मंगलवार, 8 सितंबर 2009

देश की आन पर फिर लग गई सेंध

देश की आन पर फिर लग गई सेंध

(लिमटी खरे)

देश की आन बान और शान का प्रतीक है, रायसीना हिल्स पर स्थित प्रथम नागरिक का सरकारी आवास यानी महामहिम राष्ट्रपति का निवास। यद्यपि इसका निर्माण देश पर राज करने वाले ब्रितानी शासकों ने करवाया था, अत: इसे दासता का प्रतीक भी माना जा सकता है, किन्तु आजाद भारत में राजनीति करने वाले नुमाईंदों ने इसे देश के पहले नागरिक के सरकारी आवास के तौर पर स्वीकार कर लिया है, तो इसे देश की आन बान और शान का प्रतीक माना जाने लगा है।
पिछले दिनों महामहिम के आवास की जिम से तीन जोड़ी डंबल और कम्पयूटर का चोरी होना आश्चर्यजनक और शर्मनाक ही माना जा सकता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि आजादी के उपरांत कड़ी सुरक्षा के बीच महामहिम का आवास सदा से ही महफूज रहा है। जहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता, वहां से कंप्यूटर और डंबल जैसी चीजें चोरी होना अपने आप में एक करिश्मे से कम नहीं है।
हमारे देश की लचर आंतरिक सुरक्षा का नमूना था, लाल किले, संसद और मुंबई में हुआ आतंकी हमला। देश में अंदर ही अंदर घुन की तरह आतंकवादी, अलगाववादी अपना काम कर गुजर रहे हैं, सरकारें आतीं हैं, चली जाती हैं, बयान बाजी होती है, पर नतीजा सदा ही सिफर ही होता है।
महामहिम राष्ट्रपति के आवास से छ: नग डंबल और एक संगणक (कम्पयूटर) की चोरी महज चालीस पचास हजार रूपए के नुकसान के तौर पर नहीं देखी जा सकती है। यह मामला काफी संगीन है। संगीनों के साए में 62 सालों से रहने वाले महामहिम के आवास से सामान की चोरी निश्चित तौर पर आंखों से काजल चुरा लेने की तरह ही माना जा सकता है।
पता नहीं उस कम्पयूटर में क्या गोपनीय तथ्य रहे होंगेर्षोर्षो यह तो तय हो गया है कि यह एक गंभीर मसला है। वैसे भी महामहिम का आवास तीन सुरक्षा घेरों में है। पहले घेरे में अर्धसैनिक बल, दूसरे में आईटीडीपी के कमांडो और दिल्ली पुलिस तथा तीसरे में कमांडो के साथ दिल्ली पुलिस के जवान सुरक्षा में लगे हैं।
चौबीसों घंटे छावनी बने रहने वाले महामहिम राष्ट्रपति के आवास में तीन पालियों में सुरक्षा कर्मी तैनात रहते हैं। अमूमन एक पाली में 225 जवान सुरक्षा का दायित्व निभाते हैं। इतना ही नहीं प्रवेश द्वार पर अर्धसैनिक बल के जवान अत्याधुनिक हथियारों के साथ लैस होते हैं। इसके बावजूद इस तरह की घटना अपने आप में एक अजूबे से कम नहीं मानी जा सकती है।
महामहिम राष्ट्रपति के आवास में आम जनता के लिए 17, 31 और 35 नंबर के द्वार का इस्तेमाल किया जाता है। मजे की बात तो यह है कि आम लोगों के प्रवेश के लिए प्रवेश पत्र बनाया जाता है और कड़ी सुरक्षा के उपरांत ही महामहिम राष्ट्रपति के आवास में कोई आमद दे सकता है। यह वारदात गेट नंबर 17 के पास बने जिम में हुई है।
इसके अलावा फिरोजशाह रोड़ स्थित जनता दल यूनाईटेड के राज्य सभा के सांसद ऐजाज अली के सरकारी आवास में भी चोरी की घटना प्रकाश में आई है। इस आवास में मरम्मत का काम चल रहा है, यहां से भी बाथरूम से मंहगे फव्वारे और वाशबेसिन चोरी हो गए हैं। जनता यह जानकर आश्चर्य करेगी कि जनता के नुमाईंदे इस कदर विलासिता के सामान का उपभोग करते है, जिनकी कीमत उनकी पूरी माह की खुराक से भी कई गुना अधिक है।
संसद पर हुए हमले से लेकर मुंबई में अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला हमारे लिए सबक से कम नहीं है। दुर्भाग्य यह है कि हम इन गंभीर हादसों से सीख लेने के बजाए नए हादसों को जन्म लेने के लिए उपजाउ माहौल तैयार करते हैं।
महामहिम आवास में हुई चोरी के मामले में यह भी संभव है कि रसूख के चलते साख बचाने की गरज से महामहिम आवास इस चोरी की घटना का खण्डन कर दे या फिर चोरी गए सामान की बरामदगी की बात कह दी जाए। कुल मिलाकर हाई सिक्यूरिटी जोन में घटी इस घटना में लीपापोती की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। मामला रफा दफा करना वैसे तो एक सामान्य बात है, किन्तु यह निंदनीय और शर्मनाक अवश्य है।
खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो महामहिम राष्ट्रपति के आवास में हुई चोरी में किसी कर्मचारी का ही हाथ है। अगर वाकई एसा है तो घर का भेदी ही लंका ढहाता है। महामहिम के आवास मेंं कर्मचारियों की लंबी चोडी फौज के बीच जयचंद को ढूंढना बहुत दुष्कर कार्य होगा।
देश के पहले नागरिक के घर पर हुई चोरी की इस घटना से जनता जनार्दन के मानस पटल पर उभर रहे सवालों के जवाब आज भी निरूत्तरित ही हैं। सरकारी तंत्र को चाहिए कि छोटी छोटी बात पर सामने आकर सफाई देने के अलावा इस मामले में भी वह आगे आए और सच्चाई को बिना लाग लपेट जनता के सामने रखे, क्योंकि मामला किसी एसे गैरे के घर चोरी का नहीं, वरन देश के पहले नागरिक के घर में हुई चोरी का है।

