानकारी भी पाकिस्तान को मिल चुकी थी। इसी के चलते टीम के मार्ग में परिवर्तन किया गया था। इतना सब होने के बाद भी अगर दहशतगर्द अपने मंसूबों में कामयाब रहे तो यह बात आसानी से पचने वाली नहीं है।

इस पूरे घटनाक्रम में पाकिस्तान क्रिकेट टीम की भूमिका भी काफी हद तक संदिग्ध कही जा सकती है। पाकिस्तान के क्रिकेट कोच इंतखाब आलम के अनुसार दोनों टीमों को सुबह 8 बजकर 40 मिनिट पर अलग अलग बस से एक साथ ही स्टेडियम रवाना होना था। पाकिस्तान के कप्तान युनूस ने अपनी टीम को तयशुदा समय से कुछ विलंब से होटल से रवाना किया। लोगों के जेहन में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या युनूस को हादसे से पूर्व कोई पूर्व सूचना देकर आगाह किया गया था?
मजे की बात तो यह है कि लिबर्टी चौक पर लगभग आधे घंटे हुई गोलाबारी के बाद भी इलाके की नाकेबंदी नहीं की गई थी। और तो और इस चौराहे पर सामान्य दिनों की तरह पुलिस के सिपाही भी नज़र नहीं आए। इतनी बड़ी घटना को अंजाम देकर अगर आतंकवादी घटनास्थल से भागने में कामयाब हो गए तो निश्चित रूप से सरकार का एक तंत्र इस षणयंत्र में शामिल कहा जा सकता है।
इन आतंकवादियों ने श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर न केवल दनादन गोलियां बरसाईं बल्कि राकेट लांचर और ग्रेनेड से भी हमला किया। आधे घंटे वे तांडव मचाते रहे और पाकिस्तान की खुफिया या सुरक्षा एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। सुनने में अटपटा जरूर लगता है, किन्तु यही हकीकत थी मंगलवार को हिन्दुस्तान से महज 35 किलोमीटर दूर स्थित पाकिस्तान के लाहौर के लिबर्टी चौक की।

इस पूरे घटनाक्रम में श्रीलंका टीम को ले जा रहे बस चालक मोहम्मद खलील की जितनी भी तारीफ की जाए कम होगी। अपनी जान की परवाह किए बिना खलील ने जिस तेजी से निर्णय लेते हुए बस को सुरक्षित ठिकाने पर पहुंचाया उसके लिए श्रीलंकाई टीम ने उनका तहेदिल से शुक्रिया अदा किया है। पाकिस्तान सरकार को भी चाहिए कि एसे जांबाज बस चालक को देश के सर्वोच्च पुरूस्कार से नवाज़े, क्योंकि अगर इस हादसे में कोई बड़ी अनहोनी हो जाती तो पाकिस्तान दुनिया भर को मुंह दिखाने के काबिल नहीं बचता, वैसे भी अभी पाकिस्तान की स्थिति वैश्विक स्तर पर बहुत ही खराब कही जा सकती है।
पाकिस्तान में क्रिकेट पर आतंकवाद के साये की कहानी लगभग एक दशक पुरानी कही जा सकती है। सितम्बर 2001 में 9/11 में अमेरिया में हुए हमले के बाद न्यूजीलेंड ने पाकिस्तान का दौरा रद्द कर दिया था। इसके अलावा वेस्टइंडीज और आस्ट्रेलिया ने अपने निर्धारित मैच पाकिस्तान की सरज़मीं के स्थान पर कोलंबो और शरजाह में करवाए थे।
मई 2002 में करांची के शेरेटन होटल के बाहर हुए बम विस्फोट के बाद न्यूजीलेंड ने अपना पाक दौरा बीच में ही रद्द कर दिया था। दिसंबर 2007 में बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद 2008 में आस्ट्रेलिया ने अपना पाकिस्तान दौरा रद्द कर दिया था। एक असेZ से आतंकवाद की गिरफ्त में फंसे भारत के खेलपे्रमियों द्वारा इसके लिए जिम्मेदार पाकिस्तान के साथ खेल संबंध भी समाप्त करने की बात कही जाती रही है।
बहरहाल पाकिस्तान में श्रीलंका क्रिकेट टीम के साथ जो कुछ हुआ उसकी सिर्फ निंदा और भत्र्सना करने से काम नहीं चलेगा। अब वह समय आ गया है कि विश्व के सभी देश मिलकर पाकिस्तान में फल फूल रहे आतंकवाद के खात्मे के लिए एकजुट होकर कोई कदम उठाएं।

कांग्रेस में सबसे ताकतवर युवा कौन!

