रविवार, 2 मई 2010

भोपाल में श्रमजीवी पत्रकारों की रैली



 

3 टिप्‍पणियां:

honesty project democracy ने कहा…

पत्रकारों की दयनीय स्थिति और भ्रष्टाचारियों की सुखद स्थिति को देखकर, इस लोकतंत्र के भविष्य का अंदाजा लगाया जा सकता है / अच्छी विचारणीय प्रस्तुती /

आशा है आप इसी तरह ब्लॉग की सार्थकता को बढ़ाने का काम आगे भी ,अपनी अच्छी सोच के साथ करते रहेंगे / ब्लॉग हम सब के सार्थक सोच और ईमानदारी भरे प्रयास से ही एक सशक्त सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित हो सकता है और इस देश को भ्रष्ट और लूटेरों से बचा सकता है /आशा है आप अपनी ओर से इसके लिए हर संभव प्रयास जरूर करेंगे /हम आपको अपने इस पोस्ट http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html पर देश हित में १०० शब्दों में अपने बहुमूल्य विचार और सुझाव रखने के लिए आमंत्रित करते हैं / उम्दा विचारों को हमने सम्मानित करने की व्यवस्था भी कर रखा है / पिछले हफ्ते अजित गुप्ता जी उम्दा विचारों के लिए सम्मानित की गयी हैं /

बेनामी ने कहा…

लिम्टी खरे!
ये लिम्टी लिम्टी क्या है. ये लिम्टी लिम्टी!

कविता रावत ने कहा…

सार्थक प्रस्तुति के लिए धन्यवाद.