``महाराष्ट्र सदन`` में तब्दील हो सकता है भाजपा कार्यालय
भाजपा में अब ``मराठी मानुस`` का होगा बोलबाला
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष रहे बच्छराज व्यास और भारतीय जनता पार्टी के नए निजाम नितिन गडकरी के बीच क्या समानता हो सकती है। जी हां दोनों के बीच गहरा नाता है। लगभग आधे दशक पहले 1965 में विजयवाडा में बच्छराज व्यास को भारतीय जनसंघ का अध्यक्ष चुना गया था और नितिन गडकरी को 2009 में भाजपा नया अध्यक्ष बनाया गया है।
बच्छराज व्यास भी महाराष्ट्र प्रदेश की संस्कारधानी नागपुर के ही मूल निवासी थे। उसके बाद इसी जगह के नितिन जयराम गडकरी की ताजपोशी की गई है। व्यास और गडकरी दोनों ही ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पाठशाला में पल पुसकर संस्कारित हुए हैं। गडकरी और व्यास दोनों ही महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य रहे हैं। इसके अलावा इनके बीच सबसे बडी समानता के तौर पर यह बात सामने आ रही है कि जब व्यास ने पदभार संभाला था, तब देश में कांग्रेस की जडें काफी हद तक कमजोर हो चुकी थीं, यही बात कमोबेश आज कांग्रेस पर लागू हो रही है।
चूंकि संघ का मुख्यालय नागपुर में है अत: संघ में मराठी मानुष का दबदबा सदा से ही रहा है, किन्तु भारतीय जनता पार्टी इससे अभी तक लगभग अछूती ही मानी जा सकती है। नितिन जयराम गडकरी के अध्यक्ष बनने के बाद अब भाजपा के केंद्रीय कार्यालय में मराठाओं की दखल से इंकार नहीं किया जा सकता है।
गडकरी के करीबी सूत्रों का दावा है कि भाजपा के नए निजाम की इच्छा है कि दो नहीं तो कम से कम एक महासचिव और कोषाध्यक्ष उनके अपने सूबे या मराठा मानुष ही हो। गडकरी की पहल गोवा के पसंद मनोहर पणिकर हैं। पणिकर के सामने सबसे बडी समस्या यह है कि वे कुछ दिनों पहले भाजपा के कथित लौह पुरूष लाल कृष्ण आडवाणी को सडा हुआ अचार की संज्ञा दे चुके हैं। इसके अलावा रविशंकर प्रसाद, तमिलनाडू के धुरंधर नेता एन.गणेशन और राजस्थान की महारानी वसुंधरा को महासचिव बनाया जाना तय ही है। रामलाल को छोडकर शेष पांचों महासचिव की रवानगी इस बार तय ही मानी जा रही है।
सूत्रों ने जबर्दस्त संकेत दिए हैं कि भाजपा के राजकोष को संभालने और उसमें इजाफा करने के लिए गडकरी कोषाध्यक्ष पद पर पार्टी के कोषाध्यक्ष रहे वेद प्रकाश गोयल के पुत्र एवं महराष्ट्र के नेता पीयूष गोयल को सौंपने का मानस बना चुके हैं। गडकरी अपनी टीम में महाराष्ट्र के नेता श्याम जाजू को बतौर सचिव अपने पास रखने की बलवती इच्छा भी गडकरी के मानस पटल पर हिलोरे मार रही है।
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