- राहुल गांधी की बजाए कनिष्क सिंह की हो रही है गणेश परिक्रमा
- कनिष्क का तीन दिन का अतिथ्य स्वीकारा राहुल ने

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नई दिल्ली अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय कार्यालय 24 अकबर रोड़ में इन दिनों पार्टी के सबसे ताकतवर युवा को लेकर तरह तरह की चर्चाएं आम होने लगी हैं। कांग्रेस के भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी के कार्यालय को संभालने वाले कनिष्क सिंह की तूती ठीक उसी तरह बोल रही है, जिस तरह पूर्व प्रधानमंत्री स्व.राजीव गांधी के कार्यकाल में विसेंट जार्ज की बोला करती थी।
राजस्थान के राज्यपाल एस.के.सिंह के सुपुत्र कनिष्क सिंह न केवल राहुल के आफिस का कार्यभार संभालते हैं, वरन वे उनका मिनिट टू मिनिट का कार्यक्रम भी निर्धारित करते हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि राहुल गांधी, बिना कनिष्क सिंह की सलाह के एक कदम भी नहीं उठाते।
नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों मेें भी राहुल गांधी से ज्यादा भीड़ कनिष्क सिंह को ही घेरे रहती थी। वर्तमान में भी लोकसभा दावेदारों का यही आलम है। युवाओं की भीड़ सबसे ज्यादा कनिष्क सिंह के इर्दगिर्द ही नज़र आ रही है।
कनिष्क ने राहुल गांधी को किस कदर अपने प्रभाव में ले रखा है, इस बात का नज़ारा पिदले दिनों जयपुर में कनिष्क सिंह के भाई की शादी में देखने को मिला। कांग्रेस के युवराज ने 19 से 21 फरवरी तक पूरे तीन दिन राजस्थान के लाट साहब की आवभगत को स्वीकारा।
इतना ही नहीं शादी की हर रस्म में उन्होंने हिस्सा लिया, यहां तक कि बारात में भी साफा पहनकर राहुल गांधी पैदल चले। राहुल गांधी की प्राईवेसी को ध्यान में रखते हुए लाट साहब ने जयपुर, कोटा, सिरोही, झलवाड़, नरसिंहगढ़, जोधपुर आदि के पूर्व महाराजाओं के परिवार सहित चंद राजनेताओं को ही आमंत्रित किया था।

छग मामले में कांग्रेस की बैठक अब 6 को

- मंगलवार को आहूत बैठक टली

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नई दिल्ली। कांग्रेस के आला नेताओं को छत्तीसगढ़ में समन्वय बनाने में खासी मशक्कत करना पड़ रहा है। एक राय न बन पाने के चलते मंगलवार को प्रत्याशी चयन के संबद्ध में बुलाई गई स्क्रीनिंग बैठक को शुक्रवार तक के लिए टाल दिया गया है।
छत्तीसगढ़ के प्रभारी महासचिव नारायण सामी के करीबी सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय रक्षा मंत्री ने सामी को कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी की भावनाओं से आवगत कराते हुए यह आग्रह किया है कि छत्तीसगढ़ प्रदेश चुनाव समिति और स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक एक ही दिन बुलाई जाए, ताकि प्रत्याशियों का चयन जल्द ही निपटा लिया जाए।
उधर छत्तीसगढ़ के लिए लोकसभा उम्मीदवारों के चयन के पहले ही कांग्रेस का एक बहुत बड़ा धड़ा अभी से ही असंतुष्ट नजर आने लगा है। प्रदेश चुनाव समिति की पिछली बैठक में अलग अलग हुई चर्चाओं के बाद अधिकांश कांग्रेसियों का कहना है कि इस बार फिर उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया पारदशीZ रहने की उम्मीद कम ही है।
असंतुष्टों के अनुसार इस बार बड़े और प्रभावशाली नेताओं द्वारा अपने अपने चहेते बफादारों को टिकिट दिलवाने में फिर से कामयाब हो जाएंगे और योग्य तथा जीतने वाले उम्मीदवार सदा की ही भांति मुंह ताकते रह जाएंगे। बहरहाल 6 मार्च को आयोजित बैठक में प्रदेश चुनाव समिति और स्क्रीनिंग कमेटी दोनों ही के सदस्य रहेंगे। यह बैठक हंगामेदार होने की उम्मीद है।

- नायक का नाम आने से समीकरण बिगड़े


छग प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष धनेंद्र साहू ने रायपुर लोकसभ सीट के लिए राजेश नायक का नाम आगे बढ़ाकर समीकरण गड़बड़ा दिए हैं। ज्ञातव्य है कि इस सीट पर पूर्व मंत्री सत्य नारायण शर्मा, पारस चौपड़ा, छग साहू समाज के अध्यक्ष मोतीलाल साहू एवं मोहम्मद अकबर की पहले से ही प्रबल दावेदारी है।

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