बिजली बचत : महामहिम आवास से लें सीख
(लिमटी खरे)
बढ़ती आबादी के साथ ही बिजली का संकट कोई नई बात नहीं है। उत्पादन, आवश्यक्ता और पूर्ति के बीच के भारी भरकम अंतर को पाटना शायद केंद्र और सूबे की सरकारों के बस की बात नहीं दिख रही है। सरकारी कार्यालयों में चोबीसों घंटों मनने वाली दीपावली के चलते सुदूर ग्रामीण अंचलों में 18 से 20 घंटे की बिजली कटौती होना आम बात हो गई है।
देश के निर्वतमान महामहिम राष्ट्रपति डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम के कार्यकाल को देशवासी अनेक मायनों में याद रखेंगे। इसमें एक कारण महामहिम के विशाल निवास और कार्यालय को इको फ्रेंडली बनाने का काम भी शामिल है। महामहिम के इस परिसर ने अब तक एक करोड़ चोरासी लाख रूपए की बिजली की बचत कर साबित कर दिया है कि कोई भी काम असंभव नहीं है।
वैसे पिछले ही साल राष्ट्रपति भवन को इको फ्रेंडली बनाने की मुहिम आरंभ की गई थी। पिछले साल 25 जून से आरंभ हुए आपरेशन ``रोशनी`` के नाम से आरंभ किए गए इस अभियान में इस परिसर को प्रकृति के और करीब लाकर यहां के कर्मचारियों और निवासियों के लिए एक नया मार्ग प्रशस्त कराया है।
महामहिम के आवास और कार्यालय परिसर में रोशनी को प्रकृति से जुड़ी 13 परियोजनाओं से संबद्ध किया गया है। जिनमें जैविक खाद बनाना, सौर उर्जा, पौधे लगाना, कूड़ा प्रबंधन, रेन वाटर हार्वेस्टिंग आदि प्रमुख हैं। परिसर में बनाए गए 96 गड्ढों में हर डेढ माह में 120 किलो जैविक खाद बनाई जा रही है, जिसका उपयोग महामहिम के परिसर में बागवानी में किया जा रहा है।
इस परिसर की यह खासियत काफी हद तक सराहनीय मानी जा सकती है कि बायोगैस से भवन और कर्मचारियों के आवासों में रसोई गैस की आपूर्ति की जा रही है, जिससे घरेलू ईंधन की कमी को पूरा किया जा रहा है। इस भवन में अधिकांश स्थानों पर सौर उर्जा से चलने वाली लाईटों का प्रयोग भी किया जा रहा है।
पानी की हायतौबा को देखते हुए यहां सोलिड वेस्ट हार्वेस्टिं सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर इससे मिलने वाले जल से बाग बगीचे के लिए पानी मुहैया करवाया जा रहा है। विशाल भवन में बरसाती पानी को रोककर रेन वाटर हार्वेस्टिंग के माध्यम से जलस्तर बढ़ाने का प्रयास भी किया जा रहा है।
देश के पहले नागरिक होने का गौरव प्राप्त महामहिम की सोच अगर इतनी सकारात्मक हो सकती है तो निश्चित तौर पर उनके अधीन कार्यरत केंद्र और सूबों की सरकारों को इससे सबक लेना चाहिए। देश भर में बिजली और पानी की किल्लत को पलक झपकते ही इन उपायों को कर दूर किया जा सकता है।
सरकार को चाहिए कि कम से कम उसके सरकारी भवनों की छतों से आने वाले बरसाती पानी को ही वह रेन वाटर हार्वेस्टिंग कर बचाकर जलस्तर को बढ़ाने की दिशा में कारगर पहल करे। देश भर में अरबों वर्ग फुट में बने सरकारी भवनों की छतों से निकलने वाले बारिश के पानी को इस प्रक्रिया के माध्यम से सहेजा जा सकता है।
इससे एक ओर उन स्थानों पर जलस्तर अपने आप ही बढ़ सकेगा और दूसरी ओर गर्मी के मौसम में होने वाली पानी की दिक्कत को इस भूगभीZय पानी के माध्यम से काफी हद तक कम किया जा सकेगा। इसके साथ ही साथ जलस्तर बढ़ने से आसपास की जमीनें भी और अधिक उपजाउ हो जाएंगी।
