शनिवार, 3 अक्तूबर 2009

पाक और भारत के बीच नजीर बना मैच

एडविन युवा एवं स्वतंत्र पत्रकार हैं, जो खेल से संबधित विषयों पर अपना ध्यान केंद्रित करने का प्रयास कर रहे हैं।


पाक और भारत के बीच नजीर बना मैच



(एडविन)


भारत और पाकिस्तान के इतिहास को अगर खंगाला जाए, तो भी ये नजीर ढूंढने से नहीं मिलेगी कि भारत के एक अरब लोगों ने अपने कट्टर विरोधी के जीतने की दुआ मांगी हो, लेकिन दक्षिण अफ्रीका में हो रही आईसीसी चैंपियंस ट्राफी के दौरान सेंचुरियन मैच में ये अनोखा नजारा देखने को मिला । वैसे हम ये दुआ पड़ोसी होने के नाते नहीं बल्कि आईसीसी चैंपियंस ट्राफी में अपनी टीम के सेमीफाइनल में पहुंचने की बची आखिरी उम्मीद को जिंदा रखने के मकसद से कर रहे थे।


लेकिन अफसोस रहा कि बदकिस्मती से पाकिस्तान टीम ऑस्ट्रेलिया से आखिरी गेंद पर मैच दो विकेट से हार गया और इस तरह भारत को लगातार दूसरी बार आईसीसी टूर्नामेंट में पहले दौर में ही बाहर का रास्ता अिख्तयार करना पड़ा । बहरहाल अगर इस पूरे वाक्ये को गौर से देखा जाए तो कई तरह से न सिर्फ अनोखा था बल्कि दोनों मुल्क के लिए एक मिसाल बनकर भी सामने आया।


मसलन परमाणु बमों से लैस इन दोनों शक्तिशाली मुल्कों के आपसी रिश्ते कभी भी अच्छे नहीं रहे है । बंटवारे के बाद से अब तक ये दोनों मुल्क तीन बार एक दूसरे को जंग में आजमा चुके हैं जिसकी वजह से दोनों के बीच दूरियों की ऐसी खाई बन चुकी है जिसके कम होने की गुंजाईश दूर दूर तक नजर नहीं आती है । ऐसा भी नहीं है कि इन मुद्दों पर बात न की गई हो या बात करने की कोशिश न की गई हो।


कई बार बातचीत के जरीए तमाम गलतफहमियों को दूर करने की कोशिश की गई लेकिन दोनों ओर से कई मसलों पर पिछे न हटने की वजह से हर बार मुलाकातों का नतीजा सिफर ही रहा है । लेकिन 60 गज के मैदान पर होने वाले इस खेल ने इन 60 सालों में न जाने कितनी बार दोनों और अमन कायम करने की पाक साफ कोशिश की है मगर बावजूद इसके सियासी हुक्मरानों ने इसकी आड़ में अपनी सियासी रोटियां सेंककर दोनों मुल्कों की आपसी दुश्मनी को हवा देने का ही काम किया है।


वहीं क्रिकेट जैसे खेल ने बारम्बार हमें करीब आने का मौका दिया है । अगर इतिहास के पन्नों को खोलकर देखें तो हमें ऐसे बहुत सारे किस्से मिलेंगे जो वाकई हमें सुकून का एहसास करा सकें । 1989 में पाकिस्तान दौरे पर गई भारतीय टीम को और पूरी दुनिया की क्रिकेट को सचिन तेंदुलकर की शक्ल में बल्ले का वो नायाब हीरा मिला है जिस पर जितना नाज किया जाए वो कम ही नजर आता है।


दुनिया इस छोटे कद के बड़े खिलाड़ी के जौहर की कायल हो गई है । तो वहीं मेजबान पाकिस्तान को भी इस दौरे से वसीम अकरम और वकार यूनुस जैसे बेहद काबिल गेंदबाज मिले जिन्होने सालों तक बल्लेबाजों पर अपनी गेंदों का खौफ बनाए रखा । इसके बाद दोनों देश ने काफी वक्त तक एक दूसरे के मुल्क में कोई मैच नहीं खेला।


