120 दिन में मिलेगा दुर्घटना दावा
दिल्ली पुलिस की अभिनव पहल
(लिमटी खरे)
दिल्ली पुलिस की अभिनव पहल
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली 10 जून। दुर्घटना बीमा के क्लेम हेतु अब दिल्ली मंे किसी को दर दर भटकने की आवश्यक्ता नहीं होगी। अप्रेल माह से दिल्ली पुलिस ने सूबे के हर एक पुलिस स्टेशन में दुर्घटन सेल की स्थापना कर दी है, जो इस बात को सुनिश्चित करेगा कि दुर्घटना दावा घटना के महज चार माह यानी 120 दिन अथवा अधिकतम छः माह के भीतर निपट जाए। दिल्ली उच्च न्यायालय के डंडे के बाद हरकत में आई दिल्ली पुलिस ने यह कदम उठाते हुए पायलट प्रोजेक्ट की संज्ञा भी दी है। मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (एमएसीटी) द्वारा इसके लिए अत्याधुनिक तंत्र भी तैयार किया जा हा है।
दिल्ली यातायात पुलिस के आंकडों पर अगर गौर फरमाया जाए तो दिल्ली में हर रोज डेढ दर्जन दुर्घटनाएं घटती हैं, और औसतन पांच लोग रोजाना असमय ही इसमें दम तोड देते हैं। दिल्ली पुलिस के सूत्रों का कहना है कि भले ही कोर्ट की फटकार के उपरांत यह सेल अस्तित्व में आया हो पर इसका मुख्य उद्देश्य पीडितों को समय पर न्याय दिलवाना है। सूत्रों का कहना है कि दुर्घटना से जुडे हर तथ्य मसलन, एफआईआर, कानूनी चिकित्सकीय रिपोर्ट (एमएलसी) आदि को ऑन लाईन ही अद्यतन (अपडेट) किया जाएगा।
इस सेल के मुख्य काम की फेहरिस्त में यह भी शुमार किया गया है कि प्रकरण के आते ही सबसे पहले संबंधित बीमा एजेंसी को अपने पास बुलाया जाए। इंश्योरेंस कंपनी सारे आंकडे वेब साईट से लेकर आवश्यक कागजात तत्काल मुहैया करवाएंगी। दिल्ली के डेढ सौ से अधिक पुलिस अधिकारी युद्ध स्तर पर इन प्रकरणों का निपटारा करके उसे बीमा कंपनी को अंतिम कार्यवाही हेतु सौंप देंगे। एमएसीटी की वेब साईट पर इन सारी जानकारियों को अपलोड कर दिया जाएगा।
एमएसीटी का काम पीडित पक्षकार को क्षतिपूर्ति तय होने तक का सारा डाटा तैयार करना होगा। इसके अलावा बीमा कंपनियों के लिए बीमा दावा के चेक जारी करने के लिए समय सीमा भी निर्धारित करने को कहा गया है। एमएसीटी के कर्मचारियों को ताकीद किया गया है कि वे पीडित के प्रति सहानुभूति पूर्वक पेश आकर जल्द से जल्द पक्षकार को धनादेश (चेक) सौंपना सुनिश्चित करे।
गौरतलब है कि 2005 में दुर्घटनाओं की तादाद 9009, वर्ष 2006 में 8838, वर्ष 2007 में 8270, वर्ष 2008 में 8108 और वर्ष 2009 में इसकी संख्या 6752 थी। इन दुर्घटनाआंे में वर्ष 2005 में 1953, वर्ष 2006 में 1910, वर्ष 2007 में 2099, वर्ष 2008 में 1927 और पिछले साल इसकी संख्या 2165 थी। 2007 और 2008 में ट्रक दुर्घटनाआं की तादाद 236/250, ब्लू लाईन किलर बस से 138/102, कमर्शियल व्हीकल्स से 445/436, कार से 226/176 तो हिट एण्ड रन के 719/743 प्रकरण दर्ज किए गए जिनमें मौत हुईं थीं। इस तरह पिछले पांच सालों में कुल 40 हजार 977 दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या 10 हजार 54 थी।
1 टिप्पणी:
कहीं ये पायलट प्रोजेक्ट भी पुलिस मेनुयेल और पुलिसिया कुव्यवस्था और आतंक के तले न दब जाये ? भगवान ही सुधार कर सकता है इस दिल्ली पुलिस का |
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