दिल्ली बेदिल वालों की
(लिमटी खरे)
क्या गुल खिलाएगी वादियों में भी पसरी कुंवर साहेब की खामोशी
कांग्रेस की राजनीति में अस्सी के दशक के बाद एकाएक तेजी से उभर कर आए कांग्रेसी राजनीति के चाणक्य समझे जाने वाले कुंवर अजुZन सिंह इन दिनों पर्वतों की शरण में हैं। इन दिनों उन्होंने सपरिवार कुमाउं की वादियों में अपना आशियाना बना रखा है। रामगढ़ के एक रिसोर्ट में कुंवर साहेब इन दिनों कमरे में ही कैद हैं, वे न तो किसी से मिल जुल ही रहे हैं, और न ही कहीं आ जा ही रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि अगर एयर कंडीशनंड कमरे में ही बंद रहना था तो मनमोहन मंत्रिमण्डल से बाहर का रास्ता दिखाने के बाद उनके लिए दिल्ली की कोठी क्या बुरी थी? वैसे अभी भी उनके अकबर रोड़ स्थित सरकारी आवास के सामने उनके नाम के आगे मानव संसाधन एवं विकास मंत्री की दप्ती हटाई नहीं गई है। लोग कयास लगा रहे हैं कि वहां से लौटने के बाद पता नहीं अजुZन सिंह क्या चाल चलने वाले हैं।
मीनाक्षी की मिसाल दे रहे हैं कांग्रेसी
डाउन टू अर्थ का असली मतलब जानना हो तो कोई मीनाक्षी नटराजन से पूछे। सूती सलवार कमीज, हाथ में टिफिन और मोबाईल रखे, आखों पर चश्मा लगाए आम भारतीय छवि वाली समझदार नेता हैं मीनाक्षी। इन चुनावों में उन्होंने लगातार छ: बार चुने गए लक्ष्मीनारायण पाण्डे को पटखनी दी वह भी कांग्रेसियों के भारी विरोध के बावजूद। कहते हैं कि पार्टी की ओर से मिले 75 लाख रूपयों में से उन्होंने 25 लाख रूपए लौटाकर एक मिसाल पेश की है, जिसकी चर्चा एआईसीसी में जमकर हो रही है। राजनीति को मनी और मसल पावर से मुक्त करने की आकांक्षी मीनाक्षी की इस मिसाल से अनेक नेताओं पर बन आई है। दरअसल उनके पैसे लौटाने के बाद वे उम्मीदवार जो चुनाव के बाद खर्च की अधिकता जताकर कांग्रेस से और पैसे की चाहत रख रहे थे, उनके सारे रास्ते अब बंद हो चुके हैं।
खून आखिर खून ही होता है
संजय और राजीव गांधी की पित्नयों में भले ही अनबोला हो किन्तु लोकसभा में सदस्यता ग्रहण करने के दौरान नेहरू गांधी परिवार में खून ने एक दूसरे को आखिर पुकार ही लिया। शपथ ग्रहण करने जब राहुल गांधी जा रहे थे, तब उन्होंने अपनी चाची मेनका को दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम किया। मेनका ने जरूर मन ही मन ढेर सारा आशीZवाद दिया हो या न दिया हो पर उन्होंने मुस्कुरा कर उनका अभिवादन स्वीकार अवश्य किया। इतना ही नहीं शपथ ग्रहण के दौरान उन्होंने मेज थपथपाकर राहुल का उत्साह भी बढ़ाया। वहीं वरूण गांधी ने अपनी ताई सोनिया गांधी को प्रणाम किया तो उन्होंने भी मुस्कुराकर अपने भतीजे का मान रखा। वरूण के शपथ ग्रहण के दौरान उनकी चचेरी बहन प्रियंका और बहनोई राबर्ट वढ़ेरा भी मुस्कुराकर वरूण का उत्साह ही बढ़ाते नजर आए। यह अलहदा बात रही कि देवरानी मेनका और जेठानी सोनिया ने एक दूसरे से नजरें मिलाना मुनासिब नहीं समझा।
आईएफएस का बोलबाला है सदन में
