सोमवार, 19 अप्रैल 2010

मोदी का सिक्सर, थुरूर मैदान के बाहर

कब तक क्षमा करोगे शिशुपाल को - - -(3)
 
मोदी का सिक्सर, थुरूर मैदान के बाहर
 
ट्वंटी ट्वंटी अब निर्याणक मोड पर
 
मन्त्री ने दिया सांसद की हैसियत से बयान
 
बडे बेआबरू होकर तेरे कूचे से थुरूर निकले
(लिमटी खरे)

आजाद भारत के एक जिम्मेदार मन्त्री शशि थुरूर और आईपीएल के चेयरपर्सन ललित मोदी के बीच आरम्भ हुए अन्तहीन विवाद में रोजाना ही कोई न कोई रोचक मोड आता जा रहा है। अब भारत गणराज्य के मन्त्री शशि थुरूर ने देश की सबसे बडी पंचायत में अपनी सफाई बतौर मन्त्री न देकर बतौर सांसद देकर नए विवाद को जन्म दे दिया है। थुरूर के इस कदम से न केवल उनकी खुद की वरन् समूची कांग्रेस की भद्द पिटती नज़र आ रही है। प्रधानमन्त्री ने अप्रिय और कडा कदम उठाते हुए शशि थुरूर को मन्त्रीमण्डल से रूखसत कर दिया है।
 
थुरूर की इस बचकानी हरकत पर मन्त्रीमण्डल के एक अन्य सहयोगी फारूख अबदुल्ला ने तो यहां तक कह दिया है कि अगर वे थुरूर की जगह होते तो देश और सरकार की गरिमा को बचाने के लिए वे त्यागपत्र दे देते। फारूख अब्दुल्ला का कहना था कि शशि थुरूर को सुनन्दा से अपने रिश्ते छिपाना नहीं चाहिए था। अब्दुल्ला के बयान को कांग्रेस ने काफी गम्भीरता से लिया है। कांग्रेस को डर था कि शशि थुरूर के मामले में अगर ज्यादा लोगों के मुंह खुल गए तो उसे परेशानी उठानी पड सकती है।
 
शशि थुरूर की रूखसती के बाद अब ललित मोदी को धोबीघाट पर कपडे की तरह धुलाई की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है। कांग्रेस इस मामले में बेकफुट पर है और अब मोदी जिस करवट मिलेंगे उस करवट ही उनकी धुनाई होगी। मामला आगे न बढे इसलिए अब ललित मोदी के जानने वालों पर भी गाज गिराकर मोदी को भयाक्रान्त करने का प्रयास किया जाएगा। उधर आयकर का शिकंजा भी मोदी मण्डली पर जमकर कसने की उम्मीद से इंकार नहीं किया जा सकता है। रान्देवू स्पोर्टस केे सीईओ शैलेन्द्र गायकवाड के भाई रवि गायकवाड जो क्षेत्रीय उप परिवहन अधिकारी हैं, एवं उनका स्थानान्तरण मराठवाडा से बीड कर दिया गया था, को निलंबित करने की प्रक्रिया महाराष्ट्र की कांग्रेसनीत सरकार ने आरम्भ कर ही दी है।
 
सबसे अधिक आश्चर्य तो उन खबरों पर होता है, जिनमें कहा जा रहा है कि आईपीएल विवाद उभरने के पहले ही केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को जो रिपोर्ट सोंपी गई थी उसमें मोदी के रिश्तेदारों के नामों सहित अनेक नामों को विवादित माना गया था। इतना ही नहीं तीन सालों में मोदी की संपत्ति में बेतहाशा बढोत्तरी की बात भी इस रिपोर्ट में थी। बावजूद इसके केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड आखिर कार्यवाही के लिए किसकी हरी झण्डी का इन्तजार कर रहा था, जो इस विवाद के बाद सक्रिय हुआ।
 
भाजपा ने भी एक तीर से कई निशाने साधते हुए थुरूर को पलनिअप्पम चिदंबर से सबक लेने की नसीहत दे डाली है। भाजपा का कहना है कि नरसिंहराव सरकार में जब चिदम्बरम वाणिज्य मन्त्री थे, तब उन पर उनकी पित्न को एक कंपनी के शेयर बाजार से कम कीमत पर देने के आरोप लगे थे, तब चिदम्बरम ने तत्काल नैतिकता के आधार पर त्यागपत्र दे दिया था, पर थुरूर कुर्सी से चिपके रहे और आखिरकार उन्हें बेइज्जत होकर जाना पडा।
 
