सोमवार, 3 अगस्त 2009

03 augest 2009

0 फोर लेन विवाद

कलेक्टर का आदेश रद्द कराने सीएम से मिलेंगे देशमुख

0 रक्षा बंधन के बाद भोपाल जाएंगे बालाघाट सांसद

0 सिवनी वासियों के साथ नहीं हो सकेगा अन्याय : केडी

(लिमटी खरे)


नई दिल्ली। उत्तर दक्षिण गलियारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले से होकर गुजरेगा अथवा नहीं यह बात तो भविष्य के गर्भ में ही है। अब जनप्रतिनिधियों द्वारा इसे बचाने की दिशा में सार्थक प्रयास आरंभ कर दिए गए हैं। सिवनी विधायिका श्रीमति नीता पटेरिया के उपरांत अब सिवनी बालाघाट संसदीय क्षेत्र के सांसद के.डी.देशमुख ने इस मसले पर मुख्यमंत्री से चर्चा करने की बात कही है।
आज दिल्ली में दूरभाष पर चर्चा के दौरान सांसद के.डी.देशमुख ने कहा कि उन्हें मूल मसला समझ में आ गया है। इस मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय में मामला लंबित अवश्य है, किन्तु न्यायालयीन प्रक्रिया में हस्ताक्षेप कर्ता की हैसियत से अपना पक्ष रखने में कुछ समय है।
उन्होने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) के चाणक्यपुरी स्थित ``चाणक्य भवन`` में उन्होंने सीईसी के सदस्यों से इस बारे में चर्चा कर क्षेत्रवासियों की भावनाओं से सदस्यों को आवगत कराया। श्री देशमुख ने कहा कि उन्हें पता चला है कि 1995 में लगाई गई याचिका की अगली सुनवाई 21 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय की फारेस्ट बेंच के सामने होना तय हुआ है।
श्री देशमुख ने यह स्वीकार किया किया कि उनकी जानकारी में भी यह आया है कि खवासा और मोहगांव के बीच वन और गैर वन क्षेत्रों में कटाई का काम तत्कालीन जिला कलेक्टर पिरकीपण्डला नरहरि के आदेश से रोका गया था। इस आदेश को सीईसी के अनुरोध पर रोका गया है, जिस बारे में मुख्यमंत्री से चर्चा की जाएगी।
चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से रक्षा बंधन के उपरांत समय लेकर इस मसले पर चर्चा की जाएगी। चूंकि यह मामला उनके संसदीय क्षेत्र का है, इसलिए वे सिवनीवासियों के साथ अन्याय कतई नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से चर्चा का एजेंडा प्रमुख रूप से तत्कालीन कलेक्टर पी.नरहरि के आदेश को निरस्त करवाना ही होगा। इसके बाद दूसरे चरण में माननीय सर्वोच्च न्यायालय की ओर रूख किया जाएगा।
गौरतलब होगा कि इससे पूर्व परिसीमन के उपरांत समाप्त हुई सिवनी लोकसभा सीट की अंतिम सांसद और सिवनी विधायिका श्रीमति नीता पटेरिया ने मुख्यमंत्री से इस संबंध में चर्चा की थी। सूत्रों के अनुसार श्रीमति पटेरिया ने मुख्यमंत्री को कलेक्टर के आदेश पर काम रूकने की बात नहीं बताई गई थी,, जिस पर मुख्यमंत्री द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में प्रदेश सरकार के वकील की सेवाएं लेने की बात कही गई थी।
जानकारों के अनुसार सभी प्रयास माननीय सर्वोच्च न्यायालय में हस्ताक्षेपकर्ता बनने की ओर किए जा रहे हैं, जबकि अभी तक न्यायालय द्वार इस बारे में न तो कोई स्थगन दिया है, और न ही फैसला। सड़क निर्माण का मामला कलेक्टर सिवनी के 18 दिसंबर 2008 के आदेश के तहत रोका गया है।

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