देश के उच्च और निचले सदन में भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) का बोलबाला साफ दिखाई दे रहा है। इस बार गजब का इत्तेफाक सामने आया है। महामहिम राष्ट्रपति की कुर्सी पर पहली बार महिला, उपराष्ट्रपति अल्पसंख्यक मुसलमान, लोकसभाध्यक्ष महिला तो उपनेता भी महिला। इसके साथ ही एक और इत्तेफाक है इस पंद्रहवीं लोकसभा में। और वह है राज्य सभा और लोकसभा दोनों ही के नेता भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी हैं। एक ओर जहां महामहिम उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी पूर्व में भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी के तौर पर अनेक देशों में भारत के राजदूत रहे हैं, वहीं लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार 1973 बेच की आईएफएस हैं, तथा वे स्पेन, ब्रिटेन, मारीशस जैसे अनेक देशों में भारतीय उच्चायोग और दूतावासों में काम कर चुकी हैं।
देखना है मिनी कमल नाथ क्या करते हैं
15वीं लोकसभा के गठन के उपरांत प्रधानमंत्री डॉ.एम.एम.सिंह ने मंत्रियों को शपथ दिलाई और विभागों का बंटवारा किया। इसमें सिर्फ एक वाणिज्य और उद्योग विभाग ही एसा है, जो मध्य प्रदेश के खाते में बरकरार रहा है। इस विभाग की महती जवाबदारी पीएम ने ग्वालियर के युवा तुर्क ज्योतिरादित्य सिंधिया को दे दी है। मध्य प्रदेश से आए नेता इस जवाबदारी को मध्य प्रदेश के खाते में आने से खुश तो हैं, साथ ही उन्होंने महराज का नया नामकरण कर दिया है। चूंकि विभाग कमल नाथ के पास था अत: अब महराज को मिनी कमल नाथ की संज्ञा दी जा रही है। लोग यह कहने से नहीं चूक रहे हैं कि अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमल नाथ से इतर कुछ नया कर दिखाया तब तो ठीक वरना वे कमल नाथ की छवि से इस विभाग से मुक्त नहीं हो सकेंगे।
गुड्डू की नजर अब आर्थिक राजधानी पर!
उज्जैन में सत्यनारायण जटिया को धूल चटाने वाले कांग्रेसी सांसद प्रेमचंद गुड्डू की नजरें अब मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी माने जाने वाले इंदौर शहर पर है। वे चाहते हैं कि इंदौर से उज्जैन का फासला कम हो जाए। सांसद बनते ही उन्होंने इंदौर उज्जैन रेलखण्ड का दोहरीकरण और विद्युतिकरण का लक्ष्य निर्धारित कर दिया है। इतना ही नहीं अपने कार्यक्षेत्र में विस्तार की गरज से उन्होंने यह तक कह डाला कि इंदौर में नए रेल्वे स्टेशन की दरकार है, जो महू और एमआर (मेजर रोड़) 10 के पास बन सकता है। उज्जैन के विकास के बारे में तो उनकी सोच जायज कही जा सकती है, किन्तु प्रदेश की कमर्शियल केपिटल इंदौर की ओर उनकी नजरें इनायत होने के अनेक अर्थ लगाए जा रहे हैं। सनद रहे देवास से सांसद बने सज्जन सिंह वर्मा की कर्म स्थली भी इंदौर ही रही है।
उल्टे बांस बरेली के
विदिशा में भाजपा नेत्री सुषमा स्वराज को खाली मेदान देने वाले मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री राजकुमार पटेल के साथ उल्टे बांस बरेली के की कहावत चरितार्थ होती दिख रही है। पटेल शायद यह नहीं जानते थे कि कांग्रेस महासचिव एवं मध्य प्रदेश प्रभारी बी.के.हरिप्रसाद को मोबाईल से एसएमएस करना कितना मंहगा पड़ेगा! पार्टी सूत्र बताते हैं कि पार्टी पर्यावेक्षक हरकेश बहादुर और सईद अहमद ने जब विदिशा कांड की पूरी रिपोर्ट आलाकमान को सौंपी तब पटेल के खिलाफ एसएमएस का भी गजब रोल रहा। सूत्र बताते हैं कि पटेल ने हरिप्रसाद को एसएमएस किए थे, जिनका मजमून था कि वे विदिशा के बजाए होशंगाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। इन संदेशों को आलाकमान ने पार्टी की प्रतिबद्धता के खिलाफ माना है, कि पटेल मैदान छोड़ने का मन पहले ही बना चुके थे।ा गा