टि्वटर से चर्चा में आए थुरूर का विवादों से गहरा नाता रहा है। कांग्रेस की सदस्यता लेते वक्त शशि थुरूर ने कोिच्च में शशि थुरूर ने देश के राष्ट्रगान का सरासर अपमान किया था। अमूमन राष्ट्रगीत के बजते, गाते, सुनते समय हर भारतवासी सावधान की मुद्रा में रहता है, पर विदेशों में ज्यादा समय बिताने वाले शशि थुरूर ने सावधान की मुद्रा को न अपनाकर दुनिया के चौधरी अमेरिका की तर्ज पर दिल पर हाथ रखकर इसे न केवल खुद गाया वरन् लोगों को भी एसा करने प्रेरित किया।
 
पिछले साल वैश्विक स्तर पर आर्थिक मन्दी के चलते हर जगह फिजूलखर्ची पर रोक के बावजूद भी शशि थुरूर ने सरकारी खर्च पर फाईव स्टार होटल को अपना आशियाना बना लिया था। सितम्बर 2009 में होटल ताज के फाईव स्टार सूट में दो माह रहने के बाद आज तक यह बात सार्वजनिक नहीं हो सकी है कि उस होटल का भोगमान (बिल) किसने भोगा, भारत सरकार ने, थुरूर ने या उनके किसी मित्र ने। इस मामले के उजागर होने पर कांग्रेस को बहुत जिल्लत झेलनी पडी थी।
 
इसी माह शशि थुरूर ने एक और हंगामा खडा किया। देशवासियों को दिखाने के लिए जब कांग्रेस की राजमाता ने देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली से व्यवसायिक राजधानी मुम्बई तक का हवाई सफर 20 सीटों को खाली करवाकर इकानामी क्लास में किया तब दूसरे ही दिन थुरूर ने सोशल नेटविर्कंग वेवसाईट टि्वटर पर हवाई जहाज की इकानामी क्लास को केटल क्लास (मवेशी का बाडा) की संज्ञा दे दी। इसके बाद कांग्रेस को खून का घूंट पीना पडा क्योंकि इसके सोनिया गांधी की यात्रा से जोडकर देखा जा रहा था।
 
दिसम्बर 2009 में जब केन्द्रीय गृह मन्त्रालय ने वीजा सम्बंधी नियमों को कडे करने का फैसला लिया तब फिर शशि थुरूर ने इसे गैरवाजिब बताया। दरअसल यह फैसला इसलिए लिया गया था, क्योंकि 26/11 की साजिश में शामिल आरोपी डेविड हेडली और तहव्वूर राणा को लांग टर्म मल्टी एंट्री वीजा मिला हुआ था। इस पर भी थुरूर की टि्वट ने सरकार के खिलाफ ही जहर उगला था।
 
देश के पहले प्रधानमन्त्री और कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के परनाना जवाहर लाल नेहरू को भी शशि थुरूर ने नहीं बख्शा। 8 जनवरी 2010 को लार्ड भीखू पारेख के एक प्रोग्राम मे शशि थुरूर का कहना था कि गांधी के योगदान और नेहरू की नीतियों से देश की स्थिति मजबूत तो हुई है, किन्तु इससे विश्व के सामने हमारी नकारात्मक छवि बनी है। हम वैश्विक मसलों पर नैतिकता को रगडते रहते हैं। इतना ही नहीं देश जिस मोहनदास करमचन्द गांधी को राष्ट्र का पिता मानकर नमन करता है उनकी जयन्ती पर शशि थुरूर का मानना है कि गांधी जयन्ती पर घर पर न बैठा जाए, काम किया जाए।
 
शशि थुरूर के ग्यारह महीनों के कार्यकाल में उन्होंने कांग्रेस को तबियत से नुकसान पहुंचाया है, फिर भी कांग्रेस की राजमता श्रीमति सोनिया गांधी और वजीरे आजम डॉ.मन मोहन सिंह ने उन्हें गले से लगाकर रखा एवं शिशुपाल की तरह उनकी गिल्तयों को भी माफ किया। कांग्रेस ने एसा क्यों किया यह तो वह ही जाने पर शशि थुरूर कांग्रेस के उजले दामन पर एक बदनुमा दाग बनकर इतिहास में सदा कांग्रेस के लिए खटकेगा। आने वाले चुनावों में भी शशि थुरूर का मामला एक मुद्दे की तरह उछाला जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

2 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही लाजवाब ... क्या कहने हैं ग़ज़ब ...

Udan Tashtari ने कहा…

अब ट्विटिंग के लिए समय ही समय रहेगा उनके पास.. :)