बुधवार, 7 अप्रैल 2010

अब आडवानी के निशाने पर सुषमा!

अब आडवानी के निशाने पर सुषमा!
 
बढते कद और पद से परेशान है आडवाणी मण्डली
 
उमाश्री को बेक करने में लग गए हैं आडवाणी
 
(लिमटी खरे)

नई दिल्ली 07 अप्रेल। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष जैसे प्रभावशाली पद को छीनने वाली सुषमा स्वराज अब राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबंधन के पीएम इन वेटिंग के निशाने पर आ गईं हैं। सुषमा के पर कतरने की गरज से अब आडवाणी मण्डली भारतीय जनशक्ति पार्टी की जनक उमाश्री भारती की भाजपा में वापसी के मार्ग प्रशस्त करने पर तुल गई है। आडवाणी मण्डली भयाक्रान्त है कि अगर सुषमा स्वराज के अश्वमेघ यज्ञ के घोडे को अगर रोका नहीं गया तो आने वाले दिनों में वे प्रधानमन्त्री पद की सशक्त दावेदार बनकर उभर सकतीं हैं।
 
ज्ञातव्य है कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे लाल कृष्ण आडवाणी की इच्छा के विरूद्ध उन्हें नेता प्रतिपक्ष के पद से हटाकर सुषमा स्वराज को वह आसनी दे दी गई थी। जानकारों का कहना है कि उस वक्त तो आडवाणी खून का घूंट पीकर रह गए थे, किन्तु बाद में उन्होंने रणनीति बनाना आरम्भ कर दिया। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद सम्भालने के उपरान्त सुषमा स्वराज बहुत ही नपे तुले कदम और निर्धारित रणनीति से ही चल रही हैं। सदन में महात्वपूर्ण मसलों और अपने प्रभावशाली उद्बोधनों के चलते सुषमा स्वराज की छवि कार्यकर्ताओं में भी बहुत ही अच्छी बनती जा रही है।
 
सुषमा स्वराज की जमीनी पकड के चलते कार्यकर्ता उनसे बरबस ही जुडते चले जा रहे हैं। गौरतलब है कि सुषमा स्वराज के लिए शिवराज सिंह चौहान ने सालों साल सींची विदिशा संसदीय सीट सौंपने का कडा कदम तक उठाया। इसके बाद शिवराज और सुषमा के बीच एक अघोषित गठबंधन स्थापित हो गया है। सुषमा के सहारे शिवराज ने मध्य प्रदेश में न केवल अपनी कुर्सी सलामत रखी है, वरन उन्होंने अपने शत्रुओं का शमन भी किया है। हाल ही में इन्दौर सम्मेलन में सुषमा स्वराज ने जिस तरह मुक्त कंठ से शिवराज सिंह चौहान की प्रशंसा की उससे लगने लगा था कि आने वाले दिनों में शिव सुषमा एक्सप्रेस बहुत ही तेजी से दौडने वाली है। वैसे भी मध्य प्रदेश का इतिहास गवाह है कि यहां केन्द्र में स्थापित और सूबे के मुख्यमन्त्री की जुगलबन्दी की एक्सपे्रस दौडी हैं। मोतीलाल वोरा के मुख्य मन्त्रित्व काल में स्व.माधवराव सिंधिया की मोती माधव एक्सप्रेस तो राजा दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में कमल नाथ के साथ उनकी गलबहियां ``छोटे भाई बडे भाई`` के नाम से प्रचलित रही है।
 
बहरहाल सूत्र बताते हैं कि जैसे ही सुषमा स्वराज के कद के बढने का भान राजग के पीएम इन वेटिंग एल.के.आडवाणी को हुआ उन्होंने अपनी भजन कीर्तन मण्डली के मार्फत चालें चलना आरम्भ कर दिया है। आडवाणी ने उमाश्री भारती को वापस लाने का एसा दांव फेंका है, जिसकी काट शायद ही सुषमा स्वराज के पास हो। उधर उमाश्री भारती से भयाक्रान्त मध्य प्रदेश के मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चौहान और सूबे के भाजपा के अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर को मनाने का काम भी आरम्भ हो गया है।
श्यामला हिल्स पर स्थित मुख्यमन्त्री निवास के सत्रों का कहना है कि सुषमा के पाले में बैठे शिवराज सिंह चौहान अभी दुविधा में हैं कि वे वर्तमान कद्दावर नेता लाल कृष्ण आडवाणी का साथ दें अथवा भविष्य की नेता सुषमा स्वराज का दामन ही थामें रहें। उधर आडवाणी के इर्द गिर्द के लोग यह प्रचारित करने से नहीं चूक रहे हैं कि अगर उमाश्री भारती वापस आतीं हैं तो भाजपा के रीते पिछडे और महिला वोट बैंक को भरने में आसानी होगी।
उधर नितिन गडकरी के करीबी सूत्रों का कहना है कि उमाश्री विरोधी खेमा संघ और भाजपा सुप्रीमो को यह समझाने पर तुला हुआ है कि यह वही उमाश्री भारती हैं जिन्होंने भाजपा के चेहरे रहे अपने पिता तुल्य पूर्व प्रधानमन्त्री और एल.के.आडवाणी को पानी पी पी कर कोसा था। विधानसभा और लोकसभा चुनावों मेें भाजपा को नुकसान पहुंचाने मे भी उमाश्री ने कोई कोर कसर नहीं रख छोडी थी।

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