तुलनात्मक चार्ट बना चर्चा का केंद्र
विधानसभा और लोकसभा चुनावों में तुलनात्मक चार्ट इन दिनों अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। बात हो रही है मध्य प्रदेश की। मध्य प्रदेश के एक कांग्रेसी नेता ने एआईसीसी सुप्रीमो को एक तुलनात्मक चार्ट ईमेल और फेक्स के माध्यम से भेजा है, जिसमें जमीनी हकीकत को बयान किया गया है। मध्य प्रदेश की विलोपित हुई सिवनी लोकसभा सीट के मण्डला लोकसभा क्षेत्र में आने वाले विधानसभा के बारें उक्त चार्ट में कुछ रोचक तथ्य दिए गए हैं। चार्ट में 2003 विधानसभा में कांग्रेस को 16416 मत तो 2004 के लोकसभा में 16340 मत भाजपा को उसी विधानसभा से मिलना बताया गया है। इतना ही नहीं इस बार 2008 में उसी विधानसभा से कांग्रेस को 20680 मत मिलना तो 2009 में लोकसभा में भाजपा को 6989 मत मिलने की बात कही गई है। कांग्रेसी कहते हैं कि आंकड़ों में दम भी है। अब लोग कयास लगा रहे हैं कि इस तरह की जादूगरी आखिर कौन दिखा सकता है!
एक प्रमाणपत्र भूला , दूसरे ने पैर पड़े!
लाल बत्ती का जलवा कुछ इस तरह होता है कि आदमी अपनी सुध बुध खो बैठता है। हाल ही में जब मध्य प्रदेश के रतलाम से चुने गए सांसद कांतिलाल भूरिया बतौर सांसद शपथ लेने पहुंचे तो उन्हें याद आया कि उनकी जीत का प्रमाणपत्र तो वे अपनी गाड़ी में ही भूल आए हैं। दरअसल बिना प्रमाणपत्र शपथ लेना मुश्किल होता है। बाद में उन्होंने अपने सहायक को फोन कर तत्काल वाहन से प्रमाणपत्र बुलवाया। इसी तरह उज्जैन के सांसद प्रेमचंद गुड्डू ने तो सारी हदें ताक पर रखकर शपथ लेने के पूर्व कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी के पैर छूकर आशीZवाद चाहा। हक्की बक्की सोनिया बोल पड़ीं, ``अरे, सब देख रहे हैं!`` बाद में जब वे वापल लौट रहे थे, तब इंदौर की सांसद सुमित्रा महाजन ने मेज थपथपाकर जोरदार लहजे में कहा, ``गुड्डू, बधाई हो बधाई।``
पुच्छल तारा
भाजपाईयों को पैजामे के अंदर रखने में मास्टर माने जाने वाले कमल नाथ ने सूबे के निजाम शिवराज सिंह को भी शीशे में उतारने की कवायद आरंभ कर दी है। मुख्यमंत्री द्वारा मध्य प्रदेश भवन में आयोजित सांसद भोज में पधारे मंत्रियों में ज्योतिरादित्य सिंधिया की कमी अवश्य खली किन्तु इसमें कमल नाथ का जलजला अलग ही दिखा। घूम घूम कर सांसदों की मिजाज पुरसी करने वाले कमल नाथ ने सभी के सामने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पानी पानी कर दिया। बार बार केंद्र की उपेक्षा का आरोप लगाने वाले शिवराज की ओर मुखातिब कमल नाथ ने कहा, ``मुख्यमंत्री जी, अब मैं मध्य प्रदेश की सड़कों के उन्नयन का काम इतनी तेजी से करूंगा कि आप पर आरोप लगने लगेंगे कि आप अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा पैसा खींचकर ले गए हैं।`` साथ ही कमल नाथ ने मध्य प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार पर भी इशारा करते हुए कहा कि यह तभी संभव हो सकेगा जब आप और आपका मंत्रीमण्डल पवित्र भावना से काम करेगा।
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