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नए क्लेवर में उभरकर आ रहा है ``सिमी``

0 सिमी ने उतार फेंका पुराना चोला

0 अब राजस्थान से संचालित हो रहा आपरेशन

0 लालच के चलते काश्मीर में अब हिन्दू भी आतंकवादी संगठनों में!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। हिन्दुस्तान में आतंक बरपाने के लिए जिम्मेदार प्रतिबंधात्मक संगठनों ने अब नई रणनीति के तहत अपने नाम और ठिकानों को बदलना आरंभ कर दिया है। ``लश्कर ए तैयबा`` की तर्ज पर अब सटूडेंट इसलामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) ने भी सरकार की आंख में धूल झोंकने की गरज से अपना नाम और ठिकाना बदल लिया है।
गृह मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि खुफिया विभाग ने सरकार को इस संबंध में अपनी एक खुफिया रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें खुलासा किया गया है कि सिमी ने अपना नाम बदलकर ``वहादत ए इस्लामी`` कर लिया है। इतना ही नहीं इस नए संगठन का मुख्यालय राजस्थान में बनाए जाने की खबर भी है।
सूत्रों ने आगे कहा कि प्रतिबंधात्मक संगठनों की मुश्कें कसने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा की जा रही सख्ती के चलते यह कदम उठाया गया है। गौरतलब होगा कि ``लश्कर ए तैयबा`` ने जिस तरह पूर्व में अपना नाम बदलकर ``जमात उद दावा`` कर लिया था, उसी तर्ज पर अब सिमी ने केंचुली उतारकर नया चोला पहना है।
सूत्रों की मानें तो वहादत ए इस्लामी वैसे तो सामाजिक कार्य करने वाला एक गैर सरकरी संगठन है, किन्तु पर्दे के पीछे का इसका स्वरूप काफी भयानक है। कहा जा रहा है कि हिजबुल मुजाहिदीन के लिए काम करने वाला दिल्ली ब्लास्ट का मास्टर माईंड और सिमी का फायनेंसर तौकीर पर्दे के पीछे से इसके लिए संसाधन मुहैया करवा रहा है।
बताया जाता है कि राजस्थान में अपना बेस बनाने के पीछे यह तर्क भी दिया जा रहा है कि वहां से सरहद पार पाकिस्तान में बैठे दहशतगर्द आकाओं से आसानी से संपर्क किया जा सकता है। चर्चा तो यहां तक भी है कि इस संगठन ने पिछले दिनों दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में जमकर बैठकें भी की हैं।
सूत्रों ने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश सूबे के आजमगढ़ का रहने वाला जमाइल इस्लाम और बिहार में दरभंगा के अब्दुल कासिम ने काडर को बढाने की जिम्मेदारी अपने कांधों पर ली है। वैसे भी जमात उद दावा के मुखिया हफिज सईद के बारे में चीन की राय के बाद भारत सरकार असमंजस में ही है। बताते हैं कि चीन हाफिज सईद को अतंकवादी मानने को तैयार ही नहीं है।
उधर भरोसेमंद सूत्रों का यह भी कहना है कि जम्मू काश्मीर में लश्कर ए तैयबा, हरकत उल अंसार, अल बद्र, हिजबुल मुजाहिदीन आदि संगठनों में अब भारी तादाद में हिन्दू भी शामिल होने लगे हैं। इनमें से कुछ हिन्दू आतंकवादियों को तो ``ए`` श्रेणी में रखा गया है, जिन पर लाखों के इनाम हैं।पुलिस के आंकडों से उभरकर आई बात से यह तथ्य साफ हो जाता है कि 1996 से 17 हिन्दू आतंकी सक्रिय रहे हैं। सूत्रों की मानें तो पैसे के लालच के चलते 16 से 25 साल के युवा इन आतंकी संगठनों के लिए काम कर रहे हैं। वैसे सुरक्षा बलों के साथ हुई मुटभेड में अब तक चार हिन्दू आतंकवादी मारे गए हैं। कुलदीप कुमार, उत्तम कुमार, बिपिन कुमार एवं बिट्टू कुमार नाम के ये आतंकी विभिन्न मुटभेड में मार गिराए गए हैं।

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

bilkul sahe farmate hi aap. jab rastrapati bhavan he surakshit nahi tab kis dam par sarkar hamari suraksha ke bat karte hai!!!!