लेकिन इस दौरान गैर मुल्कों में जरूर टीमों ने इक्का दुक्का बार एक दूसरे का सामने किया । एक दशक से भी ज्यादा वक्त के बाद काफी वक्त के बाद सौरव गांगुली की कप्तानी में टीम एक बार फिर पाकिस्तानी सरजमीं पर पहुंची । भारतीय टीम ने बेहद शानदार क्रिकेट खेलते हुए मेजबान पाकस्तिान को वनडे और टेस्ट दोनों सिरीज में हराकर उम्दा क्रिकेट का मुजाहिरा पेश किया तो वहीं पाकिस्तान ने बेहतरीन मेजबानी करके हमारे मुल्क का दिल जीत लिया।


इसके बाद अगले दौरे पर भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज विरेंद्र सहवाग ने भारत की ओर से टेस्ट मैचों के इतिहास में मुल्तान में पहला तीहरा शतक जड़कर मुल्क को एक बड़ी सौगात से नवाजा था । कोटला में कुबले के एक ही पारी सभी दस विकेट लेने के कारनामे को भूल सकता है । इन आंकड़ों पर गौर करने के बाद ये कहना कतई गलत नहीं होगा कि हर बार एक दूसरे मुल्क का दौरा करके दोनों ही मुल्कों को और दोनों ही मुल्कों की क्रिकेट को बेहद फायदा हुआ है।


अगर इस खेल पर सियासत होना बन्द हो जाए तो ये दोनों ही मुल्को के लिए और दोनों ही मुल्कों की क्रिकेट के लिए बेहद अच्छा रहेगा । हाल फिलहाल में चल रही चैंपियंस ट्राफी में भारत का पहला मैच पाकिस्तान के साथ था जिसे भारत 54 रनों से हार गया इसके बाद भारत का अगला मैच जो चैंपियन ऑस्ट्रेलिया के साथ बारिश की वजह से रद्द कर दिया इस लिए भारत और कंगारूं टीम को एक एक अंक बांटना पड़ा।


इसके बाद हालात ये बने कि अगर भारत वेस्टइंडीज को बड़े अंतर से हरा दे और उधर पाकिस्तान कंगारूं टीम को शिकस्त दे दे तो भारतीय टीम सेमीफाइनल में जगह बनाने में कामयाब हो सकती लेकिन पाकिस्तानी टीम बेहद रोमांचक मुकाबले में हार गई और यहीं से भारत की बचीखुची उम्मीदें भी खत्म हो गई । इसी मैच से एक दिन पहले पूर्व पाकिस्तानी कप्तान रमीज राजा ने कहा था कि यह बेहद रोमांचक पल है कि करोड़ों भारतीय हाथ पाकिस्तान के जीतने की दुआ मांग रहे है । साथ ही उन्होने कहा कि देखो माहौल कितना बदल गया है।


खुदा ने दोनों मुल्कों को नजदीक आने का नायाब मौका इनायत किया है । वाकई रमीज राजा की ये बात सोलह आने सच है कि ऐसा मौका खुदा की मर्जी से ही आ सकता है जो दोनों मुल्को के दरम्यां इस कड़वाहट को 22 गज की पिच के जरिए खत्म कराना चाहता है । क्रिकेट खेलने और देखने वाले लोग भी यही मशवरा देते हैं कि क्रिकेट के बहाने कई मसलों को आसानी के साथ सुलझाया जा सकता है।


क्रिकेट से बेपनाह मुहब्बत करने वाले दोनों मुल्कों के बीच क्रिकेट जारी रखवाना चाहते है क्योंकि क्रिकेट दोनों मुल्कों की आवाम को एक दूसरे के नजदीक लाने में काफी बड़ा रोल निभाता रहा है । फिलहाल दोनों मुल्कों के दरम्यां क्रिकेट को जारी रखने फैसला दोनों मुल्कों की सरकारों के हाथ में है जो मैदान क इन 11 - 11 अमन के फरिश्तों पर भरोसा करके क्रिकेट को मैदान पर बदस्तूर जारी रहने दे।

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