इसके अलावा इन भवनों की छतों का इस्तेमाल सौर उर्जा चलित बिजली उपकरणों में किया जा सकता है। अमूमन देखा गया है कि सरकारी कार्यालयों के पंखे, एयर कंडीाशनर और लाईट चोबीसों घंटे ही चालू रहते हैं, जिससे बिजली की बरबादी बहुत अधिक मात्रा में होती है। सौर उर्जा चलित लाईट के उपयोग से बिजली उत्पादन का एक बड़ा भाग देश की जनता तक पहुंचाया जा सकेगा।
महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल द्वारा पेश यह नजीर देशवासियों के लिए काफी हद तक फायदे का सौदा साबित हो सकती है। केंद्र सरकार को चाहिए कि इसका प्रचार प्रसार व्यापक स्तर पर करके रेन वाटर हार्वेस्टिंग और सौर उर्जा के विकल्पों को बढ़ावा देने की दिशा में कारगर कदम उठाए, क्योंकि आने वाले चंद सालों में आबादी के विस्फोट से हालात बेकाबू होते ही नजर आ रहे हैं।
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आ गया अड़वाणी युग के अवसान का समय
0 सुषमा, जेतली, शिवराज, मोदी के बीच है अगला मुकाबला
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। हालात देखकर लगने लगा है कि भारतीय जनता पार्टी में आड़वाणी युग के अवसान के गीत गाने का माकूल वक्त आ गया है। इस आम चुनाव में ``पीएम इन वेटिंग`` का अलंकार पाने वाले भाजपा के सीनियर नेता लाल कृष्ण आड़वाणी का जादू आम चुनावों में नहीं चल सका। इसके बाद से ही शनै: शनै: उनकी मुखालफत के साथ ही साथ दूसरी लाईन के लीडरान अपना अपनी अपनी जमीन पुख्ता करने में जुट चुके हैं।
हाल में संपन्न हुए राज्य सभा चुनावों की उम्मीदवारी के दौरान यह बात साफ तौर पर दिखाई दी कि भाजपा में आड़वाणी की परवाह दूसरी और तीसरी पंक्ति के नेता नहीं कर रहे हैं। आड़वाणी के स्पष्ट संकेतों के बाद भी मध्य प्रदेश से राज्य सभा के रास्ते पीयूष गोयल को संसदीय सौंध तक जाने के रास्ते प्रशस्त नहीं किए जा सके।
आड़वाणी के करीबी सूत्रों का कहना है कि आड़वाणी के निर्देश पर उनके सबसे विश्वस्त अनंत कुमार ने व्यक्तिगत तौर पर भारतीय जनता पार्टी के दूसरी और तीसरी पंक्ति के नेताओं को ``साहब`` की भावनाओं से आवगत करा दिया था। इसके बाद जब आड़वाणी के निवास पर विदिशा की संसद सदस्य सुषमा स्वराज, अरूण जेतली, वेंकैया नायडू, शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र तोमर जुटे, तब आड़वाणी की यह कवायद धरी की धरी रह गई।
सूत्रों ने बताया कि जैसे ही मध्य प्रदेश कोटे से पीयूष गोयल के नाम का प्रस्ताव आया, वैसे ही इन सभी नेताओं ने गोयल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इसी बीच चतुर सुजान सुषमा स्वराज ने अपने पिछलग्गू अनिल माधव दवे के लिए मध्य प्रदेश की एक सीट पर सहमति बनवा ली।
बची दूसरी सीट के लिए जब विचार विमर्श आरंभ हुआ तो भाजपा के पितृ संगठन माने जाने वाले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा प्रस्तावित कप्तान सिंह सौलंकी का नाम आते ही पार्टी के सुप्रीमो राजनाथ सिंह ने भी इस पर अपनी सहमति जता दी। जताते भी क्यों नहीं। सुरेश सोनी द्वारा यह नाम जो आगे बढ़ाया जा रहा था।
जानकारों के अनुसार अब जबकि भाजपा की दूसरी और तीसरी पंक्ति के नेताओं द्वारा आड़वाणी की ``भावनाओं`` का सम्मान नहीं किया जा रहा है, तब आने वाले समय में भाजपा की राजनीति की धुरी सुषमा स्वराज, नरेंद्र मोदी, अरूण जेतली, शिवराज सिंह चौहान के इर्द गिर्द ही घूमने की उम्मीद है।
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